'मेरे लोगों को अभी भी मंदिरों में...',मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति मुर्मू को प्राण प्रतिष्ठा में ना बुलाने पर भी कुछ कहा है
Mallikarjun Kharge ने ये भी पूछा, 'अगर मैं अयोध्या गया होता, तो क्या वो इसे बर्दाश्त करते?'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) का कहना है कि अनुसूचित जाति (SC) के लोगों को अभी भी देश भर में भेदभाव का सामना करना पड़ता है. खरगे ने मोदी सरकार (Modi Government) पर आरोप लगाया है कि उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) और उनसे पहले राष्ट्रपति रहे राम नाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) को "अपमानित" किया, क्योंकि "वो अनुसीचित जाति और अनुसूचित जनजाति से हैं". उन्होंने कहा कि मुर्मू को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम और नए संसद भवन के उद्घाटन में बुलाया नहीं गया, जबकि कोविंद को नए संसद भवन की आधारशिला रखने की मंजूरी नहीं दी गई.
खरगे ने आगे ये भी कहा,
"मेरे लोगों को आज भी सभी मंदिरों में जाने की अनुमति नहीं है. राम मंदिर छोड़िए, आप कहीं भी जाइए. एंट्री के लिए मारामारी है. गांव में छोटे-छोटे मंदिर हैं, जहां जाने की इजाजत नहीं है. आप पीने का पानी नहीं देते, शैक्षणिक संस्थानों को अनुमति नहीं देते, एक दूल्हे को भी बर्दाश्त नहीं करते, जो घोड़े पर बारात लेकर जाता है. लोग उन्हें खींचते हैं और पीटते हैं. तो आप मुझसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं. अगर मैं जाता, तो क्या वो इसे बर्दाश्त करते."
इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में मल्लिकार्जुन खरगे ने PM मोदी के उस आरोप को भी ख़ारिज किया कि कांग्रेस राजनीतिक मजबूरियों के कारण राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूर रही. इस पर उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियों को अभी भी कई मंदिरों में जाने की अनुमति नहीं है, ऐसे में अगर मैं अयोध्या गया होता, तो क्या वो इसे बर्दाश्त करते? बता दें कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में राष्ट्रपति को ना बुलाने पर पहले भी कांग्रेस, BJP को घेरती रही है. फरवरी 2024 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा था कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में दलितों और आदिवासियों का अपमान हुआ है. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान प्रतापगढ़ में राहुल गांधी ने ये आरोप लगाए. उन्होंने ये भी कहा था कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अडाणी, अंबानी और अभिताभ बच्चन को बुलाकर मोदी ने यह संदेश दिया कि देश की 73 प्रतिशत आबादी का कोई महत्व नहीं.
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जब खरगे से ये पूछा गया कि क्या उन्होंने बाद में सोचा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेना चाहिए था. तो खरगे ने कहा कि ये व्यक्तिगत आस्था है. जो चाहे, वो उस दिन, अगले दिन या किसी भी दिन मंदिर जा सकता है. मोदी पुजारी नहीं हैं. उन्हें राम मूर्ति की स्थापना का नेतृत्व क्यों करना चाहिए. मोदी जी ने सिर्फ़ राजनीतिक उद्देश्य से ऐसा किया. मंदिर का एक तिहाई हिस्सा अभी पूरा नहीं हुआ. ये राजनीतिक समारोह है या धार्मिक समारोह. आप धर्म को राजनीति के साथ क्यों मिला रहे हैं?
बता दें कि खरगे अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं. खरगे ने बातचीत में मोदी सरकार के "400 पार" के दावे को भी ख़ारिज किया. खरगे ने कहा कि उनके तीसरे कार्यकाल का सपना पूरा नहीं होगा. क्योंकि लोग परिवर्तन के लिए बेकरार हैं.
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