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सियाचिन ग्लेशियर के पास सड़क बना रहा चीन, सैटेलाइट तस्वीरें देख विशेषज्ञों की टेंशन बढ़ी

डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह सड़क पूरी तरह से अवैध है और भारत को निश्चित तौर पर राजनयिक स्तर पर चीन के साथ अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए.

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china constructing road near siachen glacier satellite pictures show
China बना रहा है Siachen Glacier के नजदीक सड़क. (फोटो: यूरोपियन स्पेस एजेंसी)
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25 अप्रैल 2024 (Updated: 25 अप्रैल 2024, 18:38 IST)
Updated: 25 अप्रैल 2024 18:38 IST
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चीन पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर में एक सड़क बना रहा (China Siachen Glacier Road) है. एक अंतरराष्ट्रीय स्पेस एजेंसी ने ये दावा किया है. कॉन्क्रीट की यह सड़क सियाचिन ग्लेशियर के उत्तर में बनाई जा रही है. इस संबंध में सैटेलाइट तस्वीर भी सामने आई हैं. सियाचिन को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धस्थल का दर्जा मिला हुआ है.

दरअसल, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का एक हिस्सा 1963 में चीन के पास गया था. इसी हिस्से में शक्सगम घाटी मौजूद है. इसी घाटी में चीन अपने हाईवे G219 को बढ़ा रहा है. ये इलाका चीन के शिनजियांग में आता है. इस सड़क के कॉर्डिनेट्स (36.114783°, 76.671051°) हैं.

इंडिया टुडे से जुड़े शुभम तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक, ये कॉर्डिनेट्स भारत के सबसे उत्तरी पॉइंट इंदिरा कोल से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित हैं. सियाचिन ग्लेशियर पर स्थित इंदिरा कोल सैन्य दृष्टि से एक फॉरवर्ड इलाका है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस साल मार्च के बाद दो बार इस इलाके में दौरे कर चुके हैं.

Siachen Glacier को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धस्थल का दर्जा मिला हुआ है. (फोटो: इंडिया टुडे)

इन सैटेलाइट तस्वीरों को यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने खींचा है. इंडिया टुडे की ओपेन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) ने इनका रिव्यू किया है. इसमें पता चला है कि सड़क के लिए एक कच्चा रास्ता पिछले साल जून और अगस्त के बीच तैयार किया गया था.

इंडियन आर्मी के फायर एंड फ्यूरी कोर के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा ने कहा कि यह सड़क पूरी तरह से अवैध है और भारत को निश्चित तौर पर राजनयिक स्तर पर चीन के साथ अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए. फायर एंड फ्यूर कोर ही करगिल, सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख में तैनात है. इसी कोर के पास इन इलाकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है.

इस सड़क के बनने की पहली खबर X (ट्विटर) पर Nature Desai नाम के हैंडल पर दिखाई दी थी. यह हैंडल इंडो-तिब्बत बॉर्डर पर नजर रखता है. 

भारत के लिए चिंता की बात

यह सड़क ट्रांस-कराकोरम ट्रैक्ट पर है. यह इलाका ऐतिहासिक तौर पर कश्मीर का हिस्सा रहा है और इस इलाके पर भारत अपना दावा करता है. अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद भारत सरकार ने जो आधिकारिक मैप जारी किया है, उसमें इस इलाके को भारत का हिस्सा दिखाया गया है.

इस इलाके का क्षेत्रफल 5,300 वर्ग किलोमीटर है. पाकिस्तान ने 1947 के युद्ध में इस इलाके पर कब्जा कर लिया था और बाद में एक द्विपक्षीय संधि के तहत इसे चीन को दे दिया था. भारत इस संधि को मान्यता नहीं देता है.

ये भी पढ़ें- सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन सीमा पर लंबे समय से सैन्य निर्माण कर रहा है

भारत के डिफेंस एक्सपर्ट्स लंबे समय से ये कहते रहे हैं कि पाक अधिकृत कश्मीर के इस हिस्से में यथास्थिति में कोई भी बदलाव भारत की संप्रुभता और क्षेत्रीय अक्षुण्णता का हनन है. यानी अगर चीन यहां पर और प्रोजेक्ट्स बनाता है तो इससे भारत की सुरक्षा को खतरा होगा.

भारत की चिंता यह भी है कि इस इलाके में कई तरह की सैन्य गतिविधियां चल रही हैं. साल 2021 में पाकिस्तान ने गिलगिट-बाल्टिस्तान प्रांत में नई सड़क बनाने की घोषणा की थी. ये सड़क मुजफ्फराबाद से मुस्ताघ पास तक जाने वाली थी. ये शक्सगम घाटी से सटी हुई पाकिस्तानी सीमा के पास का इलाका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान इन सड़क को शिनजियांग के यारकांड में चीन के हाइवे G219 से जोड़ने वाला था.

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि चीन यह सड़क इसलिए बना रहा है ताकि वो शक्सगम घाटी से खनिजों को लाने-ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सके. खासतौर पर यूरेनियम, जो सबसे ज्यादा गिलगिट-बाल्टिस्तान से निकाला जाता है. इसके साथ ही ये सड़क चीन और पाकिस्तान की सेनाओं के लिए फायदेमंद हो सकती है. 

वीडियो: तारीख : चीन की किताबें भारत के बारे में क्या कहती हैं?

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