Date: June 27, 2023

By Manasi Samadhiya

कैसे रेनबो फ्लैग बना LGBTQ का प्रतीक?

जून का महीना दुनिया भर में 'प्राइड मंथ' के तौर पर मनाया जाता है. खासकर अमेरिका में इसका बहुत महत्व है. इस महीने में LGBTQ समुदाय के सपोर्ट में कई प्राइड परेडें निकाली जाती है.

दरअसल साल 1969 में जून के महीने में अमेरिका के न्यू यॉर्क में गे अधिकारों के लिए 'स्टोनवॉल दंगे' हुए थे. ये अमेरिका में हुई सबसे बड़ी क्रांतियों में से एक माना जाता है.

1978 में 'हार्वे मिल्क' जो गे थे और उस समय के जाने माने पॉलिटिशियन थे. उन्होंने सैन-फ्रांसिस्को के गे आर्टिस्ट 'गिलबर्ट बेकर' को गे कम्यूनिटी के लिए एक सिंबल बनाने को कहा.

गिलबर्ट ने 8 रंगों वाला झंडा बनाया. उन्होंने कहा कि वो इसके ज़रिए विविधता दिखाना चाहते थे और बताना चाहते थे कि उनकी सेक्शुअलिटी उनका मानवाधिकार है.

बेकर का बनाया 8 रंगों वाला झंडा LGBTQ समुदाय के अलग-अलग पहलुओं का प्रतीक था. ये झंडा सैन-फ्रांसिस्को में 25 जून 1978 को 'गे फ़्रीडम डे परेड' के दिन पहली बार फ़हराया गया था.

1994 में स्टोनवॉल दंगों के 25 साल पूरे होने पर बेकर ने 1 मील लंबा झंडा बनाया था. जो लंबी परेड का हिस्सा बना.

साल 2017 में गिलबर्ट बेकर का निधन हो गया. पर उनका बनाया झंडा अब दुनिया भर में प्यार और क्रांति का प्रतीक है. रेनबो फ्लैग को LGBTQ समुदाय के प्रतीक के रूप में देश भर में पहचान मिल गई है.

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