बिना गंभीर बीमारी के भी 52 साल तक अस्पताल में भर्ती रहा शख़्स, बाहर निकलकर बोला- 'ऐसी आज़ादी नहीं थी.'
शख़्स को 10 साल की उम्र में हल्की विकलांगता और मिर्गी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन वो बाहर निकला 62 साल की उम्र में.
ब्रिटेन (UK) में एक शख़्स ने अपनी ज़िंदगी के 50 साल से ज़्यादा समय अस्पताल में बिता दिये. वो भी बिना किसी गंभीर बीमारी के. वजह जानकर दुनिया भर के लोग हैरान हैं. दस साल की उम्र में शख़्स को अस्पताल में भर्ती कराया गया. सीखने की क्षमता में कमी और मिर्गी के कारण. लेकिन फिर वो शख़्स बाहर निकला 62 साल के उम्र में.
बीबीसी में छपी ख़बर के मुताबिक़, चार्ल्स एस्लर को 10 साल की उम्र में हल्की विकलांगता और मिर्गी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया. चार्ल्स ने बताया कि कई सालों तक उन्हें अस्पताल में बिताने पड़े. उन्हें बिना आज़ादी के बंद रहना पसंद नहीं है. चार्ल्स की बहन मार्गो ने कहा कि उन्होंने चार्ल्स को ऐसी जगह ले जाने के लिए मेहनत की, जहां वो स्वतंत्र को सके. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके बाद पिछले साल 62 साल की उम्र में उन्हें पहली बार आज़ादी मिली. उन्हें अपने फ़्लैट की चाबियां मिल गईं. उन्होंने कहा कि ये नहीं सोचना चाहिए कि ये एक परीकथा है. ये कोई रातोरात की प्रक्रिया नहीं थी.
ग्लास्गो में पढ़े-बढ़े चार्ल्स ने बताया,
"मैं अब बाहर जा सकता हूं. कई जगहों पर. सड़क किनारे बने पब जा सकता हूं. पब में लंच कर सकता हूं. मुझे मछली और चिप्स पसंद हैं. लाउंज में बैठकर जेम्स बॉन्ड की फ़िल्में देखना पसंद है. ये सब मुझे बहुत अच्छा लगता है. मुझे पहले कभी कोई आज़ादी नहीं थी."
रिचमंड फ़ेलोशिप स्कॉटलैंड के डेविड फ़्लेमिंग (चार्ल्स के केयरटेकर) ने इस मामले में कहा,
"उनके परिवार को उनके लिए सही जगह ढूंढने के लिए सालों तक मेहनत करनी पड़ी. दुर्भाग्य से कुछ लोग सिस्टम में फंस जाते हैं. वो अपने परिवर्तन के दौरान अद्भुत थे. अब वो संपन्न और स्वतंत्र हैं."
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मरीजों को दशकों बिताना पड़ता हैबीबीसी की ख़बर के मुताबिक़, सीखने की अक्षमता वाले सैकड़ों लोग अभी भी अस्पतालों में फंसे हुए हैं. अपने परिवार से सैकड़ों मील दूर रह रहे हैं. ये सब दशकों से बनी सरकारी नीति के बावजूद है. नीति ये कि सभी को लंबे समय तक रहने वाले संस्थानों से बाहर अपने घरों में ले जाया जाना चाहिए. ढाई साल पहले स्कॉटिश सरकार ने मार्च 2024 तक ज़्यादातर लोगों को उनके घरों तक भेजने का वादा किया था. हालांकि अस्पताल में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है.
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