The Lallantop
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट से बोला - “मुझे राष्ट्रपति बनाओ”, जजों का जवाब ज़िंदगी भर याद रहेगा!

शख्स का कहना था कि देश ठीक से चल नहीं रहा है, इसलिए उन्हें देश की कमान दे दी जाए.

Advertisement
supreme court
जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली. फाइल फोटो
font-size
Small
Medium
Large
21 अक्तूबर 2022 (Updated: 21 अक्तूबर 2022, 22:08 IST)
Updated: 21 अक्तूबर 2022 22:08 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

एक लड़का था. अखबार बेचकर अपनी पढ़ाई का खर्चा निकालता था. उसने खूब पढ़ाई की. वो सपना देखता था, एक दिन देश को अंतरिक्ष पर लेकर जाने का. इसके लिए खूब पढ़ा, खूब मेहनत की. वैज्ञानिक बना, इतना काम किया कि एक दिन भारत का मिसाइल मैन कहलाने लगा. उसने कभी राष्ट्रपति बनने के बारे में नहीं सोचा था, पर वो भारत का राष्ट्रपति भी बना. नाम था डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम. उस लड़के के नाम से सपने पर कई कोट्स भी इंटरनेट पर मिलते हैं. एक कोट है-

सपने पूरे होने के लिए ज़रूरी है, सपना देखना और उसके लिए मेहनत करना.

पर ये खबर डॉक्टर कलाम के बारे में नहीं है. ये खबर एक ऐसे शख्स के बारे में है जिसे राष्ट्रपति बनने का ख्याल आया. अब ख्याल तो आ गया, पर इतनी मेहनत कौन करे. तो उन्होंने चुना शॉर्टकट. वो राष्ट्रपति बनने की मनशा लेकर पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट. बोले कि देश का हिसाब-किताब सही नहीं चल रहा, हमको राष्ट्रपति बनाओ, हम सब ठीक कर देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने भी ठीक-ठीक जवाब दे दिया. क्या है पूरी कहानी?

शख्स ने अपनी याचिका में क्या आरोप लगाए?

राष्ट्रपति बनने की इच्छा जताने वाले शख्स का नाम है किशोर जगन्नाथ स्वांत. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दी गई अपनी याचिका में बताया कि वो पर्यावरण कार्यकर्ता हैं और 20 साल से इसी फील्ड में काम कर रहे हैं और इतने साल में उन्होंने सरकारी अधिकारियों से कोई मदद नहीं मिली है. उन्होंने याचिका में कहा कि भारत का नागरिक होने के नाते उनके पास सरकारी नीतियों पर सवाल पूछने का अधिकार है. उन्होंने दावा किया कि बीते तीन राष्ट्रपति चुनावों में उन्हें नामांकन भरने भी नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि देश का नागरिक होने के नाते उनके पास कम से कम चुनाव में खड़े होने का अधिकार तो होना चाहिए.

उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए श्रीलंका में पिछले दिनों पैदा हुई स्थिति का जिक्र किया. कहा कि वहां लोगों में गुस्सा इतना ज्यादा था कि राष्ट्रपति को लोगों के आगे झुकना पड़ा. उन्होंने कहा कि कोर्ट को उनकी याचिका स्वीकार करके, विस्तार में उस पर चर्चा करनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर क्या कहा?

बेंच थी जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की. इस याचिका पर बेंच ने कहा,

'ये एक मूर्खतापूर्ण याचिका है और कोर्ट की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. देश की सबसे ऊंचे संवैधानिक पद के खिलाफ लगाए गए आरोप गैरजिम्मेदार हैं और रिकॉर्ड से हटाए जाते हैं.'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,

"आप सड़क पर खड़े होकर भाषण दे सकते हैं लेकिन आपके पास ऐसा मूर्खतापूर्ण याचिका लगाकर जनता का समय बर्बाद करने का अधिकार नहीं है."

इसके साथ ही बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की तरफ से इस विषय पर कोई याचिका स्वीकार न करें. 

वीडियोः हिजाब बैन पर फैसला देने वाले दोनों जजों की पूरी कहानी!

thumbnail

Advertisement