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बाल विवाह से बचाई गई थी, इस स्टूडेंट ने पूरे राज्य में टॉप कर लकीर खींच दी

छात्रा का सपना है कि वो IPS ऑफिसर बने. वो असपारी के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की स्टूडेंट हैं.

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Girl Rescued From Forced Child Marriage Tops In Andhra Pradesh Intermediate Exam
निर्मला ने परीक्षा में 440 में से 421 नंबर हासिल किए. (फोटो- इंडिया टुडे)
15 अप्रैल 2024 (Updated: 15 अप्रैल 2024, 18:46 IST)
Updated: 15 अप्रैल 2024 18:46 IST
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किसी के पिता ऑटो चालक रहे और उनका बेटा या बेटी बोर्ड एग्जाम में टॉप कर गई. या कोई आटा चक्की चलाकर या कुत्तों को टहलाने की नौकरी कर UPSC क्रैक कर गया. सक्सेस स्टोरीज़ के ऐसे कई उदाहरण आए दिन देखने-सुनने को मिलते हैं. लेकिन आंध्र प्रदेश की एक लड़की कहानी इन सब से इतर है. पहले उन्हें ‘बाल विवाह’ से बचाया गया. अब छात्रा ने राज्य परीक्षा में पहला स्थान हासिल कर लिया है.

दृढ़ संकल्प और साहस की ये कहानी आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले की है. यहां के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) में पढ़ने वाली जी निर्मला ने राज्य की प्रथम वर्ष की इंटरमीडिएट परीक्षा (11वीं की परीक्षा) में पहली रैंक हासिल की है. एनडीटीवी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, निर्मला ने परीक्षा में 440 में से 421 नंबर हासिल किए. उनकी इस उपलब्धि पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने X पर पोस्ट कर लिखा,

भारत में वंचित वर्गों के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित आवासीय बालिका विद्यालय, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV), कुरनूल की छात्रा जी निर्मला को आंध्र प्रदेश में प्रथम वर्ष की इंटरमीडिएट परीक्षा में पहला स्थान हासिल करने के लिए बधाई. बाल विवाह से बचाए जाने जैसी चुनौतियों पर काबू पाकर उन्होंने परीक्षा में 440 में से 421 अंक हासिल किए. IPS अधिकारी बनने की उनकी आकांक्षा सामाजिक न्याय के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है. आइए उनके साहस का जश्न मनाएं और उनके भविष्य के लक्ष्यों के लिए शुभकामनाएं दें.

रिपोर्ट के अनुसार, निर्मला ने अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए YSRCP विधायक वाई साईप्रसाद रेड्डी से संपर्क किया था. उन्होंने पिछले साल उनके "गडपा गडपाकु मना प्रभुत्वम" कार्यक्रम के तहत मदद की गुहार लगाई थी. रेड्डी ने निर्मला की मदद के लिए जिला कलेक्टर जी सृजना से संपर्क साधा था. सृजना ने ही निर्मला को जबरन बाल विवाह से बचाया था. जिला प्रशासन ने बाद में निर्मला को असपारी के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में दाखिला दिलाया. जिसके बाद से निर्मला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

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