‘हमें मालूम नहीं था ये हाल हो जाएंगे. धंधे में ऐसी गिरावट कभी नहीं देखी गई है. जिंदा रहने के लिए हम इतना ही कर सकते हैं कि पुराने नोट लें. हम पुराने नोट भी ले रहे हैं और डिस्काउंट भी दे रहे हैं. हमने लड़कियों को ये कहकर पुराने नोट लेने के लिए तैयार किया है कि हम उन्हें बदलवा देंगे. फिर भी कस्टमर नहीं आ रहे हैं.’
ये कहना है सेक्स वर्क के एक एजेंट का जो साकेत और महिपालपुर से काम करता है. और उसके मुताबिक़ ये गिरावट जीबी रोड के छोटे-छोटे रंडीखानों से लेकर बड़े कोठों तक देखी गई है. कस्टमरों की संख्या आधे से भी कम हो गई है. दुनिया का सबसे पुराना पेशा भारत में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.
ग्रीन पार्क से काम करने वाले एजेंट प्रिंस ने बताया: सेक्स इंडस्ट्री तो हार्ड कैश पर चलती है. लोगों के पास नए नोट नहीं हैं. जिनके पास नए नोट हैं, वो घर की जरूरी चीजें खरीदने में लगे हुए हैं क्योंकि सप्लाई कम है. 100 के नोट लोग बचाकर रख रहे हैं. ऐसे में भोग-विलास के लिए पैसे कौन खर्च करेगा?
एक और एजेंट के मुताबिक: हमने अपने रेट एक-तिहाई कम कर दिए हैं. जो सेवा पहले 5 हजार में मिलती थी, अब साढ़े 3 हजार में मिल रही है. हम मसाज सर्विस के नाम से अपने कस्टमर्स को फ़ोन कर घटे हुए दामों के बारे में बता रहे हैं.

कोठे पर काम करने वाली राबिया कहती है कि सात दिनों से उसने कोई कस्टमर नहीं देखा. ‘मेरे पास पहले रोज 7-8 कस्टमर आते थे. दूसरी सेक्स वर्कर्स का कहना है कि हमने पहले 500 का नोट लेने से मना किया. लेकिन फिर एजेंटों के कहने पर हम उसे लेने लगे. इसके बावजूद कोई कस्टमर नहीं आता.
जीबी रोड में कुल 150 कोठे हैं. जिनमें 5 हजार सेक्स वर्कर्स काम करती हैं. इनमें से अधिकतर का कोई बैंक अकाउंट नहीं है. ये अपने पुराने बक्सों में पैसे जमाकर रखती हैं.
‘हममें से अधिकतर लड़कियां बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश या छत्तीसगढ़ से आती हैं. इसलिए हमारे पास आधार या राशन कार्ड नहीं होते. हम केवल अपने एजेंट पर निर्भर रहते हैं पैसे बदलवाने के लिए.’ डिंपल बताती हैं.
एजेंट जीतू का कहना है, ‘लड़कियां इस पेशे में इसलिए हैं क्योंकि उन्हें पैसे कैश में मिलते हैं, जल्दी मिलते हैं.’ एक अनुमान बताता है कि दिल्ली में सेक्स के व्यापर से करोड़ों के कैश ट्रांसैक्शन रोज होते हैं. लेकिन जबसे ये नया नियम आया है, सेक्स वर्क में तेजी से गिरावट आ गई है.
’52 साल की सविता कहती हैं: हमें वैसे ही लोग इंसान नहीं समझते. हम बुरी परिस्थितियों में जीते हैं. अब ऐसा फैसला लेकर मोदी ने हमें बहुत बुरी परिस्थिति में ढकेल दिया है.’
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