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मायावती ने सच में अपने वोट बीजेपी को ट्रांसफर करा दिए?

इंटरनेट पर वीडियो वायरल हो रहा है. मुस्लिम वोटर्स मायावती से नाराज हो रहे हैं.

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22 फ़रवरी 2017 (Updated: 22 फ़रवरी 2017, 07:29 IST)
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इलेक्शन कमीशन बड़े जतन करता है कि चुनाव बिना पक्षपात के हो. वोटर्स की हसरत होती है कि वो एक साफ-सुथरे चुनाव के गवाह बनें. लेकिन ऐसा होता कहां है. राजनीति में सब जायज, सब माफ है और इसकी ताजा शिकार हैं बीएसपी सुप्रीमो मायावती.

बीते कुछ दिनों में सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहीं मायावती कहती हैं कि मुसलमान कट्टरपंथियों को पसंद करते हैं और इसी वजह से उन्होंने अपने सपोर्टर्स से अपना वोट बीजेपी को ट्रांसफर करने के लिए कह दिया, ताकि कट्टरपंथी मुस्लिम कैंडिडेट चुनाव न जीत जाए. देखिए वीडियो:

[facebook_embedded_post href="https://www.facebook.com/pradhaanG/videos/1228746960574683/"]

35 सेकेंड के इस वीडियो में मायावती ने कहा:

'मुस्लिम समाज के लोग उसको ज्यादा लाइक करते हैं, जो कट्टरपंथी होता है. (इसके बाद वीडियो में एक कट लगता है) कट्टरपंथी जो मुसलमान है, उसकी औरत चुनाव न जीत जाए, तो मैंने उनको बोला बीजेपी को वोट ट्रांसफर कर दो. (ये कहकर माया कुछ ठहरती हैं) तो मेरठ के अंदर जो शेड्यूल कास्ट के लोगों ने... मुसलमानों ने तो नहीं किया, वो तो कट्टरपंथी को गया, लेकिन मेरे कहने पर शेड्यूल कास्ट (अनुसूचित जाति), बैकवर्ड क्लास (पिछड़ी जाति) और अपर कास्ट का जो वोट हमारे साथ में जुड़ा हुआ था, तो वो बीजेपी को हमने ट्रांसफर करा दिया. तो कहीं वो कट्टरपंथी जो है, वो चुनाव न जीत जाए.'

माया के इस वीडियो में तारीख दिख रही है 10 नवंबर और दिन शुक्रवार. लखनऊ का ये वीडियो को माया के खिलाफ यूं शेयर किया जा रहा है, जैसे माया मुस्लिमों की घोर आलोचक हों और पूरी मुस्लिम कौम को कट्टरपंथी मानती हों. इस वीडियो के पीछे जिनका भी हाथ हो, लेकिन लोग इससे सहमत होते दिख रहे हैं. वो इस पर यकीन कर रहे हैं कि माया मुस्लिमों के खिलाफ बद्जुबानी कर रही हैं. लेकिन असल में ये वोटर्स, खासकर मुस्लिम वोटर्स के साथ धोखा है, क्योंकि ये वीडियो अधूरा है.

कैलेंडर खंगालिए. 2016 में 10 नवंबर को गुरुवार था, शुक्रवार नहीं. यानी ये वीडियो हाल के दिनों का नहीं है. आप खुद सोचिए. अगर बीते नवंबर में माया ने ये बयान दिया होता, तो विपक्षी पार्टियों ने क्या उन्हें यूं ही छोड़ दिया होता? दयाशंकर सिंह, संगीत सोम, आजम खान और लालू यादव जैसे नेताओं के दौर में उम्मीद भी नहीं की जा सकती कि मायावती का बयान हवा में उड़ा दिया जाएगा.

साथ ही, अगर मायावती सच में मुस्लिमों को कट्टरपंथी मानकर वोट न देने की अपील करतीं, तो इस विधानसभा चुनाव में वो मुस्लिमों को दलितों से ज्यादा टिकट भी नहीं देतीं. जहां बीजेपी ने 403 में से किसी भी सीट पर मुस्लिम कैंडिडेट नहीं उतारा, वहीं मायावती ने सबसे ज्यादा मुस्लिमों को टिकट देकर रिकॉर्ड बनाया है.

तो क्या है इस वीडियो की सच्चाई:

जो वीडियो वायरल हो रहा है, वो 10 साल पहले के एक वीडियो का एडिटेड वर्जन है. असल वीडियो है 2006 का. यही वो साल था, जब 10 नवंबर को शुक्रवार का दिन था और इसी दिन माया ने 'ऐसा ही' एक बयान दिया था.

10 नवंबर, 2006 को मायावती लखनऊ में थीं और वहां उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उस समय मेरठ में नगर निगम के चुनाव होने थे और कुछ ही महीने बाद 2007 का विधानसभा चुनाव होना था. मायावती ने उस नगर निगम चुनाव में हिस्सा न लेने का फैसला किया था और दावा किया था कि उन्होंने अपने सपोर्टर्स से बीजेपी के पक्ष में वोट डालने की अपील की थी. उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में माया ने कहा था:

'आप ये देखेंगे कि मेरठ में पहले हमारा मेयर था, लेकिन इस बार हम क्यों नहीं जीत सके? क्योंकि उस सीट के ऊपर हिंदू-मुस्लिम हो गया. और खासतौर से आप लोगों को मालूम है कि मुस्लिम समाज के लोग उसको ज्यादा लाइक करते हैं, जो कट्टरपंथी होता है. तो हमारी पार्टी की जो कैंडिडेट थी, वो भी मुस्लिम थी. लेकिन जो हमारी पार्टी को छोड़कर गया था, जो सिटिंग MLA था, तो उसने अपनी औरत को खड़ा कर दिया. वो आपको मालूम है कि उसने कैसे उल्टे-सीधे कट्टरपंथी वाले बयान दिए थे. तो उससे मुसलमान सारा एक हो गया.

तो उससे उसकी औरत चुनाव जीत सकती थी. और हमारी पार्टी की जो कैंडिडेट थी, वो कट्टरपंथी नहीं थी. तो मैंने बोला कि कहीं ऐसा न हो कि ये कट्टरपंथी जो मुसलमान है, इसकी औरत चुनाव न जीत जाए, तो मैंने उनको बोला कि बीजेपी को वोट ट्रांसफर कर दो.

तो मेरठ के अंदर जो शेड्यूल कास्ट के लोगों ने... मुसलमानों ने तो नहीं किया, वो तो कट्टरपंथी को गया, लेकिन मेरे कहने पर शेड्यूल कास्ट (अनुसूचित जाति), बैकवर्ड क्लास (पिछड़ी जाति) और अपर कास्ट का जो वोट हमारे साथ में जुड़ा हुआ था, तो वो बीजेपी को हमने ट्रांसफर करा दिया. तो कहीं वो कट्टरपंथी जो है, वो चुनाव न जीत जाए.'

देखिए वीडियो:

https://www.youtube.com/watch?v=nORM86YvVK4

मायावती ने अपनी ये बात करीब डेढ़ मिनट में पत्रकारों के सामने रखी थी, लेकिन जो वीडियो वायरल हुआ है, वो सिर्फ 35 सेकेंड का है. इसी वजह से माया की बात भड़काऊ और आपत्तिजनक लग रही है. उस समय मायावती जिस नेता की बात कर रही थीं, वो थे हाजी याकूब, जो बीएसपी से अलग हो चुके थे. मेरठ के नगर निगम के चुनाव में हाजी याकूब ने अपनी पत्नी को खड़ा किया था, लेकिन माया की रणनीति की वजह से याकूब की पत्नी चुनाव हार गईं. इस चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट ने जीत दर्ज कराई थी.

माया के कट्टरपंथी वाले बयान का जवाब देते हुए हाजी याकूब ने कहा था, ''मुसलमान को कट्टरवादी कहने वाली मायावती अपने को भूल गई हैं कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी उनके लिए सेक्युलर हैं. आडवाणी का स्वागत करेंगी, वो सेक्युलर हैं? तो वो अपने गिरेबान में झांककर देखें. और उसकी मायावती की बात का मैं बुरा भी नहीं मानता. जितनी जिसकी सोच होती है, जितना जिसके अंदर दिमाग होता है, उतनी ही बात करते हैं.'

मायावती को इतनी खरी-खोटी सुनाने वाले हाजी याकूब का इतिहास भी दिलचस्प है. 2006 में ये बसपा छोड़कर चले गए थे, जब वापस आए, तो माया ने इन्हें अपनी कैबिनेट में जगह दी. मंत्री बनाया. इस बार के चुनाव में वो बीएसपी के टिकट पर ही मेरठ साउथ सीट से ताल ठोंक रहे हैं. इतना ही नहीं, माया ने उनके बेटे मोहम्मद इमरान को भी मेरठ की सरधना सीट से उम्मीदवार बनाया है. मेरठ में वोटिंग हो चुकी है. बीएसपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी हाजी याकूब को मेरठ से खड़ा किया था, लेकिन वो हार गए थे.

करीब 6 साल पहले हाजी याकूब ने विधायक रहते हुए यूपी पुलिस के एक कॉन्स्टेबल को थप्पड़ जड़ दिया था और उसकी वर्दी फाड़ दी थी. सत्ता की हनक के चलते कॉन्स्टेबल चहन सिंह उस समय कुछ नहीं कर पाए. पुलिस ने FIR तक दर्ज नहीं की थी, लेकिन अब रिटायर होने के बाद वो शिवसेना के टिकट पर याकूब के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले महीने 23 जनवरी को याकूब ने मेरठ में एक सभा करते हुए बयान दिया था कि अगर बीजेपी-RSS सत्ता में आती है, तो वो अजान और नमाज बंद करवा देगी. इसके लिए याकूब पर मुकदमा भी दर्ज किया गया.

मायावती का वायरल हो रहा वीडियो आधा सच-आधा झूठ है, जो लोगों को गुमराह कर रहा है. 10 साल पहले तो माया ने ऐसा कह दिया, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में मायावती ऐसा कोई बयान देने की सोच भी नहीं सकतीं. सिर्फ दलित-मुस्लिम वोटर्स का गठजोड़ ही माया को सीएम की कुर्सी तक पहुंचा सकता है.

बीते दिनों ये शिगूफा भी उछला कि कहीं माया चुनाव के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन न कर लें. बात सीरियस होते देख माया ने तुरंत अपना स्टैंड साफ करते हुए बयान दिया, 'अल्पसंख्यक समाज के लोग अपना जो भी वोट सपा के उम्मीदवारों को देते हैं, तो फिर उनका वो वोट पूरी तरह से न केवल बेकार ही चला जाएगा, बल्कि इसका सीधा फायदा यहां बीजेपी को ही पहुंच सकता है.'

माया का ये वीडियो तो सिर्फ एक उदाहरण है. ऐसे न जाने कितने वीडियो लोगों के फोन में मौजूद हैं, जो उन्हें गुमराह कर रहे हैं. बेहतर होगा कि सोशल मीडिया पर जो भी शेयर किया जाए, जिम्मेदारी के साथ शेयर किया जाए.


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