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कम वीर्य बनता है? ये बीमारी हो सकती है वजह

पॉपुलर मीडिया, अडल्ट फिल्मों के चक्कर में ना पड़ें.

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हाइपोस्पर्मिया के डायग्नोसिस करने के लिए कुछ टेस्ट करने पड़ते हैं
हाइपोस्पर्मिया के डायग्नोसिस करने के लिए कुछ टेस्ट करने पड़ते हैं
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3 मार्च 2022 (Updated: 3 मार्च 2022, 18:28 IST)
Updated: 3 मार्च 2022 18:28 IST
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

हमें सेहत पर मेल आया द लल्लनटॉप के व्यूअर का जो नहीं चाहते हैं थे हम उनका नाम बताएं. इसलिए हम उनका नाम बदल रहे हैं. हम अपने इस व्यूअर को बुलाएंगे निमित. 32 साल के हैं. गुरुग्राम के रहने वाले हैं. निमित बताते हैं कि उनकी शादी को 4 साल हो गए हैं. वो और उनकी पत्नी पिछले 2 सालों से बच्चे के लिए ट्राई कर रहे हैं, पर नाकामयाब रहे हैं. उन्होंने और उनकी पत्नी ने अपने कुछ टेस्ट करवाए. पता चला निमित को हाइपोस्पर्मिया है. एक ऐसी कंडीशन जिसमें पुरुष के सीमन यानी वीर्य पर असर पड़ता है और ये इनफर्टिलिटी की एक बड़ी वजह बन सकती है.
हाइपोस्पर्मिया के साथ दिक्कत ये है कि अधिकतर लोगों को इसके कोई लक्षण नहीं दिखते. उन्हें पता नहीं होता कि उन्हें हाइपोस्पर्मिया है. जब वो बच्चे के लिए प्लान करते हैं, प्रेग्नेंसी नहीं हो पाती और टेस्ट किए जाते हैं तब जाकर इसके बारे में पता चलता है. निमित चाहते हैं कि हम हाइपोस्पर्मिया को लेकर बात करें. ये क्या होता है, क्यों होता है, इसका इलाज क्या है. डॉक्टर्स से पूछकर लोगों को बताएं. ताकि उन्हें भी सही मदद और सही इलाज मिल सके. तो सबसे पहले जानते हैं हाइपोस्पर्मिया क्या होता है? हाइपोस्पर्मिया क्या होता है? ये हमें बताया डॉक्टर अनुराग ने.
Dr Anurag Kumar डॉक्टर अनुराग कुमार, सुपर स्पेशलिस्ट, यूरोलॉजी, एस्टर ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स, दुबई


-पुरुषों में सीमन (वीर्य) का वॉल्यूम 1.5 ml से 5 ml के बीच होता है.
-अगर किसी पुरुष के सीमन का वॉल्यूम 1.5 ml से कम है तो इस कंडीशन को हाइपोस्पर्मिया कहते हैं. कारण -हाइपोस्पर्मिया के कारण समझने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि सीमन बनता कैसे है.
-सीमन बनने की शुरुआत अंडकोष में होती है.
-यहां पर शुक्राणु बनते हैं.
-FSH LH नाम के हॉर्मोन जो ब्रेन से निकलते हैं, उनकी मदद से शुक्राणु बनते हैं.
-एक और हॉर्मोन होता है जिसे टेस्टोस्टेरॉन कहते हैं.
-जो शुक्राणु बनाने में मदद करता है.
-शुक्राणु बनने के बाद एपिडिडमिस में स्टोर होते हैं.
-और समय-समय पर एजैक्यूलेशन के दौरान निकलते हैं.
-जब एजैक्यूलेशन के दौरान शुक्राणु निकलते हैं, तब सिमनीफ़ेरस टुब्यूल्स और प्रोस्टेट मिलकर सीमन का 75 प्रतिशत वॉल्यूम बनाते हैं.
-शुक्राणु के जीवन के लिए ज़रूरी कुछ पदार्थ भी बनाते हैं.
-सीमन बनने के बाद एजैक्यूलेटरी डक्ट यूरेथ्रा के पिछले भाग में खुलते हैं.
-जहां पर सीमन निकलता है.
-सीमन को यहां से बाहर की तरफ़ धक्का देना होता है.
-जिसके लिए वहां की मांसपेशियां काम करती हैं.
-इसी के पास पेशाब की थैली का भी द्वार होता है.
-ये द्वार बंद होता है एजैक्यूलेशन के समय.
-ताकि सीमन सामने की तरफ़ जा सके न कि पीछे जाए.
-हाइपोस्पर्मिया होने का सबसे पहला कारण है टेस्टिक्युलर डिसफंक्शन.
-चाहे वो टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन की कमी हो.
-अंडकोष में कुछ अंदरूनी बीमारी हो.
Semen and sperm quality and male fertility पुरुषों में सीमन (वीर्य) का वॉल्यूम 1.5 ml से 5 ml के बीच होता है


-या फिर FSH LH हॉर्मोन की कमी हो.
-इनकी वहज से अंडकोष में शुक्राणु कम बनते हैं और हाइपोस्पर्मिया हो जाता है.
-दूसरा कारण. जो रास्ता है एपिडिडमिस से एजैक्यूलेटरी डक्ट का, वहां अगर कहीं भी ब्लॉकेज हो जाए तो इसकी वजह से हाइपोस्पर्मिया हो सकता है.
-तीसरा कारण. अगर सीमन निकलते समय पेशाब की थैली का द्वार खुला रहे तो वीर्य बाहर निकलने के बजाय अंदर की तरफ़ चला जाता है.
-यूरिन में मिक्स हो जाता है और हाइपोस्पर्मिया हो जाता है.
-इसके अलावा कुछ लोगों में यूरेथ्रा के पास की मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं.
-कुछ लोगों में अधूरा और देर से ऑर्गेज्‍म होता है, जिसकी वजह से हाइपोस्पर्मिया होता है.
-कुछ लोगों में सीमन बाहर की तरफ़ पुश करने की क्षमता कम हो जाती है, जिसके कारण हाइपोस्पर्मिया होता है. लक्षण -सीमन के वॉल्यूम में कमी आना इसका मेन लक्षण है.
-कुछ लोगों को ये पता लग जाता है.
-कुछ लोगों को इनफर्टिलिटी के टेस्ट के दौरान पता चलता है. हेल्थ रिस्क -हाइपोस्पर्मिया से कुछ लोगों को इनफर्टिलिटी हो सकती है.
-जिन लोगों को इनफर्टिलिटी नहीं होती, उन्हें मानसिक तनाव रहता है कि उनके स्पर्म का वॉल्यूम कम है.
-डर रहता है कि इनफर्टिलिटी हो सकती है.
-बहुत लोग इस कारण से टेंशन में आ जाते हैं.
-उन लोगों को डिप्रेशन हो जाता है. डायग्नोसिस -हाइपोस्पर्मिया के डायग्नोसिस करने के लिए कुछ टेस्ट करने पड़ते हैं.
-सबसे पहला टेस्ट है सीमन एनालिसिस.
-इसमें सीमन का वॉल्यूम देखा जाता है.
-शुकाणु की क्वालिटी भी देखी जाती है.
-इसके अलावा FSH LH, टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन के लेवल देखे जाते हैं.
Hyperspermia definition, causes, symptoms & treatment अगर किसी पुरुष के सीमन का वॉल्यूम 1.5 ml से कम है तो इस कंडीशन को हाइपोस्पर्मिया कहते हैं


-अंडकोष की कंडीशन देखने के लिए एक स्पेशल अल्ट्रासाउंड किया जाता है.
-इसके ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड कहते हैं.
-उससे पता चलता है कि सिमनीफ़ेरस टुब्यूल्स ठीक हैं या नहीं.
-प्रोस्टेट के अंदर कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.
-अगर किसी इंसान को रेक्टोग्रेड एजैक्यूलेशन (सीमन निकलते समय पेशाब की थैली का द्वार खुला रहे तो वीर्य बाहर निकलने के बजाय अंदर की तरफ़ चला जाता है) हो रहा है तो उसमें पोस्ट एजैक्यूलेटरी यूरिन एनालिसिस किया जाता है.
-यानी एजाक्यूलेशन के तुरंत बाद का यूरिन सैंपल लिया जाता है.
-ये देखा जाता है कि इसमें सीमन है या नहीं. इलाज -हाइपोस्पर्मिया का इलाज उसके कारणों पर निर्भर करता है.
-अगर किसी इंसान को टेस्टिक्युलर डिसफंक्शन हो रहा है, हॉर्मोन्स की कमी हो रही है तो उसको रिप्लेस किया जाता है.
-अगर रास्ते में कोई ब्लॉकेज है तो उस ब्लॉकेज को ऑपरेशन से ठीक करने की कोशिश की जाती है.
-प्रोस्टेट में अगर कोई सिस्ट है जिससे रुकावट हो रही है, एजैक्यूलेटरी डक्ट बंद है तो ट्रांसयूरेथ्रल रिसेक्शन नाम की सर्जरी की जाती है.
-ऐसे एजाक्यूलेटरी डक्ट को खोला जाता है.
-अगर किसी इंसान को रेक्टोग्रेड एजैक्यूलेशन हो रहा है, इनफर्टिलिटी हो रही है तो ऐसे में पोस्ट एजैक्यूलेशन यूरिन का सैंपल लेकर, उसमें से स्पर्म को निकाला जाता है.
-उस स्पर्म से IVF किया जाता है.
-समाज में बहुत से लोग फ़िल्मों को देखकर सीमन के वॉल्यूम को लेकर ग़लत धारणा बना लेते हैं.
Intra Cytoplasmic Sperm Injection – Jilla IVF Center अगर किसी इंसान को रेक्टोग्रेड एजाक्यूलेशन हो रहा है, इनफर्टिलिटी हो रही है तो ऐसे में पोस्ट एजाक्यूलेशन यूरिन का सैंपल लेकर, उसमें से स्पर्म को निकाला जाता है


-फिर डिप्रेशन में चले जाते हैं.
-ऐसे लोग एक स्पेशलिस्ट से मिलें.
-सही इलाज करवाएं.
-अगर हाइपोस्पर्मिया वाकई है तो उसका इलाज करवाएं.
हाइपोस्पर्मिया क्या और क्यों होता है, ये तो आपको पता चल ही गया होगा. पर डॉक्टर अनुराग ने बड़ी सही बात कही. पॉपुलर मीडिया, फ़िल्मों और अडल्ट फ़िल्म्स में सेक्सुअलिटी को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है. जिसे देखकर कई लोग अपने मन में सेक्स और सेक्सुअलिटी को लेकर अलग ही धारणा बना लेते हैं. फिर वो स्ट्रेस और डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं. इसलिए अगर लग रहा है कि आपको कोई समस्या है तो डॉक्टर से मिलें. जांच करवाएं. जिससे साफ़ हो पाएगा कि कोई मेडिकल कंडीशन है या नहीं. ये चीज़ साफ़ होने पर सही इलाज लें.

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