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जब वामपंथियों को निपटाने के लिए सरकार ने छोड़ दिए थे 'Vampire'!

एक मुल्क की सरकार. तख्तापलट का डर और खुफिया एजेंसियों का खेल. एक ऐसा गुरिल्ला वॉर, जिसमें विद्रोहियों को हराने के लिए सरकार ने 'Vampire' और 'Eye of God' की मदद ली थी.

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Vampire, Communist, philippines
कम्युनिस्टों को निपटाने के लिए छोड़े गए थे 'वैम्पायर (फोटो: Wikimedia/X)
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6 अप्रैल 2024
Updated: 6 अप्रैल 2024 11:09 IST
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फिलीपींस (Philippines) के घने जंगलों से गुजरते कुछ कदम अचानक ठिठक कर रुक गए हैं. ये हथियारबंद विद्रोहियों का एक दल है. जिन्हें हुक्स (Huks) कहा जाता है. हुक्स को बनाया गया था द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के दौरान, जापान से लड़ने के लिए. लेकिन अब वे अपने देश की सरकार से लड़ रहे हैं. बीच जंगल में टोली को अहसास हुआ कि टोली में सबसे पीछे चल रहा साथी गायब है. कंधे से बंदूक उतारकर सभी लोग चौकन्ने हो गए. ये दुश्मन का काम हो सकता था. लेकिन वे लोग दुश्मन से नहीं डरते थे. उन्हें डर लगता था - बस एक नाम से - आस्वांग. 

इस डर के बावजूद वे अपने दोस्त को खोजने निकले. कुछ दूर जंगल में उन्हें वो नजारा दिखाई दिया जिसने उनके होश फाख्ता कर दिए. उनका साथी पेड़ से उल्टा लटका हुआ था. और उसके गले में दांत के बने दो निशानों से खून रिस रहा था. हम कहानी बताने जा रहे हैं उस घटना की, जब तथाकथित ‘वैम्पायर’ ने एक देश में तख्तापलट होने से बचा लिया.  

रमन मैग्सेसे का देश

कहानी की शुरुआत होती है फिलीपींस से. सात हजार द्वीपों से मिलकर बना ये देश कभी स्पेन की कॉलोनी हुआ करता था. द्वितीय विश्व के दौरान जापान ने फिलिपींस पर कब्ज़ा किया. युद्ध ख़त्म होने के बाद फिलीपींस को आजादी मिली. और साल 1953 में देश के नए राष्ट्रपति बने रमन मैग्सेसे. ये वही हैं जिनके नाम पर हर साल एशिया का सबसे बड़ा पुरस्कार दिया जाता है. और किरण बेदी, बेजवाड़ा विल्सन, अरविन्द केजरीवाल समेत कई भारतीय ये पुरस्कार जीत चुके हैं.

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मैग्सेसे फिलीपींस के बहुत ही लोकप्रिय नेता थे. उनकी ईमानदारी की मिसालें दी जाती थीं. मसलन किस्सा है कि एक बार उन्हें प्लेन से कहीं जाना था. उन्हें फिलीपींस एयर फ़ोर्स का प्लेन यात्रा के लिए ऑफर किया गया. मैग्सेसे सफर के लिए तैयार हो गए लेकिन अंत में उड़ान का खर्चा अपनी जेब से दिया. ऐसे ही उन्होंने फिलीपींस की संसद के दरवाजे आम लोगों के लिए खोल दिए थे. इन सब कारनामों के चलते फिलीपींस में उन्हें डिफेंडर ऑफ डेमोक्रेसी के नाम से जाना जाता है. हालांकि मैग्सेसे को सभी लोग पसंद करते हों. ऐसा नहीं था.

रमन मैग्सेसे फिलीपींस के बहुत ही लोकप्रिय नेता थे (फोटो: X)

हुक्स नाम का एक कम्युनिस्ट गुर्रिल्ला आंदोलन मैग्सेसे का विरोधी था. हुक्स गुरिल्ला आर्मी का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था. जापानियों से लड़ने के लिए. लेकिन जब फिलीपींस आजाद हुआ हुक्स आंदोलन अपनी ही सरकार के खिलाफ युद्ध में उतर गया. हुक्स मजदूरों और गरीब किसानों का गिरोह था. और उनके विद्रोह के पीछे वाजिब वजहें थीं. मसलन फिलीपींस की सरकार अमेरिकी समर्थन से बनी थी. साल 1946 में फिलीपींस और अमेरिका के बीच एक ट्रेड समझौता हुआ. जिसके चलते अमेरिकियों को फिलीपींस के संसाधनों पर अधिकार मिल गया. हुक्स इससे खासे नाराज थे. इसलिए उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. मैग्सेसे तब सरकार में डिफेन्स मिनिस्टर हुआ करते थे. कोल्ड वॉर की शुरुआत हो चुकी थी. और मैग्सेसे अमेरिकी धड़े के समर्थक माने जाते थे. इसलिए सोवियत लीडरशिप वाले कम्युनिस्ट आंदोलन को रोकने के लिए उन्होंने हुक्स के खिलाफ फौज उतार दी.

दोनों धड़े मजबूत थे. सरकार के पास फौज थी. लेकिन हुक्स विद्रोहियों की संख्या भी 20 -25 हजार के आसपास थी. वे संगठित थे. और उनके पास हथियार भी थे. लिहाजा ये लड़ाई लगभग एक दशक एक चली. शुरुआत में मामला ऊपर नीचे होता रहा. लेकिन फिर साल 1950 में इस लड़ाई में एंट्री हुई एक ऐसे शख्स की जिसने लड़ाई का रुख मोड़ दिया.

CIA की एंट्री

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ऐसा रेयर ही हुआ कि कहीं युद्ध हो रहा हो. और उसमें CIA की एंट्री न हो. तख्तापलट के लिए CIA जो तिकड़म लगाती थी. वही तरकीबें अपने समर्थकों को सत्ता में बिठाए रखने के लिए भी अपनाती थी. ऐसा ही कुछ फिलीपींस में हुआ. साल 1950 में अमेरिकी एयर फ़ोर्स का एक अफसर फिलीपींस आया. नाम - एडवर्ड लैंसडेल. दुनिया के लिए लैंसडेल रमन मैग्सेसे के सलाहकार थे. लेकिन उनकी असली पहचान कुछ और थी. सेकेंड वर्ल्ड वॉर से पहले लैंसडेल सैन फ्रांसिस्को की एक एडवरटाइजिंग एजेंसी में काम करते थे. उन्होंने नेस्ले, वेल्स फार्गो, लेवि स्ट्रॉस जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए विज्ञापन बनाए. यानी मार्केटिंग की उन्हें अच्छी समझ थी. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वो फौज में भर्ती हुए. और युद्ध लड़ा.

युद्ध ख़त्म होने के बाद उन्हें Office of Strategic Services (OSS) ने भर्ती कर लिया. OSS दरअसल वही संस्था थी, जो बाद में CIA बनी. और CIA के एजेंट के तौर पर ही उन्हें फिलीपींस भेजा गया. ताकि सोवियत यूनियन के बढ़ते कम्युनिस्ट प्रभाव को रोका जा सके. अपने मार्केटिंग के अनुभव के चलते लैंसडेल साइकोलॉजिकल ऑपरेशन्स में माहिर थे. प्रोपेगेंडा बनाने में उनका कोई जवाब नहीं था. लिहाजा फिलीपींस में उन्हें हुक्स आंदोलन को दबाने का जिम्मा दे दिया गया. अपनी किताब, In the Midst of Wars: An American's Mission to Southeast Asia," में लैंसडेल लिखते हैं, 

“मुझे साफ़ आर्डर मिले थे. अमेरिकी सरकार चाहती थी कि मैं कैसे भी हुक्स विद्रोहियों का खात्मा कर फिलीपींस में तख्तापलट होने से रोकूं”

 लैंसडेल रमन मैग्सेसे के सलाहकार थे (फोटो: pacificatrocities)
आई ऑफ गॉड

विलियम ब्लम अपनी किताब, "Killing Hope: U.S. Military and CIA Interventions Since World War II." में लिखते हैं,

“लैंसडेल और उनकी टीम ने हुक्स आंदोलन से प्रभावित इलाकों का शोध किया. उनका खास इंटरेस्ट ये जानने में था कि फिलीपींस के आम लोग किन कहानियों में, अन्धविश्वासों में भरोसा करते हैं.”

लैंडसेल की टीम को पता चला कि आम गरीब लोग, श्राप, बुरी बला, जैसी चीजों पर भरोसा करते हैं. इसके बाद लैंसडेल ने एक ऑपरेशन चलाया. जिसका नाम था - eye of God. इस ऑपरेशन का आइडिया लैंसडेल को सेकेंड वर्ल्ड वॉर के एक ऑपरेशन से मिला था. होता ये था कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों के कुछ प्लेन जर्मन इलाकों के ऊपर उड़ाए जाते थे. और फिर लाउडस्पीकर से कुछ खास जर्मन सैनिकों का नाम पुकारा जाता था. नाम लेकर उन्हें धमकी दी जाती थी कि अगर उन्होंने सरेंडर नहीं किया तो उन्हें मार डाला जाएगा. लैंडसेल ने ऐसा ही एक तरीका फिलीपींस में आजमाया. हुक्स समर्थक इलाकों में छोटे विमान उड़ाए गए. जिनसे लाउडस्पीकर पर स्थानीय भाषा में ब्रॉडकास्ट किया जाता. प्लेन से ऐसी आवाजें आती 'जिसने हुक्स की मदद की उसे श्राप लगेगा'.

विलियम ब्लम की किताब के अनुसार ये तरीका काफी सफल रहा. और कई हुक्स लड़ाके आत्मसमर्पण के लिए तैयार हो गए. इस सफलता से उत्साहित होकर लैंसडेल ने एक और तरीका अपनाया. वे लोग हुक्स विद्रोहियों का समर्थन करने वाले लोगों की निशानदेही कर उनके घर के आगे एक आँख का निशान बना देते. इस सिंबल को अशुभ समझा जाता. इसलिए डर के मारे कई लोग हुक्स विद्रोहियों की मदद से पीछे हट जाते.

वैम्पायर का हमला

लैंसडेल साइकोलॉजिकल वॉरफेयर के तरीके आजमाकर हुक्स विद्रोहियों को लगातार परेशान कर रहे थे. लेकिन उसने अब भी अपना सबसे मारक अस्त्र नहीं आजमाया था. लैंसडेल को अपनी रिसर्च में पता चला कि फिलीपींस के लोग सबसे ज्यादा आस्वांग से डरते हैं. वैम्पायर जैसा एक जीव जो लोगों का खून पीता है. और रूप बदल सकता है. लोगों की मान्यता थी कि जिस इलाके में आस्वांग का हमला हुआ. वो गांव पूरा बर्बाद हो जाता है.

लैंसडेल ने इस अंधविश्वास को भी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया. जिस इलाके में हुक्स विद्रोहियों का गुट जमा होता, CIA के लोग पहले से आसपास के गांवों में अफवाह फैला देते कि इलाके में आस्वांग घूम रहा है. जल्द ही ये अफवाह हुक्स विद्रोहियों के पास भी पहुंच जाती. इसके बाद CIA का असली एक्शन शुरू हो जाता. लैंडसेल अपनी किताब में बताता है, 

“जिस रास्ते से विद्रोही आते जाते थे. उसकी निशानदेही कर हम अपने आदमी पहले ही वहां बिठा देते. इसके बाद जैसे ही उनका गुट उस रास्ते गुजरता. मौका देखकर रात में हम उनमें से किसी एक को अगवा कर लेते. और फिर उसके गले में दो छेद कर उसे उल्टा पेड़ से लटका देते. बाकी गुट जब उसे देखता तो उन्हें पक्का भरोसा हो जाता कि ये आस्वांग का काम है. आस्वांग का डर ऐसा था कि अगले ही रोज वो लोग उस इलाके को छोड़ देते. ”

लैंसडेल के अनुसार इन तरीकों से हुक्स विद्रोही लगातार कमजोर होते चले गए. और जल्द ही फौज ने हुक्स आंदोलन को पूरी तरह कुचल दिया. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि असल में इस तरीके का ज्यादा फायदा नहीं हुआ. आस्वांग प्रोजेक्ट नाम से वेबसाइट चलाने वाले फिल्ममेकर जॉर्डन क्लार्क के अनुसार, 

“फिलीपींस के लोग आस्वांग पर विश्वास करते हैं. लेकिन वो ये नहीं मानते कि आस्वांग खून पीता है. लोग मानते हैं कि वो गर्भवती महिला का शिकार करके, उनके अजन्मे बच्चे को खा जाता है. क्लार्क के अनुसार लैंसडेल की तरकीब का असर सिर्फ कुछ 100 -200 हुक्स विद्रोहियों पर हुआ. उनकी असली हार की वजह ये थी कि फिलीपींस सरकार को लगातार अमेरिकी मदद मिली. और साल 1954 में हुक्स विद्रोहियों के नेता ने सरेंडर कर दिया.”

CIA के साइकोलॉजिकल वॉर फेयर का कितना असर हुआ. ये पक्का नहीं कहा जा सकता. लेकिन ये बात सच है कि फिलीपींस में आज भी लोग आस्वांग पर विश्वास करते हैं. और कई बार इसके चलते विच हंटिंग जैसी घटनाएं होती हैं. अगर किसी महिला पर शक हो जाए कि वो आस्वांग को बुलाने के लिए तंत्र मंत्र करती है. तो लोग उसे मार डालते हैं. अंधविश्वास के ऐसे मामले पूरी दुनिया में देखे जाते हैं. लेकिन इनका इस्तेमाल युद्ध के दौरान होता हो. ऐसा अब कम ही देखा जाता है.

वीडियो: तारीख: CIA का ‘पिशाच’ कांड क्या है? Vampire और ‘Eye of God’ से जीती लड़ाई

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