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कौन हैं बड़े घोटाले सामने लाने वाली SEBI की पहली महिला अध्यक्ष माधबी पुरी बुच?

योगी की सलाह से शेयर मार्केट चलाने वालीं चित्रा रामकृष्ण के मामले को देखेंगी माधबी.

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माधबी सेबी की कमान संभालने वाली पहली महिला ही नहीं, बल्कि प्राइवेट सेक्टर से इस पद पर आई पहली हस्ती हैं. (तस्वीर - PTI)
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1 मार्च 2022 (Updated: 1 मार्च 2022, 10:45 IST)
Updated: 1 मार्च 2022 10:45 IST
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SEBI यानी सिक्योरिटीज़ ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया. शेयर मार्केट पर निगरानी रखने वाली संस्था. SEBI ने 28 फरवरी को माधबी पुरी बुच को बोर्ड की नई चेयर-पर्सन के तौर पर नियुक्त किया. इस घोषणा ने एक नया इतिहास दर्ज कर दिया क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई महिला सेबी (SEBI) की चेयरपर्सन बनी हैं. अब तक सेबी की कमान संभाल रहे अजय त्यागी का कार्यकाल 28 फरवरी को पूरा हो गया. माधबी इसके पहले सेबी की होल टाइम मेंबर रह चुकी हैं. उन्हें सेबी की एक टेक्नोलॉजी कमेटी का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था. आवेदन के ज़रिए मिला पद  सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया या भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड. वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर 2021 में सेबी के चेयरपर्सन के पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. आवेदन भेजने की अंतिम तारीख़ 6 दिसंबर थी.
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक़, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 फरवरी 2022 को कहा कि पद के लिए नामों का शॉर्टलिस्ट होना अभी बाकी है. 28 फरवरी को सेबी ने आधिकारिक सूचना जारी की. बताया कि माधबी पुरी बुच सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की नई चेयरपर्सन बनेंगी. उन्हें तीन साल के लिए नियुक्त किया जा रहा है और यह अवधि बाद में बढ़ाई भी जा सकती है.
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सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) बोर्ड भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों और वित्तीय बाजारों को नियंत्रित करता है.

सरकार की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया,
"कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने SEBI की चेयरपर्सन के पद पर सेबी की पूर्व होल टाइम मेंबर माधबी पुरी बुच की नियुक्ति को अपनी मंजूरी दे दी है. उनकी नियुक्ति कार्यभार संभालने की तारीख से अगले तीन साल या अगले आदेश तक (इनमें से जो पहले हो) के लिए की गई है."
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली वित्तीय क्षेत्र रेगुलेटरी अपॉइंटमेंट सर्च कमिटी (FSRASC) ने उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया. सेबी के शीर्ष पद के लिए कई टॉप ब्यूरोक्रैट्स भी दौड़ में शामिल थे और अंततः Madhabi Puri Buch को पद के लिए उपयुक्त माना गया. माधबी पुरी बुच के तीन बड़े फैसले नियुक्ति के बाद बुच का पहला एजेंडा NSE को-लोकेशन स्कैंडल और एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण से जुड़े मामलों को देखना होगा. को-लोकेशन मामले में दोषियों को दंडित करने के लिए पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने के लिए SEBI पहले से ही आलोचनाओं का सामना कर रहा है, जिसकी अब CBI जांच चल रही है.
NSE Co-location Scam भी ब्रीफ़ में समझ लेते हैं. NSE पर आरोप हैं कि 2010 और 2015 के बीच NSE के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर कुछ ब्रोकर्स को लाभ पहुंचाने के लिए तरजीह दी गई. यह घोटाला 2015 में सामने आया, जब एक विसलब्लोअर ने सेबी को एक पत्र भेजा. पत्र में आरोप लगाया कि एनएसई ने एक्सचेंज के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर कुछ हाई-फ्रीक्वेंसी वाले व्यापारियों और ब्रोकर्स को प्रेफेरेंशियल एक्सेस दिया था.
चित्रा रामकृष्णा (तस्वीर आजतक)
चित्रा रामकृष्णा (तस्वीर आजतक)

ये सब हुआ चित्रा रामकृष्ण के चार्ज में. को-लोकेशन स्कैम और चित्रा रामकृष्ण के इससे कनेक्शन को हमने पहले भी कवर किया है. इसके बारे में और जानने के लिए आप यहां
 क्लिक करें. हम लौटते हैं माधबी बुच पर, जिन्हें चित्रा रामकृष्णा के मामले की जांच को अंजाम तक पहुंचनाने की कमान मिल गई है.
इंडस्ट्री के दिग्गजों का कहना है कि बुच प्रगतिशील हैं. चली आ रही प्रक्रियाओं से चिपकी नहीं रहतीं और पॉलिसी लेवल सुधारों पर परामर्शी नज़रिया सुनिश्चित करती हैं. सेबी में रहते हुए बुच ने एक न्यूज़ चैनल के दो प्रमुख टेलीविज़न ऐंकर्स के 'धोखाधड़ी' के कारोबार पर नकेल कसी थी.
2018 के एक आदेश में माधबी पुरी बुच ने सहारा ग्रुप पर कड़ी कार्रवाई की थी. सहारा पर आरोप लगे थे की ग्रुप एक कंपनी ने सेबी के नियमों के उल्लंघन में 14,000 करोड़ रुपये जुटाए. हालांकि सहारा ग्रुप ने तर्क दिया कि उन्होंने पैसे वापस कर दिए थे.
मई 2021 में, दीप इंडस्ट्रीज लिमिटेड के इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में पुरी ने एक अनकन्वेंशल तरीक़े से खुलासा किया था. सेबी ने आरोपी संस्थाओं की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल्स की जांच की और पाया कि वे फ़ेसबुक फ्रेंड्स थे. सोशल मीडिया ऐक्टिविटी ट्रेस कर कनेक्शन स्थापित करना, विवाद में रहा था. लेकिन इस नई और प्रो-ऐक्टिव अप्रोच के लिए माधबी की तारीफ़ भी हुई थी. कौन हैं माधबी पुरी बुच? सेंट स्टीफन से मैथ्स में ग्रैजुएशन करने के बाद माधबी पुरी बुच ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) अहमदाबाद से MBA की डिग्री हासिल की. अपने करियर की शुरुआत की साल 1989 में. 1989 में प्रोजेक्ट फ़ाइनैंस ऐनालिस्ट के तौर पर जॉइन किया और 2006 में ICICI बैंक की एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर बन गईं. इसके बाद 2009 से 2011 तक ICICI सिक्योरिटीज़ में एमडी और सीईओ बन गईं.
माधबी पुरी बुच
ICICI बैंक में माधबी 20 साल से ज़्यादा कार्यरत रहीं (तस्वीर - PTI)

साल 2011 में उन्होंने सिंगापुर जाकर ग्रेटर पैसेफिक कैपिटल LLP जॉइन किया. वहां 2013 तक वो बिज़नेस डेवलपमेंट हेड रहीं. 2011 से 2016 तक आइडिया सेल्यूलर में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर रहीं. अप्रैल 2017 में वो सेबी की फ़ुल टाइम डायरेक्टर बनीं. जिसके बाद अब साल 2022 में उन्हें सेबी का नया चेयरपर्सन घोषित किया गया है.
यह फैसला दो कारणों से नया और ऐतिहासिक माना जा रहा है. पहला कारण कि पहली बार कोई महिला सेबी की चेयरपर्सन बनने जा रही हैं. दूसरा कारण कि अब तक जिन लोगों की भी नियुक्ति हुई वो आमतौर पर सरकार के पब्लिक सेक्टर्स में काम करते थे. पहली बार ऐसा हुआ कि प्राइवेट सेक्टर से ताल्लुक रखने वाले किसी व्यक्ति को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) का चेयरपर्सन बनाया गया हो.

(यह स्टोरी हमारी साथी संध्या चौरसिया के इनपुट के साथ लिखी गई है)


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