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दिल्ली यूनिवर्सिटी में किस नए कोर्स के खिलाफ शिक्षक उबल पड़े?

एडहॉक शिक्षकों को नौकरी जाने का खतरा क्यों लग रहा?

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Delhi University decision to end B.El.Ed opposed by Teachers, know about the issue
शिक्षकों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने फैसला लेने से पहले डिपार्टमेंट और शिक्षकों से संपर्क नहीं किया-फोटो (सोर्स)
25 मई 2023 (Updated: 26 मई 2023, 11:26 IST)
Updated: 26 मई 2023 11:26 IST
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दिल्ली यूनिवर्सिटी अगले एकेडमिक सत्र से बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजुकेशन (B.El.Ed) डिग्री को इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम (ITEP) से रिप्लेस करने जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत कर रही है. यूनिवर्सिटी का यह फैसला सामने आते ही कई शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. विरोध दर्ज कराने के लिए कई टीचर्स ट्विटर पर #WithdrawITEP #SaveB.El.Ed नाम से हैशटैग चला रहे हैं. यही नहीं, सभी शिक्षक 26 मई को दिल्ली यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन की तैयारी भी कर रहे हैं.

DU शिक्षक प्रोटेस्ट से जुड़ा ये मामला क्या है, क्यों शिक्षक B.El.Ed की व्यवस्था को जारी रखने की बात कह रहे हैं. यूनिवर्सिटी प्रशासन का इसमें क्या पक्ष है? पूरा मामला विस्तार से समझते हैं.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के तहत आने वाले शिक्षकों के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ने B.El.Ed की डिग्री को जुलाई, 2023 से शुरू होने वाले सत्र से ITEP से रिप्लेस करने का फैसला किया है. ये नई व्यवस्था शुरुआत में तीन कॉलेजों में लागू की जाएगी. ये कॉलेज हैं- माता सुंदरी कॉलेज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज और जीसस एंड मैरी कॉलेज.

शिक्षकों ने ये भी बताया कि यूनिवर्सिटी इस नई व्यवस्था को साल 2024 से पांच और कॉलेजों में लागू करने की योजना बना रही है. ये हैं- लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन, अदिति महाविद्यालय, इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकनॉमिक्स, मिरांडा हाउस और गार्गी कॉलेज. शिक्षकों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ये फैसला ‘बिना किसी विचार’ के लिया है. इतना ही नहीं, शिक्षकों का ये भी कहना है यूनिवर्सिटी ने ये फैसला सही प्रक्रिया के तहत नहीं लिया है.

क्यों हो रहा है विरोध?

इस मामले को समझने से पहले B.EL.ED कोर्स के बारे में जानना जरूरी है. B.EL.ED अंडर ग्रेजुएट डिग्री कोर्स है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में ये कोर्स साल 1994 में शुरू किया गया था. कोर्स DU के 8 कॉलेज में कराया जाता है. कोर्स पूरा करने पर स्टूडेंट्स 6 से 12 साल की उम्र या कक्षा एक से 8 के बच्चों को पढ़ाने के लिए एलिजिबल हो जाते हैं. यह कोर्स कुल चार साल का होता है. नए विवाद का एक कारण ये भी है.

दरअसल, B.EL.ED कोर्स चार साल का डेडिकेटेड कोर्स है. वहीं, ITEP कोर्स नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत लाया जा रहा है. ITEP तीन साल के डिग्री कोर्स के बाद एक साल की प्रोफेशनल शिक्षा देगा. माने, तीन साल के BA, B.Sc, B.Ed और B.Com कोर्स के बाद एक साल का ITEP कोर्स चुन शिक्षक बनने के लिए एलिजिबल हो सकते हैं.

विरोध कर रहे टीचर्स का कहना है कि कैसे चार साल के किसी कोर्स को एक साल के प्रोग्राम में पढ़ाया जा सकता है. इस मामले पर दी लल्लनटॉप से बात करते हुए डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन की प्रोफेसर लतिका गुप्ता ने बताया,

“B.EL.ED कोर्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है. इस कोर्स से ऐसे ग्रेजुएट्स निकले हैं जो केंद्रीय विद्यालयों सहित कई प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में शानदार शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. चार साल के डिग्री कोर्स को एक साल के इंटीग्रेटेड कोर्स से बदलने का विचार सही नहीं हैं.”

लतिका ने आगे बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फैसला लेने से पहले डिपार्टमेंट और शिक्षकों से संपर्क नहीं किया. ना ही इस मामले पर मिलकर कोई विचार किया गया. उन्होंने कहा कि कॉलेजों को नई व्यवस्था लागू के लिए पर्याप्त समय भी नहीं दिया गया.

कोई बजट नहीं जारी किया गया

नए कोर्स का विरोध कर रहे शिक्षकों का ये भी कहना है कि ITEP कोर्स के लिए कोई बजट स्वीकृत नहीं किया गया है, जिससे शिक्षकों पर दबाव भी बढ़ेगा. DU की एक और प्रोफेसर ने नाम ना छापने की शर्त पर दी लल्लनटॉप को बताया,

“नया कोर्स लाने से पहले उस कोर्स के लिए कोई बजट जारी किया जाना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं किया गया है. इसका मतलब ये होगा कि कोर्स सेल्फ-फाइनेंस मोड में चलेगा. मतलब मौजूदा कर्मचारियों पर ज्यादा प्रेशर होगा. और बहुत सारे गेस्ट टीचर्स को शामिल किया जाएगा.”

एडहॉक शिक्षकों को नौकरी जाने का खतरा

विरोध कर शिक्षकों ने दावा किया है कि गेस्ट टीचर्स के शामिल होने से विभाग में काम कर रहे एडहॉक शिक्षकों की नौकरी जाने का भी खतरा रहेगा.

ITEP का विरोध कर रहे शिक्षकों ने इन बिंदुओं को भी रेखांकित किया है,

- शिक्षकों का कहना है कि CUET 2023 के तहत ITEP कोर्स की सीटों को नहीं घोषित किया गया था.
- ये भी दावा किया है कि ITEP का करिकुलम और सिलेबस अभी तक तैयार नहीं किया गया है.
- ITEP का ढांचा विभिन्न राज्य सरकारों के रिक्रूटमेंट नियमों से मेल नहीं खाता है.

यूनिवर्सिटी का क्या कहना है?

वहीं इस मुद्दे पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस साल दोनों कोर्स (B.EL.ED और ITEP) एक साथ चलाए जाएंगे. लेकिन हमेशा के लिए ये व्यवस्था नहीं चलाई जा सकती. विकास गुप्ता ने कहा कि उन्हें सरकार से नए शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. इस वजह से दोनों कोर्स एक साथ नहीं चलाए जा सकते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि अगर ITEP को लेकर हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है, तो B.EL.ED कोर्स स्वत: ही खत्म हो जाएगा.

विकास गुप्ता ने आगे बताया कि हर कोर्स की समय सीमा होती है. हमें अब नई शिक्षा नीति को लागू करना है, जिसके तहत ये फैसला लिया गया है. विकास ने कहा कि यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे शिक्षक क्वालिफाइड हैं. वही नया कोर्स पढ़ाएंगे. इसके लिए कॉलेजों की तरफ से शिक्षकों की लिस्ट भी दी गई है. नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) की मंजूरी के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा.

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