‘स्त्रीशूद्रो विद्या नाद्यताम’
अर्थात स्त्रीऔर शूद्रों को पढ़ाई से दूर रखना चाहिए.पता नहीं संस्कृत जानने वाले किस पाजी ने ये श्लोकरचा.और फिर पीढ़ी दर पीढ़ी मूर्ख पंडों और उसे पोसने वाले सत्ता तंत्र ने माना,अपनाया.फिर आए कुछ लोग.जिन्होंने जाना,समझा कि ताकत ज्ञान के जरिए आती है.ज्योतिबा फुले से ये सिलसिला शुरू हुआ.इस काम में उनका साथ दिया संगिनी सावित्री बाई फुले ने.पुणे के पोंगा पंडितों की गालियों,अपमान और साजिशों को धकेलते हुए सावित्री ने दलितों,विधवाओं की शिक्षा का काम किया.
फिर इस चेतना को राजनीति के नए उभार पर आकर नए तेवर दिए भीमराव अंबेडकर ने.आजादी के बाद कई नेता आए.मगर सत्ता पर सबसे मजबूत पकड़ बनाई कांशीराम की बनाई पार्टी बीएसपी ने.और इसे अपने दम पर देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में जीत दिलाई उनकी चेली मायावती ने.2017 में यूपी में चुनाव हैं.2014 के चुनाव में मायावती ने जीरो सीट जीती.फिर भी वो सत्ता की सबसे तगड़ी दावेदार हैं.और हर कोई उनकी काट खोजने की कोशिश करता है.क्या ये सिर्फ एक दूर की कौड़ी होगी,जो ये कहा जाए कि बीजेपी ने ये काम कर लिया है.एक तेज तर्रार दलित लड़की खोज ली है.जैसे मायावती को खोजा था.सत्तर के दशक के आखिर में.कांशीराम ने.दिल्ली के एक स्लम एरिया में.जनता पार्टी के दौर में.
कौन है बीजेपी की ये लड़की? जो पहली बार में ही सांसद बन गई.जिसने लोकसभा में कांग्रेस की धज्जियां उड़ाकर रख दीं.जिसके तेवरों के फैन खुद नरेंद्र मोदी हैं.जो बचपन में पुलिस की गोली खा चुकी है.जेल जा चुकी है.जो आज भी कार्यकर्ताओं के लिए जमीन पर पालथी मार रोटी बनाने लगती है.श्रमसे नहीं घबराती.ये बीजेपी की तीसरी साध्वी की कहानी है.जिसका नाम है सावित्री बाई फुले.नई पीढ़ी की नेता.जो यूपी में बीजेपी का भविष्य रच सकती है.
उसकी पूरी कहानी के लिए वीडियो देखें.
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