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एक फंगस जो 'जॉम्बी' बना देता है, किस-किस को हो सकता है खतरा ये भी जान लीजिए

साल 2023 में HBO पर एक वेब सीरीज आई, नाम था ‘The Last of Us’. कहानी थी वही फिल्मों वाले जॉम्बी की, जो जिंदा लाश बनकर घूमते हैं. इस वेब सीरीज में लोग जॉम्बी बने थे एक खास वजह से, वो वजह कोई वायरस या बैक्टीरिया नहीं, एक फंगस थी. खैर ये तो फिल्मी बात है. पर सच में एक फंगस ऐसी भी है, जो किसी जीव के ‘दिमाग’ पर कब्जा करके उसे जॉम्बी बना सकती है!

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ant zombie fungus
संक्रमित बुलेट चींटी को उठाकर कुछ दूसरी चींटी बाहर फेंक आती हैं. (Image: wikimedia commons)
3 मई 2024 (Updated: 3 मई 2024, 12:22 IST)
Updated: 3 मई 2024 12:22 IST
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दक्षिण अमेरिका के आसपास के वर्षा वनों (rain forests) में एक चींटी पाई जाती है. ये जब काटती है तो भयंकर दर्द होता है. लोग तो कहते हैं कि इसके काटने से गोली लगने जैसा दर्द होता है. इसलिए इसका नाम Bullet ant रखा गया है. इसको ‘24 हॉवर आंट’ भी कहा जाता है. हिन्दी में अनुवाद करने की नाकाम कोशिश करें, तो चौबीस घंटा चींटी कह सकते हैं, इस नाम की वजह बताई जाती है कि इसके काटने का दर्द 24 घंटे तक रहता है. लेकिन आज की कहानी का मेन किरदार ये चींटी नहीं है. बल्कि इस चींटी के ‘दिमाग’ पर कब्जा करके इसे ‘जिंदा लाश’ या जॉम्बी बनाने वाली फंगस (Zombie-ant fungus) है. 

‘गोली’ वाली चींटी के दुश्मन

जिन चींटियों के बारे में हमने आपको बताया वो खतरनाक तो हैं ही, लेकिन उनका भी एक दुश्मन है. इस श्याम का एक छेनू भी है. ये है कॉर्डीसेप्स नाम की एक फंगस. वैसे तो इसका नाम इससे भी ज्यादा ‘खतरनाक’ है, इसे कहते हैं Ophiocordyceps unilateralis. लेकिन सुविधा के लिए हम इसे कॉर्डीसेप्स कहते हैं. 

(Image: Wikimedia commons)

दरअसल कॉर्डीसेप्स एक कुनबा है जिसमें कई फंगस शामिल हैं. जो परजीवी होते हैं. इनमें से कई अलग-अलग कीड़ों पर कब्जा करके उनका इस्तेमाल करते हैं. कीड़ा जड़ी के बारे में आपने सुना होगा. जिसकी एक किलो की कीमत दसियों लाख बताई जाती है. वो भी इनकी ही दूर की रिश्तेदार हैं. जो एक तरह की इल्ली या कैटरपिलर पर कब्जा करती हैं. इसे ‘कैटरपिलर फंगस’ भी कहा जाता है.

कॉर्डीसेप्स के भीतर एक और गुट है ऑफियोकार्डीसेप्स, जिसका हिस्सा हैं ये ‘जॉम्बी’ फंगस. ये चीटियों और कैटर पिलर के अलावा भी कई दूसरे कीड़ों जैसे मक्खियों वगैरह पर भी ‘डोरे’ डालती हैं. मतलब उन पर परजीवी होती हैं. पर ये ऐसा क्यों और कैसे कर लेती हैं. 

(Image: David P. Hughes, Maj-Britt Pontoppidan)
कीड़ों के दिमाग पर कब्जा क्यों करती हैं ये फंगस?

इस सवाल का सीधा सा जवाब है ‘पापी पेट’ के लिए. लेकिन फंगस में तो पेट होता ही नहीं है. फिर ये बेरहमी किस पेट को भरने के लिए होती है. तो इसका जवाब समझने से पहले हमें किसी फंगस के बारे में थोड़ा सा समझना होगा.

मामला ये है कि पौधों से इतर, हम इंसानों की तरह ये फंगस खुद से अपना भोजन नहीं बना सकती हैं. मतलब जैसे पौधे सूरज की धूप से ‘कोई मिल गया’ फिल्म के जादू की तरह अपना जुगाड़ कर लेते हैं. फंगस ऐसा नहीं कर सकती हैं.

इसलिए इनको खाने के लिए दूसरी चीजों पर निर्भर होना पड़ता है. ये या तो मृतजीवी होती हैं या फिर परजीवी. पर कॉर्डीसेप्स के मामले में ये परजीवी पना एक कदम ऊपर निकल जाता है. दरअसल ये फंगस ऊर्जा के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करती हैं. लेकिन वो जीव जिंदा होते हैं.

इस बारे में फंगस की जानकार डॉ कैथी एमी बताती हैं कि 

इनके बहुत ही छोटे अंडे जिन्हें स्पोर्स कहा जाता है. हवा वगैरह के जरिए इनके शिकारों तक पहुंचते हैं. और उनके शरीर के भीतर बस जाते हैं. फिर धीरे-धीरे वो फूटते हैं. फंगस में किसी जड़ जैसी एक संरचना होती है, जिसे माइसीलियम कहा जाता है. ये माइसीलियम कीड़े के पूरे शरीर में कब्जा करना शुरू करते हैं.

लेकिन ये पूरे कीड़े को एक साथ नहीं मारते. बल्कि पहले उसके कम जरूरी अंगों को गलाना शुरू करती हैं. ताकि वो जल्दी मरे नहीं. दरअसल फंगस में हमारी तरह शरीर के अंदर एंजाइम नहीं होते, जो खाना निगलने के बाद उसे पचाएं.

ये खाना पचाने वाले एंजाइम बाहर उड़ेल देती हैं, जिससे इनका खाना इनके शरीर के बाहर पचता है और फिर ये उसे सोख लेती हैं. ये ऐंजाइम ऐसे केमिकल होते हैं, जो जटिल तत्वों को फंगस के सोखने लायक तत्वों में तोड़ सकते हैं. 

खैर वापस बेचारे कीड़े पर आते हैं. अब कीड़े के गैर जरूरी अंगों का इस्तेमाल करने के बाद बारी आती है, उसके ‘दिमाग’ पर कब्जा करने की. जिसकी भी एक वजह है. दरअसल इस फंगस के जीवन का बड़ा मकसद है अपने स्पोर्स फैलाना. ताकि इनकी पीढ़ियां चलती रहें.

लेकिन इसमें पेंच ये है कि इसके लिए इन्हें सही धूप, सही तापमान और सही नमी की जरूरत होती है. आपने देखा होगा कि ब्रेड में फफूंदी भी नम, अंधेरी जगहों में जल्दी लगती है. 

ऐसे ही इनको एकदम सही माहौल चाहिए ताकि ये अपनी आने वाली पीढ़ी का जुगाड़ कर सकें. जनरेशनल वेल्थ या पुस्तैनी संपत्ति ना सही, अपने बच्चों के लिए इतना तो ये करती हैं. इसी माहौल तक पहुंचने के लिए ये फंगस कीड़ों के दिमाग पर कब्जा करती हैं. फिर उन कीड़ों को ऐसी जगह ले जाती हैं जहां ये उसे खाकर, अपने स्पोर्स को फिर हवा में फैला सकें. 

बुलेट चीटियों के मामले में जब कॉलोनी की चीटियों को किसी चींटी के लक्षण ठीक नहीं लगते. तब कुछ चीटियां संक्रमित (infected) चींटी को उठाकर कॉलोनी से दूर फेंक देती हैं. ये चीटियों का बड़ा निर्दयी व्यवहार लग सकता है.

लेकिन कॉलोनी को फंगस से बचाने के लिए ये जरूरी होता है. कॉर्डीसेप्स किसी चींटी कॉलोनी को पूरी तरह खत्म कर सकती है. खैर बाहर फेंक दी गई चींटी कुछ दिन भटकती है, फिर करीब 3 हफ्तों में फंगस, चीटीं को अपनी मन की जगह में ले जाकर मार देती हैं.

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ये सब कैसे कर लेते हैं ये फंगस

पहले तो हमें ये समझना होगा कि जिस दिमाग पर कब्जा करने की बात हम कर रहे हैं. वो हम इंसानों जैसा नहीं है. दूसरी तरफ फंगस में भी कोई ऐसा दिमाग नहीं है. ये ऐसा खुद के सर्वाइवल के लिए करते हैं. पर कैसे करते हैं. इसके अलग-अलग मत हैं.

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये चीटियों के दिमाग पर अपने माइसीलियम फैलाती होंगी. या फिर किसी केमिकल के जरिए उसे अपने वश में करती होंगी. लेकिन पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में हुई एक रिसर्च में साइंटिस्ट्स ने पाया कि चीटियों के पेट, सिर और बाकी अंगों में तो फंगस मिली. लेकिन उनके दिमाग में फंगस की कोई कोशिकाएं नहीं मिलीं.

इस पर कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हो सकता है, फंगस किसी बॉयोएक्टिव तरीके से दिमाग को काबू करती होंगी. मतलब किसी केमिकल के जरिए, चीटियों की तंत्रिकाओं या नर्वस को वश में करती होंगी. और फिर ये तंत्रिकाएं चीटियों के मसल्स को कंट्रोल करके, उन्हें मनचाही जगह पर ले जाते होंगे.

पर इनके ऊपर रिसर्च करने में एक समस्या है कि ये लैब में नहीं उगाई जा सकतीं. क्योंकि कीड़े चलते फिरते और नेचुरल कंडीशन में रहने चाहिए. इसलिए फंगस के किसी कीड़े के व्यवहार पर नियंत्रण करने पर रिसर्च करना मुश्किल हो जाता है.

खैर डॉ कैथी का कहना है कि ये फंगस ऐसे केमिकल निकालती है. जो किसी कीड़े के फेरेमॉन्स जैसे हो सकते हैं. फेरेमॉन्स ऐसे गंध वाले केमिकल होते हैं जो किसी कीड़े के व्यवहार पर असर डाल सकते हैं. या उसे किसी बात का सिग्नल दे सकते हैं. नेचुरली जीव कुछ खास गंध वाले केमिकल निकालते रहते हैं. जो उन्हें प्रजनन से लेकर आपस में कम्युनिकेट करने के काम में मदद करते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि ये फंगस इन्हीं केमिकल के नकल वाले फेरेमॉन्स निकालती होंगी और कीड़ों को मन मुताबिक की जगह पर ले जाती होंगी.

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