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धरती को साथ-साथ कदमताल करने वाला नया चांद मिल गया है, नाम है 'अर्जुन'

Earth's new Moon: इस नए-नवेले एस्टेरॉयड को चांद कहा जा रहा है. वैज्ञानिक इसे 'Quasi-Moons' कहते हैं. इसने 1960 में धरती का चक्कर लगाना शुरू किया और लगभग 2080 तक ऐसा करेगा.

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Earth has a new moon Scientists have named it Arjuna 2025 PN7
धरती के पड़ोस में एक नया चांद मिला है (PHOO-India Today)
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मानस राज
23 अक्तूबर 2025 (Published: 01:08 PM IST)
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हमारी धरती को उसका एक नया पार्टनर मिल गया है. ये एक छोटा एस्टेरॉयड है जिसे वैज्ञानिकों ने अर्जुन 2025 पीएन 7 (Arjuna 2025 PN7) नाम दिया है. धरती का ये दोस्त 1960 से ही धरती के साथ कदमताल कर रहा है. अनुमान है कि 2080 तक ये इसी तरह धरती के साथ-साथ चलता रहेगा.

2025 में ढूंढा गया, नाम रखा गया ‘अर्जुन’

इस नए-नवेले एस्टेरॉयड को चांद कहा जा रहा है. वैज्ञानिक इसे 'Quasi-Moons' कहते हैं. अब ये क्या होता है, इसे भी समझ लेते हैं. 'Quasi-Moons' एक तरह के चांद होते हैं जो धरती का चक्कर भी लगाते हैं. लेकिन जरूरी नहीं कि वो हमेशा धरती का चक्कर लगाएं. जैसे अर्जुन को ही देखें तो ये हमेशा से धरती का चक्कर नहीं लगाता रहा होगा. इसने 1960 में धरती का चक्कर लगाना शुरू किया और लगभग 2080 तक ऐसा करेगा.

IOP साइंस नाम के वेबसाइट पर छपे एक रिसर्च पेपर के मुताबिक पीएन7 जैसे चांदनुमा गोले की सूरज का चक्कर लगाने की अवधि धरती के समान ही होती है. ये भी लगभग एक साल में सूर्य की परिक्रमा करते हैं, लेकिन थोड़े अलग पथों के साथ, जिसके कारण वे समय के साथ एक-दूसरे के करीब और दूर होते जाते हैं. रिसर्च पेपर के मुताबिक 

वे डांस पार्टनर जैसे हैं जो कदम से कदम मिलाकर चलते हैं, लेकिन कभी हाथ नहीं थामते.

धरती के साथ घूमने वाले साथियों की कहानी 1991VG की खोज के साथ शुरू हुई. ये पृथ्वी जैसी कक्षा में पाया गया पहला एस्टेरॉयड था. उस समय, इसके इतने करीब आने से कई अजीबोगरीब सिद्धांत सामने आए. कहा गया कि यह कोई एलियन प्रोब भी हो सकता है. लेकिन इसके बाद दशकों के शोध से पता चला कि ऐसे पिंड प्राकृतिक होते हैं.

फिलहाल हुई नए स्टडी से पता चलता है कि 2025 PN7 एक सदी से भी ज्यादा समय से स्थिर अवस्था में था. छोटे चंद्रमा जहां पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण (Gravity) द्वारा अस्थायी रूप से प्रभावित होते हैं, वहीं अर्ध-चंद्रमा बिना खींचे पास ही रहते हैं. वे एक नाजुक से गुरुत्वाकर्षण की वजह से संतुलन में होते हैं, और सूर्य के चारों ओर धरती की कक्षा (वो रेखा जिसपर धरती सूर्य का चक्कर लगाती है) के साथ चलते रहते हैं.

लेकिन ऐसा नहीं है कि अर्जुन धरती का अकेला इस तरह का चांद है. इसके अलावा भी कई सैटेलाइट्स या यूं कहें कि चांद पहले भी खोजे गए हैं. जैसे  कामोआलेवा (2016 HO3), कार्डिया (2004 GU9), और 2023 FW13 भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं. और अब, PN7 भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है. इसकी खोज इस पहेली में एक और कड़ी जोड़ती है कि छोटे पिंड पृथ्वी-चंद्रमा के सिस्टम के साथ कैसे मूवमेंट करते हैं. अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए, 2025 PN7 अंतरिक्ष में सिर्फ एक और पत्थर नहीं है. यह इस बात का संकेत है कि ब्रह्मांड में धरती का पड़ोस वास्तव में कैसा है?

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