एक कहानी रोज़
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मंजूर एहतेशाम की कहानी - रमज़ान में मौत
मंजूर एहतेशाम की कहानी - रमज़ान में मौत
1973 में एक कहानी प्रकाशित हुई थी. नाम था ‘रमज़ान में मौत’. इस कहानी में एक किरदार के मौत एक इर्द-गिर्द रमज़ान के पवित्र महीने का ऐसा त्यौहार बुना गया कि आज भी बेहतरीन कहानियों में ‘रमजान में मौत’ का नाम लिया जाता है. अभी भी रमज़ान का ही महीना चल रहा है. मगर दुखद … और पढ़ें मंजूर एहतेशाम की कहानी – रमज़ान में मौत
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एक कहानी रोज़ में आज की कहानी: - दुलारी का छेका
एक कहानी रोज़ में आज की कहानी: - दुलारी का छेका
दी लल्लनटॉप के ‘एक कहानी रोज़’ में हम आपको दुनिया-जहान की कहानियां पढ़ाते हैं. कई कहानियों को पढ़कर आप अपना प्यार भी हमें सूद समेत चुकाते हैं. बात कहानियां पढ़ने-पढ़ाने की नहीं है. बात है कि उस कहानी से हम अपने भीतर कितना बचा ले जाते हैं. चाहे वो व्यंग्य हो, कोई चुटकुला हो या … और पढ़ें एक कहानी रोज़ में आज की कहानी: – दुलारी का छेका
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'मरने के लिए आत्महत्या बहुत जरूरी नहीं है!'
'मरने के लिए आत्महत्या बहुत जरूरी नहीं है!'
निर्मल वर्मा ने अपनी ज़िन्दगी में खूब लिखा. साहित्य अकादमी से लेकर ज्ञानपीठ जैसे पुरस्कार उनको मिले. आज पढ़िए उनकी कहानी जलती झाड़ी. मैं उस शहर में पहली बार आया था. सोचा था, चंद दिन यहां रहकर आगे चला जाऊंगा; किंतु कुछ अप्रत्याशित कारणों से रुक जाना पड़ा. दिन-भर होटल में रहता और जब ऊब … और पढ़ें ‘मरने के लिए आत्महत्या बहुत जरूरी नहीं है!’
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मासूम बच्चों की इन कुर्बानियों का आजादी के खून से क्या ताल्लुक?
मासूम बच्चों की इन कुर्बानियों का आजादी के खून से क्या ताल्लुक?
मेरी मां कहां दिन के बाद उसने चांद -सितारे देखे हैं. अब तक वह कहां था? नीचे, नीचे, शायद बहुत नीचे…जहां की खाई इंसान के खून से भर गई थी. जहां उसके हाथ की सफाई बेशुमार गोलियों की बौछार कर रही थी. लेकिन, लेकिन वह नीचे न था. वह तो अपने नए वतन की आजादी … और पढ़ें मासूम बच्चों की इन कुर्बानियों का आजादी के खून से क्या ताल्लुक?
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'लल्लनटॉप कहानी कंपटीशन' में चुनी गई कहानी - 'चरित्रहीन'
'लल्लनटॉप कहानी कंपटीशन' में चुनी गई कहानी - 'चरित्रहीन'
लल्लनटॉप कहानी प्रतियोगिता का चौथा संस्करण 2019 में आयोजित किया गया था और इसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया था. कई चरणों के क्रमबद्ध चयन के बाद हमने 15 टॉप कहानियां सेलेक्ट कीं, जिनको फिर से हमारे तटस्थ निर्णायक दल ने जांचा. निर्णायक दल को इसमें से तीन कहानियां एक ही मयार की लगीं. इसलिए … और पढ़ें ‘लल्लनटॉप कहानी कंपटीशन’ में चुनी गई कहानी – ‘चरित्रहीन’
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उसने गंडासा उठाया, सतनाम कौर का चेहरा देखा और फिर...
उसने गंडासा उठाया, सतनाम कौर का चेहरा देखा और फिर...
दुष्यंत कवि-कथाकार, गीतकार, फ़िल्म प्रोफेशनल हैं. FTII, पुणे से फ़िल्म की तमीज़ सीखी है. इतिहास में पीएचडी हैं. उनका शोधग्रंथ ‘स्त्रियां: पर्दे से प्रजातंत्र तक’ नाम से राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ. कुल 8 किताबें प्रकाशित. कहानी संग्रह ‘जुलाई की एक रात’ नाम से पेंगुइन से प्रकाशित और लोकप्रिय लिस्ट में शामिल. उपन्यास ‘वाया गुड़गांव’ … और पढ़ें उसने गंडासा उठाया, सतनाम कौर का चेहरा देखा और फिर…
भैरंट
‘आज पेड़ मांग रहा है, कल को मेरी जान मांग लेगा. परसों कुछ और मांग लेगा.’
‘आज पेड़ मांग रहा है, कल को मेरी जान मांग लेगा. परसों कुछ और मांग लेगा.’
रामकुमार सिंह. राजस्थान के फतेहपुर से हैं. मौजूदा वक्त में मुंबई रहते हैं. फिल्मों में काम करते हैं. सरकार 3, जेड प्लस, भोभर जैसी फिल्मों की कहानी लिख चुके हैं. अनारकली ऑफ आरा में पत्रकार का रोल किए थे. कास्टिंग, म्यूजिक, प्रोडूसर वाले काम करते रहते हैं. इन दिनों लोककथाओं को दिलचस्प अंदाज में पुनर्पाठ … और पढ़ें ‘आज पेड़ मांग रहा है, कल को मेरी जान मांग लेगा. परसों कुछ और मांग लेगा.’
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प्रेमचंद की सबसे धांसू कहानियां, एक जगह पर एक साथ
प्रेमचंद की सबसे धांसू कहानियां, एक जगह पर एक साथ
प्रेमचंद भारत के सबसे महान राइटर माने जाते हैं. हम कहते हैं वो सबसे नए और कूल राइटर थे. आज होते तो दर ऑफेंड होते लोग उनसे. ट्विटर पर उनको बहुत कोसा जाता और वेबसाइट्स उनकी कहानियों के बीच से लाइन निकाल-निकाल कोट्स बनाती. 31 जुलाई को प्रेमचंद का जन्मदिन होता है. उनकी कई सारी … और पढ़ें प्रेमचंद की सबसे धांसू कहानियां, एक जगह पर एक साथ
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पियक्कड़ ने तारीफ़ सुनने के लिए सबको मरवा दिया!
पियक्कड़ ने तारीफ़ सुनने के लिए सबको मरवा दिया!
एक कहानी रोज़ में आज पढ़िए पार्वती शर्मा की कहानी एक पिय्यकड़ और एक रोग. ये कहानी अंग्रेज़ी में मुंबई मिरर में प्रकाशित हुई थी. बच्चों के लिए लिखे जा रहे उपन्यास का अंश है. ये उसी कहानी का हिंदी अनुवाद है जिसे कार्तिकेय जैन ने किया हैं. कार्तिकेय फ़्रीलांस अनुवादक हैं. पार्वती शर्मा ने … और पढ़ें पियक्कड़ ने तारीफ़ सुनने के लिए सबको मरवा दिया!
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हफ्ते के लिए घर आए हो और पत्नी को मार रहे हो?
हफ्ते के लिए घर आए हो और पत्नी को मार रहे हो?
काशी जाकर दशाश्वमेध घाट पर बेतकल्लुफ होकर बैठो. सांझ होते ही घंटियों की अनवरत आवाज आती है कानों में. फिर थोड़ी देर में गंगा आरती शुरू होती है. आंखें जगमग से थक गई हों तो मूंद लो. मुंदी आंखों में जो शक्लें घूमती हैं उनमें एक होंगे काशीनाथ सिंह. वही काशीनाथ सिंह जिनके उपन्यास ‘काशी … और पढ़ें हफ्ते के लिए घर आए हो और पत्नी को मार रहे हो?