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75,000 साल पुरानी महिला की खोपड़ी पिज्जा जैसी चपटी मिली थी, शोधकर्ताओं ने अब पूरा चेहरा फिर से बनाया

माना जा रहा है कि इस कंकाल के नीचे का हिस्सा 1960 में एक खुदाई के दौरान मिला था. जिसमें अमेरिकी पुरातत्वविद राल्फ सॉलेकी ने कम से कम 10 Neanderthal आदिमानवों के कंकालों के हिस्से खोजे थे.

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ancient facial reconstruction
आधुनिक तकनीक से बनाया गया है महिला का चेहरा. (Image: AFP, आजतक)
3 मई 2024 (Updated: 3 मई 2024, 15:10 IST)
Updated: 3 मई 2024 15:10 IST
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साल 2018 में इराक (Iraq) के कुर्दिस्तान इलाके की एक गुफा के पास, एक महिला की खोपड़ी मिली थी. मालूम चला खोपड़ी 75,000 साल पुरानी है. जो प्राचीन निएंडरथल (Neanderthal) प्रजाति की महिला की है. हाल ही में इसी महिला का चेहरा फिर से बनाने में बिर्टेन के शोधकर्ताओं को कामयाबी मिली है. जिसकी तस्वीर उन्होंने दुनिया के सामने पेश कर, बताया कि उस वक्त लोग कैसे दिखते रहे होंगे.

ABS की खबर के मुताबिक, 2018 में मिली जिस आदिम महिला की खोपड़ी मिली थी, उसका नाम  ‘शानिदार जी’ रखा गया था. ये नाम उसी गुफा के नाम के ऊपर रखा गया था, जहां खोपड़ी मिली थी. बता दें इसी की मदद से विशेषज्ञ एक बड़ी खोज करने के लिए प्रेरित हुए थे. जिसमें एक विशाल चट्टान के नीचे चालीस वर्षीय निएंडरथल महिला को सोने की स्थिति में पाया गया था.

आधुनिक तकनीक से बनाया गया है महिला का चेहरा (Image: AFP, आजतक)
आधा शरीर मिला था 1960 में 

माना जा रहा है कि इस कंकाल के नीचे का हिस्सा, 1960 में एक खुदाई के दौरान मिला था. जिसमें अमेरिकी पुरातत्वविद, राल्फ सॉलेकी ने कम से कम 10 निएंडरथल आदिमानवों के कंकालों के हिस्से खोजे थे.

इस खोपड़ी के चेहरे को फिर से बना कर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बड़ी उपलब्धि पाई है. जिसमें उन्होंने एक मॉडल के जरिए महिला के सिर को फिर बनाया है. 
शोध से जुड़ी डॉ एमा पोमेरॉय इस बारे में कहती हैं,

मुझे लगता है कि इससे हमें उन्हें (निएंडरथल) समझने में मदद मिलेगी.

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40,000 साल पहले खत्म हो गए थे निएंडरथल

बताया जाता है कि करीब 40 हजार साल पहले, हम इंसानों (होमो सेपियंस) के आने के कुछ हजार सालों बाद, निएंडरथल प्रजाति धरती से खत्म हो गई थी. शानिदार जी को सबसे सुरक्षित बची खोपड़ी माना जाता है. जो दबकर करीब 0.7 इंच चपटी हो गई थी. कैम्ब्रिज के मैकडॉनल्ड्स इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च के प्रोफेसर ग्रीम बार्कर ने इस खोपड़ी की खुदाई की अगुवाई की थी. उन्होंने इस बारे में कहा कि उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि किसी निएंडरथल को वो ‘मिल’ पाएंगे.

उन्होंने कहा कि वो लोग वहां कब्रगाहों की तारीख तय करना चाहते थे. निएंडरथल के खत्म होने के बारे में जानकारी जुटाना चाहते थे. लेकिन तभी उन्हें  खोपड़ी के टुकड़े मिले और उन्होंने खोज शुरू कर दी. 

बताया जा रहा है कि निएंडरथल की खोपड़ी इंसानों से अलग दिखती हैं. माना जाता है कि उनकी भौंहों पर उभार होता है और उनमें ठुड्डी नहीं थी.

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