क्या 'खतरनाक' NeoCoV वायरस इंसानों में फैल सकता है?
चीन के साइंटिस्ट द्वारा खोजे गए नए NeoCoV वायरस ने सबका ध्यान खींचा है.
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
NeoCov. ये शब्द आपको इस वक़्त हर तरफ़ दिखेगा. ख़बरों में. अखबारों में. टीवी पर. और सोशल मीडिया तो है ही. क्या है ये? चीन के कुछ साइंटिस्ट ने एक वायरस NEOCov का पता लगाया है. अब जो ख़बरें आईं, उनके मुताबिक NEOCov को बहुत ही ख़तरनाक वायरस कहा गया. ये दावा किया गया कि अगर ये इंसानों को हुआ तो हर तीन में से 1 इंसान की जान जाएगी. फिर क्या था. हर तरफ़ अफरा तफ़री मच गई. लोग डर गए. डरना भी जायज़ है. कोरोना वायरस ने दुनियाभर में जो तबाही मचाई है, उसके बाद वायरस शब्द सुनते ही डर लगता है.
पर ऐसे माहौल में ज़रूरी है कि हम सनसनीखेज ख़बरों से थोड़ा बचकर रहें. जिस NEOCov वायरस की बात हो रही है, वो अभी तक इंसानों में न तो फैला है, न ही मिला है. ये पाया गया है केवल साउथ अफ्रीका के चमगादड़ों में.
हमें सेहत पर बहुत सारे लोगों के मेल्स आए हैं जो NeoCoV वायरस के बारे में जानना चाहते हैं. ये क्या है, क्या ये इंसानों में फैल सकता है, ये कितना ख़तरनाक है, वगैरह. तो हमने ये सारे सवाल पूछे एक्सपर्ट्स से ताकि आपका डर दूर कर सकें. सबसे पहले जान लीजिए ये NeoCoV वायरस क्या है? ये NeoCoV वायरस क्या है? ये हमें बताया डॉक्टर मोनिका लांबा ने.
डॉक्टर मोनिका लांबा, एमडी, पीएचडी, बेल्जियम.
-कोरोना वायरस, वायरस का एक परिवार या ग्रुप है.
-ये 4 प्रकार के होते हैं.
-अल्फ़ा, बीटा, गैमा और डेल्टा.
-अल्फ़ा और बीटा वायरस आमतौर पर इंसानों और चमगादड़ों में पाए जाते हैं.
-गैमा और डेल्टा वायरस पक्षियों में पाए जाते हैं.
-चीन के कई साइंटिस्ट ने नए NeoCoV वायरस की तरफ़ सबका ध्यान खींचा है.
-पर ये वायरस अब तक साउथ अफ्रीका के चमगादड़ों में ही पाया गया है.
-ये वायरस अब तक इंसानों में नहीं पाया गया है.
-जिस स्टडी में NeoCoV वायरस का ज़िक्र हुआ है वो प्री प्रिंट है.
-प्री प्रिंट यानी बाकी वैज्ञानिकों ने इस स्टडी की जांच नहीं की है.
-ये पता नहीं चला है कि स्टडी में छपे अनुमान कितने सही हैं.
-या ये आगे जाकर सही साबित हो सकते हैं. इसको सबसे ख़तरनाक वायरस क्यों कहा जा रहा है? -2012 में एक और कोरोना वायरस आया था, जिसका नाम था MERS (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम).
-ये अनुमान लगाया जा रहा है कि NeoCoV वायरस उसकी तरह हो सकता है.
अल्फ़ा और बीटा वायरस आमतौर पर इंसानों और चमगादड़ों में पाए जाते हैं
-MERS (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) वायरस ज़्यादा ख़तरनाक क्यों था?
-क्योंकि इसका डेथ रेट 30 प्रतिशत था.
-यानी अगर ये वायरस 3 लोगों को हो रहा है तो 1 की जान चली जाती थी.
-लेकिन MERS वायरस कभी महामारी नहीं बन पाया.
-ये एक शेत्र में रहकर खत्म हो गया.
-चीन के वैज्ञानिकों का दावा है कि NeoCoV वायरस MERS की तरह बीमारी फैलाएगा.
-लेकिन रिसेप्टर (इंसानों में घुसने का तरीका) इस्तेमाल करेगा कोविड-19 की तरह.
-यानी ये महामारी बन सकता है.
-पर इस बात पर ध्यान दें कि NeoCoV वायरस अभी तक केवल चमगादड़ों में फैल रहा है.
-इंसानों में फैलने की कोई भी रिपोर्ट नहीं आई है.
-इंसानों में फैलने के लिए इस वायरस का म्यूटेट(रूप बदलना) होना ज़रूरी है.
-ये देखना बाकी है कि ये म्यूटेशन होगा या नहीं.
-अगर होगा तो कब होगा.
-ये भी देखना होगा कि इस वायरस में बीमारी फैलानी की कितनी क्षमता होगी.
-ये कोई नहीं कह सकता कि म्यूटेशन पक्का होगा.
चीन के वैज्ञानिकों का दावा है कि NeoCoV वायरस MERS की तरह बीमारी फैलाएगा
-हो सकता है ये म्यूटेशन कल हो, 10 सालों बाद हो या कभी भी न हो.
-इस तरह की संसनीखेज़ ख़बरों का पता होना ज़रूरी है, पर घबराएं नहीं.
-जब से कोविड-19 महामारी आई है, अलग-अलग तरह के वायरस पर स्टडी हो रही है.
-इस तरह के अनुमान आगे भी आते रहेंगे.
-ध्यान ये रखें कि इस तरह के अनुमानों का पता लगने पर पैनिक न करें.
-बल्कि कोविड-19 का जो वायरस अभी हमारे बीच है, उससे बचने के तरीके खोजें.
-वैक्सीन लगवाएं.
-बूस्टर डोज़ लगवाइए.
-मास्क पहनिए.
-दूरी बनाए रखें.
-भीड़ में न जाएं.
-पर घबराएं नहीं. अगर NeoCoV वायरस इंसानों में फैलता है तो किस तरह के लक्षण आ सकते हैं? -NeoCoV वायरस अब तक केवल चमगादड़ों में ही पाया गया है, इंसानों में नहीं पाया गया है.
-अगर ये इंसानों में होता है तो इसके किस तरह के लक्षण होंगे, इस बात का केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है.
NeoCoV वायरस अब तक केवल चमगादड़ों में ही पाया गया है, इंसानों में नहीं पाया गया है
-स्टडी में कहा गया है कि NeoCoV वायरस के लक्षण MERS (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) जैसे हो सकते हैं.
-कोरोना वायरस ग्रुप के वायरस आमतौर पर सांस लेने में मदद करने वाले अंगों को नुकसान पहंचाते हैं.
-इसलिए अगर NeoCoV वायरस इंसानों में होता है तो सर्दी, खांसी, ज़ुकाम, सिर दर्द, शरीर में दर्द, नज़ला और सीवियर केसेस में निमोनिया हो सकता है.
-इसके बाद दूसरे अंगों पर भी असर पड़ सकता है.
-लेकिन ये सब सिर्फ़ अनुमान है.
-क्योंकि ये वायरस अभी तक इंसानों में नहीं पाया गया है. NeoCoV वायरस पर क्या वैक्सीन, इलाज असरदार होंगे? -अगर NeoCoV वायरस इंसानों में फैलेगा तो उसकी जीनोम सिक्वेंसिंग (वायरस का बायोडेटा पता करना) होगी.
-उसके बाद ही पता चल पाएगा कि ये ओमिक्रोन से कितना अलग है.
-डेल्टा से कितना अलग है.
-इलाज क्या होगा, वैक्सीन असर करेंगी या नहीं ये भी बाद में ही पता चलेगा.
-जब कोविड-19 आया था, उसके बाद वैक्सीन बनीं.
-इलाज भी आया.
-उसी तरह अगर ये म्यूटेशन होता है, उस समय इलाज और वैक्सीन के असर के बारे में पता चलेगा.
-NeoCoV वायरस से जुड़ी जानकारी अभी केवल अनुमान भर है.
अगर NeoCoV वायरस इंसानों में फैलेगा तो उसकी जीनोम सिक्वेंसिंग (वायरस का बायोडेटा पता करना) होगी
-किसी को भी पक्के तौर पर पता नहीं है कि इसका क्या नतीजा निकलेगा.
-फ़िलहाल कोविड-19 से खुद को बचाएं.
डॉक्टर मोनिका की बातें सुनकर आपने राहत की सांस ज़रूर ली होगी. मैनें भी ली. अभी NeoCoV वायरस से घबराने की ज़रूरत नहीं है. ऐसी कोई भी रिपोर्ट सामने नहीं आई है जो ये दावा करें कि NeoCoV वायरस इंसानों में फैलता है. इसलिए फ़िलहाल जिस वायरस ने हमारी ज़िंदगी नर्क बना रखी है, उस पर ध्यान दीजिए. सुरक्षित रहिए.