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सूरत में जिस कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने से BJP जीती, अब वो कहां हैं?

फ़ोन नहीं लग रहा, घर बंद है. स्थानीय मीडिया में चर्चा है कि नीलेश कुंभाणी भाजपा में शामिल होने वाले हैं.

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नीलेश कुंभानी लापता हैं. (फ़ोटो - सोशल)
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23 अप्रैल 2024 (Updated: 23 अप्रैल 2024, 17:09 IST)
Updated: 23 अप्रैल 2024 17:09 IST
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सूरत से कांग्रेस नेता नीलेश कुंभाणी कथित तौर पर ‘लापता’ हैं. खबर है कि उनके घर पर ताला है, फ़ोन पर उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा. हैं कौन नीलेश कुंभाणी? वही कांग्रेस प्रत्याशी जिनका सूरत की सीट से नामांकन रद्द हुआ, तो BJP के मुकेश दलाल निर्विरोध जीत गए. 

स्थानीय मीडिया रपटों में ये संभावना भी छप रही है कि इस ऊहापोह के बीच कुंभाणी BJP में शामिल हो सकते हैं. यहां तक कि कांग्रेस के कार्यकर्ता उनके बंद घर के बाहर पोस्टर के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिस पर लिखा था, ‘जनता का गद्दार’.

सूरत में हुआ क्या है?

सूरत लोकसभा पर 7 मई को वोट पड़ना है, मगर वहां के BJP प्रत्याशी बिना लड़े ही चुनाव जीत गए. कैसे? सिलसिलेवार ढंग से देखिए: 

18 अप्रैल: कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी ने सूरत लोकसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल किया.

19 अप्रैल: BJP कार्यकर्ता दिनेश जोधानी ने कुंभाणी के नामांकन पर आपत्ति जताई. आरोप लगाया कि उनके प्रस्तावकों के दस्तख़त फ़र्ज़ी हैं.

ये भी पढ़ें - मुकेश दलाल पहले नहीं है, उनसे पहले 35 सांसद जीत चुके हैं निर्विरोध

20 अप्रैल: मतदान अफ़सरों का कहना है कि उन्हें प्रस्तावकों से हलफ़नामा मिला है. इसमें दावा किया गया है कि नीलेश कुंभाणी के नामांकन पर दस्तख़त उनके नहीं हैं. ज़िला निर्वाचन अधिकारी ने उनसे एक दिन के भीतर जवाब मांगा.

21 अप्रैल: ज़िला निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का नामांकन रद्द कर दिया, क्योंकि वो और उनके प्रस्तावक उनके नामांकन फॉर्म का समर्थन करने नहीं आए. 

22 अप्रैल: नामांकन वापस लेने के आख़िरी दिन बसपा और निर्दलीय समेत आठ उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया. चुनांचे बीजेपी के मुकेश दलाल को विजेता घोषित किया गया है.

BJP से मिलीभगत?

दैनिक भास्कर के मृगांक पटेल की रिपोर्ट के मुताबिक़, नीलेश कुंभाणी ने असल में ‘BJP से हाथ’ मिला लिया था. कथित तौर पर BJP की ओर से कुंभाणी को ‘ऑपरेशन निर्विरोध’ की स्क्रिप्ट मिली थी, इसीलिए उन्होंने अपने नामांकन पत्र के प्रस्तावकों में कांग्रेस कार्यकर्ता-कैडर मेंबर की बजाय अपने रिश्तेदार और क़रीबियों को रखा.

फिर पर्चा दाखिल करते वक्त भी कुंभाणी किसी भी प्रस्तावक को चुनाव अधिकारी के सामने नहीं ले गए. चारों प्रस्तावकों ने दस्तख़त फ़र्ज़ी होने का शपथपत्र दे दिया और ख़ुद अंडर-ग्राउंड हो गए. सभी को नोटिस जारी किया गया, मगर कोई भी सामने नहीं आया. इसके बाद कुंभाणी और डमी प्रत्याशी सुरेश पडसाला का पर्चा ख़ारिज कर दिया गया.

अब उनके न मिलने पर अलग-अलग तरह की चर्चाएं चल रही हैं. हालांकि, अभी तक कुछ भी पुख़्ता नहीं है.

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