# पिछले एक दशक में पहली बार ऐसा हुआ कि एयर इंडिया को दो सालों से 100 करोड़ रुपयों का फायदा हो रहा है.
# 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय हुआ था. उसके बाद से ये कंपनी लगातार हर साल लगभग 5 हजार करोड़ रुपयों के घाटे से गुजर रही थी.
# घरेलू फ्लाइट क्षेत्र में इसकी हिस्सेदारी घटकर 14% हो गई. एयर इंडिया अब इंडिगो और जेट के बाद तीसरे नंबर पर है.
# मध्य प्रदेश को टूरिज्म में चमकाने वाले अफसर अश्वनी लोहानी कंपनी के चेयरमैन बने हैं. अपने दफ्तर में गीता रखते हैं. जब मौका मिलता है, पढ़ लेते हैं.
# इंडिया टुडे को उन्होंने बताया कि एक दिन पन्ना खोला तो मिला: हे कृष्ण, सभी संशयों से मुक्ति दिलाने वाले, मेरे इस संशय का समाधान करो,, क्योंकि ये काम केवल तुम ही कर सकते हो.
# इनके मुताबिक उसी दिन अरुण जेटली ने दूरदर्शन पर कहा: एयर इंडिया में लगने वाला पैसा स्कूलों में भी लग सकता था. हम सारे कदम तौल रहे हैं.
# केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री गजपति राजू ने कहा: महाराजा दिवालिया हो चुके हैं और हम दिमाग खपा रहे हैं कि कैसे इनको बाहर निकाला जाए.
# 1988 में जब दोनों कंपनियां घाटे में चल रही थीं, तब पायलट से पीएम बने राजीव गांधी ने फ्लाइट क्षेत्र से सरकारी आधिपत्य हटाकर प्राइवेट कंपनियों को बढ़ावा देना शुरू किया.
क्या हुआ एयर इंडिया के साथ? क्यों महाराजा इस स्थिति में पहुंच गये?
1. 1932 में टाटा एयरलाइंस ने भारत में फ्लाइट उड़ाना शुरू किया. 1946 में इसका नाम बदलकर एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया.
2. 1953 में सात और फ्लाइट कंपनियों के साथ मिलकर इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. नया एयर कॉर्पोरेशन नियम बना. दो निगम बने: इंडियन एयरलाइंस (घरेलू) और एयर इंडिया (अंतरराष्ट्रीय).
3. 25 साल तक टाटा ने एयर इंडिया को चलाया था और इसी दौरान इनका सिम्बल शुभंकर दुनिया में मशहूर हुआ. पर जब ब्रिटेन की पीएम मार्गरेट थैचर ने अपने यहां की एयरलाइन को प्राइवेट कर दिया, तो इंडिया भी सोचने लगा, क्योंकि सरकार इसे चला नहीं पा रही थी. पर इंडिया तुरंत फैसले नहीं लेता.
4. 1981 में क्षेत्रीय फीडर लाइन की भूमिका में कंपनी वायुदूत का गठन हुआ.
5. 1990 में ए320 विमान की दुर्घटना के बाद समूचे बेड़े को वापस ले लिया गया. इंडियन एयरलाइंस को भारी घाटा हुआ. घाटा लगातार होता रहा. 1993 में वायुदूत को इंडियन एयरलाइंस में विलय कर दिया गया.
6. 1994 में एयर कॉर्पोरेशन नियम खत्म हुआ और प्राइवेट कंपनियों को बढ़ावा दिया जाने लगा. ये कंपनियां सफल होने लगीं.
7. एक साल में जेट, सहारा, मोदीलुफ्त, ईस्टवेस्ट और दमानिया नाम की प्राइवेट एयरलाइन्स आ गईं. घरेलू बाजार के 45 फीसदी हिस्से पर इनका कब्जा हो गया. इंडियन एयरलाइंस ने बजाय सुधार के कहना शुरू किया कि प्राइवेट के चलते हमें घाटा हो रहा है.
सारी कंपनियों को 4 संकटों का सामना करना पड़ा. कम ट्रैफिक, अत्यधिक क्षमता, खराब नतीजे और उच्च यूनिट लागत. इनको फोर डेडली हॉर्समेन के नाम से जाना जाता है. कई तो बंद हो गईं, पर सरकारी कंपनियां जनता के पैसे पर चलती रहीं.
इस कोशिश का ये फायदा हुआ है कि घाटा और बढ़ गया
1. 2003 में नरेश चंद्रा कमिटी ने इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन का प्रस्ताव दिया जिसका खूब विरोध हुआ. मनमोहन सरकार ने इस प्रस्ताव को कोल्ड स्टोरेज में डाल दिया. और प्रफुल्ल पटेल के नेतृत्व में दोनों राष्ट्रीय सेवाओं को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाने लगा. मतलब हार नहीं मान रहे थे कि ये सरकार का काम नहीं है. फ्लाइट तो उड़ायेंगे.
2. 2005 में एयर इंडिया ने 33 हजार करोड़ रुपयों में 50 बोइंग जहाज खरीदे. ये व्यापार बढ़ाने की पहल थी.
3. 2007 में नाम बदला गया और 2010 में फिर बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया. सारे टोटके आजमाए जा रहे थे. इसी साल दोनों कंपनियों का विलय भी किया गया. पर विलय होने में कई साल लग गये. दोनों के कर्मचारियों के पेमेंट और सारा सिस्टम एक करने में बहुत पैसा भी खर्च हो गया. 5 साल के अंदर कंपनी 20 हजार करोड़ रुपयों के कर्ज में डूब गई.
4. 2011 में सीएजी ने 93 जहाज खरीदने के लिए इनको खूब लताड़ा क्योंकि इसका इस्तेमाल नहीं हो पाया था. और ये घाटे में चला गया.
5. 2012 में केंद्र सरकार ने आने वाले 20 सालों में एयर इंडिया में 42 हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्लान बनाया.
6. 2014 में एयर इंडिया स्टार एलायंस का सदस्य बना जिससे इंटरनेशनल कनेक्टिविटी में बढ़ोत्तरी हुई.
7. 2016 में सीएजी ने इनको फिर लताड़ा कि बहाली की योजना बहुत बुरी है.
मामला जितना बड़ा, ऑपरेशन भी उतना ही तगड़ा
1. 2017 में एयर इंडिया का कुल घाटा 52 हजार करोड़ रुपये हो गया है. अब सरकार इसका प्राइवेटाइजेशन करने का मन बना रही है.
2. आयरनी ये है कि भारत का घरेलू विमानन क्षेत्र इतने सालों में बढ़ता गया है. चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा घरेलू बाजार.
3. प्राइवेट कंपनी स्पाइसजेट डूबते-डूबते बच गई. जेट इतिहाद के साथ मिलकर बड़ी हो गई है. स्पाइसजेट के अजय सिंह ने इंडिया टुडे से कहा कि एयर इंडिया को मुनाफे में नहीं लाया जा सकता. इसको बेच देना चाहिए.
4. ब्रिटेन के एनैलिस्ट साज अहमद कहते हैं कि एयर इंडिया सगे-संबंधियों को भरकर नौकरी देने का सरकारी कार्यक्रम है. सरकारें जानती ही नहीं थीं कि इससे कैसे निपटें और इसमें पैसा झोंकते जा रही थीं.
5. इस कंपनी का निजीकरण पीएम नरेंद्र मोदी की इमेज भी बिल्ड करेगा. उनकी कड़े फैसले लेने वाले नेता की छवि में बढ़ोत्तरी होगी.
* इंडिया टुडे से इनपुट के साथ.