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ऐप्स पहुंचाते हैं आपके फोन को नुकसान, बचने के हैं कई तरीके

जो ऐप्स आप सबसे ज्यादा यूज करते हैं, वही नुकसान भी ज्यादा करते हैं.

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रोज काम आने ऐप्स भी स्मार्टफोन को नुकसान पहुचाते हैं.
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सूर्यकांत मिश्रा
31 दिसंबर 2021 (Updated: 31 दिसंबर 2021, 10:18 AM IST)
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"दे आर वैरी डिमाइंडिंग (They are very demanding)", आपको लग रहा होगा कि ऐसा किसी कंपनी के कर्मचारी ने अपने बॉस के लिए कहा होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. बहुत सालों पहले Google की पेरेंट कंपनी Alphabet के सीईओ सुंदर पिचाई ने हम भारतीयों के बारे में ऐसा कहा था. दरअसल ये बात निगेटिव नहीं, बल्कि पॉज़िटिव सेंस में कही गई थी. पिचाई का कहना था कि भारतीयों की यही बात उनको सबसे ज्यादा पसंद है. अब Google और सुंदर पिचाई तो हमारी डिमांड्स पूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन क्या आपको पता है कि आपके फोन में उपलब्ध ऐप्स भी कोई कम डिमांडिंग नहीं होते. अगर आपकी सोच है कि ऐसा कुछ नहीं होता तो गलतफहमी दूर करने का वक्त आ चुका है. ऐप्स अपनी सर्विस के बदले में आपसे बहुत कुछ मांगते हैं और कई बार इन डिमांड्स से आपके फोन को नुकसान भी होता है. ऐप्स की इन्हीं डिमांड्स से आपके फोन की बैटरी से लेकर मेमोरी तक का नुकसान होता है. एक बार ये आपके घर में या कहें मोबाइल में घुसे नहीं कि इनकी खुराफातें चालू. आइए ऐप्स की उन डिमांड्स पर नज़र डालते हैं जो हमारे फोन पर असर डालती हैं. इन डिमांड्स से निपटने का इलाज भी लगे हाथ आपको बताएंगे. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि जो ऐप्स आप सबसे ज्यादा यूज करते हैं, वही नुकसान भी ज्यादा करते हैं. इस संबंध में Pcloud की एक रिपोर्ट भी है जिसमें बताया गया है कि टॉप 20 में वही ऐप्स (Apps) हैं जिनको हम हर दिन इस्तेमाल में लाते हैं, जैसे कि Facebook, YouTube, WhatsApp और भी बहुत सारे. बात इन ऐप्स की डिमांड्स की आप जब भी कोई ऐप अपने मोबाइल पर इंस्टॉल करते हैं तो उसको यूज करने से पहले वो आपसे कुछ डिमांड करता है. डिमांड कहिए या इजाजत, जैसे कि आपकी लोकेशन एक्सेस करने की, फोन बुक रीड करने से लेकर मैसेज पढ़ने तक की. ये ऐप्स आपसे फोटो गैलरी, वाई-फ़ाई, कैमरा, माइक्रोफोन और फ़ोल्डर का भी एक्सेस मांगते हैं. सोशल मीडिया ऐप्स तो 11 एक्स्ट्रा फीचर की डिमांड करते हैं. इन डिमांड्स में कुछ को तो मना किया जा सकता है, लेकिन ज्यादातर के लिए आपको हामी भरना पड़ती ही है. क्या असर पड़ता है आपके फोन पर? आसान सा जवाब है. जितनी ज्यादा डिमांड्स होंगी उनको पूरा करने के लिए आपके फोन को ज्यादा ताकत की जरूरत पड़ेगी. ज्यादा ताकत मतलब फोन की बैटरी पर सीधा असर. फोन की मेमोरी और ओवरऑल परफ़ॉर्मेंस पर भी साफ असर पड़ता है. आप ऐप को यूज नहीं भी कर रहे हैं तो वो बैकग्राउंड में काम कर रहे होते हैं और डेटा की खपत बढ़ाते हैं. ये ऐप आपके फोन की स्टोरेज पर भी असर डालते हैं. आम तौर पर आपके फोन में 64 जीबी की स्टोरेज होती है और कई ऐप्स अच्छी खासी स्टोरेज पर कब्जा जमाकर बैठते हैं, भले काम एक पैसे का ना करें. आपको समझ आ रहा होगा कि ऐप चाहे रोज काम आने वाले हों या कभी-कभार, फोन पर असर डालते ही हैं. आप कहोगे कि क्या सारे ऐप डिलीट कर दें या स्मार्टफोन छोड़कर एक फीचर फोन खरीद लें. हम आपसे ऐसा कुछ करने के लिए नहीं कह रहे, लेकिन बहुत कुछ ऐसा किया जा सकता है जिससे आपको इस परेशानी से काफी हद तक मुक्ति मिल सकती है. क्या-क्या कर सकते हैं? सबसे पहले तो हर ऐप की सभी डिमांड मत पूरी कीजिए. उदाहरण के लिए, मौसम का हाल बताने वाले ऐप को आपकी लोकेशन का क्या करना है. आपके शहर में बारिश होगी तो संभवतः आपके घर पर भी होगी, फिर उसके लिए आपकी सटीक लोकेशन का एक्सेस क्यों देना. सोशल मीडिया ऐप्स को भी आपकी लोकेशन की जरूरत नहीं है. सोशल मीडिया ऐप्स आमतौर आपकी लोकेशन को एक्सेस करके उसके हिसाब से आपको कंटेंट परोसते हैं. आप लोकेशन बंद कर सकते हैं या आपको जरूरी लगता है तो आप "While Using App" का विकल्प चुन सकते हैं. ऐसा करने से आप जब ऐप को यूज कर रहे होते हैं, उस वक्त ही आपकी लोकेशन शेयर होगी. ऑलवेज ऑन तो भूलकर भी चालू नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से आपकी फोन की बैटरी और डेटा की बचत तो होगी ही, प्राइवेसी भी बनी रहेगी. बैकग्राउंड रिफ्रेश बंद कीजिए आपने ऐप को इस्तेमाल किया और आगे निकल गए. स्मार्टफोन अपनी समझदारी से उस ऐप को सुला देते हैं. मतलब हाइबरनेशन में डाल देते हैं. ऐसा करने से आपके फोन के प्रोसेसर को तो आराम हो जाता है, लेकिन डेटा और बैटरी को नहीं. यदि बैकग्राउंड रिफ्रेश ऑन है तो ऐप समय-समय पर नए नोटिफिकेशन भेजता रहेगा और इसमें डेटा के साथ बैटरी की भी खपत होगी. मान लीजिए कि आपके फोन में किसी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर का ऐप है जिसके लिए बैकग्राउंड रिफ्रेश ऑन है तो वो सिर्फ आपका डेटा और बैटरी खाने का काम करेगा, क्योंकि आप उसको महीने में शायद एक बार यूज करते होंगे. बैंकिंग ऐप्स भी इसी श्रेणी में आते हैं. सबसे पहले तो बैकग्राउंड रिफ्रेश बंद कर दीजिए. यदि ऐसा नहीं करना है तो सिर्फ उन ऐप्स के लिए ऑन रखिए जिनकी आपको सच में जरूरत है. आपके फोन की सेटिंग्स में इसका ऑप्शन होता है. मल्टीपल ऐप्स से बचिए एक काम के लिए सिर्फ एक ऐप का इस्तेमाल आपको कई झंझटों से मुक्ति दे सकता है. उदाहरण के लिए फूड डिलिवरी के लिए एक ऐप इस्तेमाल में लाया जा सकता है. ऐसा करने से आपके फोन की स्टोरेज, बैटरी और डेटा तीनों बचे रहेंगे. दवाइयां उपलब्ध कराने वाले ऐप या न्यूज से जुड़े एक ऐप से आपका काम आसानी से चल जाएगा. ऐप्स भले ही अलग-अलग कंपनी के हों, तकरीबन एक सी ही सर्विस और ऑफर मुहैया कराते हैं. सोशल मीडिया के साथ ऐसा नहीं कर सकते, लेकिन होटल बुकिंग के लिए बहुत सारे ऐप्स का भला क्या काम. अपनी जरूरत और पसंद के हिसाब से कोई भी ऐप आपके लिए सही रहेगा. ऐप रीइंस्टॉल आजकल फोन में ऐसी सुविधा होती है कि आप यूज ना होने वाले ऐप को अस्थाई तौर पर डिलीट कर सकते हैं. ऐसा करने से ऐप डिलीट तो हो जाएगा लेकिन उसका डेटा नहीं, मतलब आपको जब जरूरत हो तब इंस्टॉल करके यूज किया जा सकता है. इस फीचर का नाम अलग-अलग होता है तो आप अपने फोन के हिसाब से Google पर या कंपनी की वेबसाइट पर देख सकते हैं. ये तो हो गई उन ऐप्स की बात जो कम यूज होते हैं, लेकिन रोज यूज होने वाले ऐप्स के साथ भी ऐसा किया जा सकता है. ऐप्स आपके फोन की स्टोरेज यूज करते हैं, भले आपने कुछ सेव किया हो या नहीं. उदाहरण के लिए एक न्यूज ऐप है जो 23.2 MB का है लेकिन स्टोरेज 130 MB का ले रखा है. आप ऐप को डिलीट करके फिर से इंस्टॉल कर सकते हैं तो प्रोसेस जीरो से स्टार्ट हो जाएगी. हर ऐप कितनी स्टोरेज खा रहा है, इसकी जानकारी फोन की सेटिंग्स से आपको मिल जाएगी. एक्टिविटी ट्रैकिंग बंद कीजिए आपने देखा होगा कि जब भी आप किसी ऐप पर कुछ सर्च करते हैं तो उससे जुड़े पॉप अप आपको कई दूसरे ऐप पर भी दिखने लग जाते हैं. इंटरनेट की भाषा में इसको ट्रैकिंग कहा जाता है. आप अपने फोन में इनको बंद कर सकते हैं. आईफोन यूजर के लिए ये बहुत आसान है, क्योंकि प्राइवेसी के अंदर इसके लिए बकायदा एक टैब है जिसमें आप अपने हिसाब से ऐप्स की ट्रैकिंग ऑफ कर सकते हैं. एंड्रॉयड में ऐसा कोई ऑप्शन अभी तो नहीं है, लेकिन आप थर्ड पार्टी ऐप जैसे डक डक गो का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक बात का विशेष ध्यान रखिए कि कई सारे ऐप ऐसा करने का दावा करते हैं लेकिन वो सिर्फ मालवेयर होते हैं और आपका डेटा चुराने का काम करते हैं. एक्टिविटी ट्रैकिंग बंद होने से आपको फालतू के विज्ञापन से तो छुटकारा मिलेगा ही, फोन की बैटरी और ओवरऑल परफ़ॉर्मेंस पर भी असर साफ दिखेगा. स्मार्टफोन ऐप्स के साथ हमारा रिश्ता कभी नहीं खत्म हो सकता. यूज तो करना पड़ेगा ही और कुछ डिमांड भी पूरी करनी पड़ेगी, लेकिन सारी नहीं. अपनी जरूरत के हिसाब से चलिए और स्मार्टफोन का स्मार्टली आनंद लीजिए.

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