मोबाइल कॉन्टैक्ट से लेकर कैमरा और SMS तक, Sanchar Saathi की एंट्री से हड़कंप क्यों मचा है?
Sanchar Saathi App: मोबाइल में पहले से इंस्टाल और डिलीट न होने वाला Sanchar Saathi आखिर क्या बदल देगा. कौन सा डेटा लेगा. और क्यों मचा है इतना बवाल.

आपके मोबाइल में Sanchar Saathi ऐप पहले से इंस्टाल होकर आएगा वो डिलीट भी नहीं होगा. डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन्स (DOT) के इस आदेश के आते ही सरकार और विपक्ष के बीच कहासुनी शुरू हो गई है. जहां विपक्ष इसे निजता (प्राइवेसी) का हनन बता रहा है तो सरकार इसे साइबर सेफ्टी के लिए जरूरी बता रही है. ऐसे में एक सवाल उठना लाजमी है. आखिर ऐसा क्या है इस ऐप में जो जिसने संसद के शीत सत्र के बाहर भी गर्मी बढ़ा दी है. ऐप तो पहले से ही उपलब्ध है और करोड़ों लोगों के फोन में डाउनलोड भी है.
हम समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर Sanchar Saathi ऐप के पहले से इंस्टाल होकर आने से क्या होगा. ऐप आपके कौन से डेटा को एक्सेस कर सकता है. इसके डिलीट नहीं होने से क्या होगा. आज Sanchar Saathi ऐप के डेवलपर से संचार स्थापित करते हैं.
क्या है संचार साथी ऐपडिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन्स (DOT) का एक अंब्रेला ऐप है जो कई सर्विसेस मसलन CEIR और TAFCOP को मिलाकर बनाया गया है. कुछ साल पहले तक फोन की IMEI का लेखा-जोखा रखने वाला CEIR और आपके नाम के मोबाइल कनेक्शन की जानकारी देने वाला TAFCOP अलग-अलग पोर्टल हुआ करते थे. मई 2023 में सरकार ने इनको एक करके संचार साथी पोर्टल या कहें तो वेबसाइट में बदल दिया.
इस साल जनवरी में इसका ऐप भी आ गया. सिर्फ गूगल प्ले स्टोर पर इसके 1 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड हैं. ऐप iOS यूजर्स के लिए भी उपलब्ध है. ऐप की मदद से कई सारे जरूरी काम किये जा सकते हैं. जैसे चोरी हुए मोबाइल को लॉक करना और ट्रेस करना. आपके नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन हैं, उसका पता भी यहीं से चल जाता है. आपका मोबाइल असली है या नकली, इसका पता भी इस ऐप के जरिए चल जाता है.

देश के तमाम टेक एक्सपर्ट इसको अपने मोबाइल में डाउनलोड करने की सलाह देते हैं. सरकार भी समय-समय पर इसके इस्तेमाल की बात करती है. मगर अब सरकार चाहती है कि यह ऐप पहले से फोन में डाउनलोड हो और डिलीट भी नहीं हो.
क्या होगा ऐसा होने से: दरअसल सरकार का कहना है कि इस ऐप कि मदद से पिछले 11 महीने में लगभग 7 लाख से ज्यादा चोरी हुए फोन रिकवर हुए हैं. अकेले अक्टूबर में 50 हजार फोन बरामद हुए. ऐसे में अगर ऐप पहले से इंस्टाल होकर आएगा और डिलीट भी नहीं होगा तो चोरी हुए फोन को ट्रेक करना आसान होगा. साइबर अपराध रुकेंगे. फोन का IMEI नंबर बदलकर ठगी करने वालों को पकड़ा जा सकेगा.
दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल मार्केट जिसमें 120 करोड़ सब्सक्राइबर हैं, उसमें यह बात ठीक तो लगती है मगर चोरी हुए मोबाइल का एक स्याह पक्ष और भी है. चोरी हुए मोबाइल आजकल वापस से कम ही सेल होते हैं. इनके पार्ट्स निकालकर मार्केट में सेल किये जाते हैं. इसके पीछे का एक कारण iOS और एंड्रॉयड स्मार्टफोन के नए फीचर्स हैं. उदाहरण के लिए आईफोन में Stolen device protection फीचर आता है जो बंद आईफोन भी ट्रेस कर सकता है.
एंड्रॉयड फोन में Theft protection जैसा फीचर मिलता है. मॉडर्न एंड्रॉयड स्मार्टफोन तो बिना यूजर की मर्जी के स्विच ऑफ और रीस्टार्ट भी नहीं होते. मतलब साफ है कि चोरी का फोन बेंचना एक मुश्किल और रिस्क वाला काम. इसलिए पार्ट्स निकालो और सेल करो. आईफोन और सैमसंग के फ्लैग्शिप डिवाइस तो शायद चोरी ही इसलिए होते हैं. ऐसे में संचार साथी ऐप फोन में होगा भी तो क्या असर डालेगा. इसका जवाब शायद सरकार बेहतर तरीके से दे सकती है. यह तो रही ऐप के बाहर की जानकारी. अब जानते हैं कि ऐप आपके किस डेटा का एक्सेस ले सकता है.
आपका डेटा एक्सेस कितनासंचार साथी ऐप अगर एंड्रॉयड फोन में इंस्टाल है तो यह आपके कॉन्टेट, एसएमएस, कॉल, कैमरा, फोटो और फाइल का एक्सेस ले सकता है. आईफोन में फोटो, फाइल और कैमरे का एक्सेस मिलेगा. हालांकि आप कौन सी जानकारी शेयर करना चाहते हैं, इसका कंट्रोल आपके हाथ में होता है. फोन की सेटिंग्स में आपको परमिशन मैनेजर में इसका ऑप्शन मिल जाता है. संचार साथी आपकी कौन सी जानकारी का एक्सेस ले सकता है, इसकी जानकारी भी आपको ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में मिल जाएगी. हालांकि संचार साथी अकेला ऐसा ऐप नहीं है जो इस प्रकार से आपका डेटा एक्सेस कर सकता है.

कई और ऐप मसलन WhatsApp या पेमेंट ऐप भी आपकी निजी जानकारी का एक्सेस रखते हैं. गूगल पे जैसे ऐप में तो बिना लोकेशन ऑन किये भुगतान भी नहीं होता. मतलब उसके पास आपकी पल-पल की खबर होती है. कहने का मतलब ऐप्स के पास आपकी निजी जानकारी होती है. लेकिन ऐप्स इसको थर्ड पार्टी से शेयर नहीं करते और आपके कहने पर आपका डेटा डिलीट भी करते हैं. ऐसा दावा किया जाता है और ऐप्स की पॉलिसी में लिखा भी होता है.
लेकिन गाहे-बगाहे इन सारे ऐप्स पर हमारी निजी जानकारी को थर्ड पार्टी ऐप्स से शेयर करने के आरोप लगते रहते हैं. आजकल AI का जमाना है तो आपकी निजी जानकारी का इस्तेमाल इनको ट्रेंड करने के लिए भो होता है, एक्सपर्ट ऐसा कहते हैं. क्योंकि संचार साथी एक सरकारी ऐप है तो बात बढ़ना ही थी. देखने वाली बात होगी कि सरकार इस पर क्या जवाब देती है.
देखने वाली बात तो यह भी होगी कि ऐप्पल इस आदेश को कैसे लेगा. वो तो अपने फोन में थर्ड पार्टी ऐप्स पहले से इंस्टाल नहीं करता है भले सरकार से भिड़ना पड़े. इंडिया में 8 करोड़ एक्टिव डिवाइस के साथ उसका मार्केट शेयर भी लगभग 4.5 फीसदी है. ऐसे में वो शायद बीच का रास्ता निकाल सकता है. माने वो अपने यूजर्स को कह सकता है कि भईया यह ऐप तो डाउनलोड करना होगा. अब क्या होगा, वो जल्द पता चल ही जाएगा.
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