समलैंगिकता पर लोगों की राय दो भागों में बंटी हुई है. एक ग्रुप है जो गे राइट्स के लिए लड़ता है, और दूसरा जो इसके अगेंस्ट है. इस दूसरे ग्रुप के लोग, जिनकी संख्या बहुत बड़ी है, ये मानते हैं कि समलैंगिकता नेचुरल नहीं है क्योंकि सेक्स तो केवल बच्चे पैदा करने के लिए होता है. और अपनी इस बात को सपोर्ट करने के लिए धर्म-अधर्म की बातें कहते हैं. पर अगर आप अपने ही कामशास्त्र में झांककर देखें तो पाएंगे कि समलैंगिकता न ही अधर्म है और न ही एब्नार्मल. पढ़िए कामसूत्र में वात्स्यायन क्या कहते हैं समलैंगिकता पर.
1. तीसरी प्रकृति के लोग दो तरह के होते हैं: एक, पुरुष जो पुरुष की तरह दिखे, दूसरा, पुरुष जो देखने, हाव-भाव और बातचीत में स्त्री जैसा दिखे. किसी दूसरे पुरुष में सेक्शुअल इंटरेस्ट रखने वाले ऐसे पुरुष औपरिष्टक, यानी मुख मैथुन, मतलब ब्लो जॉब से खुद को सैटिसफाय करें.
2. तीसरी प्रकृति के लोग अक्सर दूसरे पुरुषों के प्रति अपने प्रेम को सीक्रेट रखते हैं. वो अक्सर मालिश करने वालों की तरह रहते हैं. जिस पुरुष का वो मसाज कर रहे हों, अगर वो भी इंटरेस्ट दिखाए, तो दोनों पुरुषों में इंटरकोर्स हो सकता है.
3. वात्स्यायन कहते हैं कि ऐसा कई लोग मानते हैं कि ब्लो जॉब अधर्म है, और ब्लो जॉब लेने वाले पुरुष को बाद में इसका बुरा परिणाम झेलना पड़ता है. पर ये सच नहीं है. वात्स्यायन के हिसाब से केवल एक विवाहित महिला के साथ मुख मैथुन करना अधर्म है.
4. इसी तरह एक औरत भी दूसरी औरत के प्राइवेट पार्ट्स पर किस करके एक दूसरे को सैटिसफाय कर सकतीं हैं.
5. जब एक पुरुष दूसरे पुरुष के साथ ओरल सेक्स करे, तो उसे ‘साधारण’ कहते हैं. अगर एक औरत दूसरी औरत के साथ ओरल सेक्स करे तो उसे ‘असाधारण’ कहते हैं.
(कामसूत्र, लांस डेन )