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कैंसर में कैसे जान बचाता है बोन मैरो ट्रांसप्लांट?

बोन मैरो हड्डियों के बीच वो जगह होती है जो लाल, पीली और सफेद रक्त कोशिकाएं बनाती है.

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बहुत लोगों को लगता है बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक सर्जरी है पर ऐसा नहीं है
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16 जनवरी 2022 (Updated: 16 जनवरी 2022, 05:47 IST)
Updated: 16 जनवरी 2022 05:47 IST
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

आरती 45 साल की हैं. उनके दो बेटे हैं. पहला, 15 साल का और दूसरा 10 साल का. उनके छोटे बेटे को ब्लड कैंसर है. डॉक्टर्स ने कीमोथेरेपी के साथ-साथ बोन मैरो ट्रांसप्लांट करवाने को कहा है. साथ ही ये भी सलाह दी है कि ये बोन मैरो उनका बड़ा बेटा डोनेट कर सकता है. बोन मैरो ट्रांसप्लांट को लेकर आरती के मन में कई सवाल हैं. उनका सबसे बड़ा सवाल है कि कहीं बोन मैरो डोनेट करने से उनके बड़े बेटे को किसी तरह की दिक्कत तो नहीं होगी? वो चाहती हैं कि हम बोन मैरो ट्रांसप्लांट पर एक एपिसोड बनाएं. ये क्या होता है. कैसे किए जाता है. कौन करवा सकता है, ये जानकारी एक्सपर्ट्स से पूछकर शेयर करें ताकि उनकी तरह और लोगों को भी मदद मिल सके. तो सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि बोन मैरो असल में होता क्या है? बोन मैरो क्या होता है? ये हमें बताया डॉक्टर राहुल भार्गव ने.
Dr. Rahul Bhargava | Haematology, Specialist in Gurgaon , Faridabad , Noida - Fortis Healthcare डॉक्टर राहुल भार्गव, प्रिंसिपल डायरेक्टर, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम


-बोन मैरो हड्डियों के बीच वो जगह होती है जो लाल, पीली और सफ़ेद रक्त कोशिकाएं बनाती है
-लाल रक्त कोशिकाएं ताकत देती हैं
-सफ़ेद रक्त कोशिकाएं बीमारियों से लड़ने की शक्ति देती हैं
-प्लेटलेट खून को रोकता है
-ये शरीर की हर लंबी हड्डी में होता है
-जैसे पैर की हड्डी, हाथ की हड्डी या रीढ़ की हड्डी
-इनमें जो खाली जगह होती है, वहां स्टेम सेल कोशिकाओं को जन्म देता है बोन मैरो ट्रांसप्लांट क्या होता है? -एक दिन, एक सेल आपकी बात नहीं सुनता और वो ब्लड कैंसर की शुरुआत करता है
-ब्लड कैंसर में कीमोथेरेपी के साथ बोन मैरो ट्रांसप्लांट होता है
-यानी वो जगह जहां ये कोशिकाएं बनती हैं, उसको कीमोथेरेपी के जरिए खत्म कर नई कोशिकाएं डाली जाती हैं
-जो वापस से नए सेल्स बनाती हैं
-इस प्रक्रिया को बोन मैरो ट्रांसप्लांट कहते हैं बोन मैरो ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है? -बहुत लोगों को लगता है बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक सर्जरी है पर ऐसा नहीं है
-बोन मैरो ट्रांसप्लांट खून आदान-प्रदान करने की प्रक्रिया है
6 Common Myths About Bone Marrow Donation Debunked | Everyday Health बोन मैरो हड्डियों के बीच वो जगह होती है जो लाल, पीली और सफेद रक्त कोशिकाएं बनाती है.

क्यों बोन मैरो ट्रांसप्लांट की ज़रुरत पड़ती है? -बोन मैरो ट्रांसप्लांट दो प्रकार का होता है
-पहला, खुद के ही शरीर से नए सेल्स लेना
-ये मल्टीपल माईलोमा, लिम्फोमा, न्यूरो ब्लास्टोमा, मेडिलो ब्लास्टोमा में होता है
-बच्चों में होने वाले ब्लड कैंसर या ब्रेन ट्यूमर से होने वाली परेशानियों में ऑटो लॉगस ट्रांसप्लांट होता है
-मल्टीपल सेक्लोरोसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, उसमें बोन मैरो ट्रांसप्लांट की ज़रुरत पड़ती है
-दूसरा है एलोजेनिक ट्रांसप्लांट
-इसमें किडनी या लिवर ट्रांसप्लांट की तरह कोई अंग डोनेट नहीं करना पड़ता
-शरीर में साढ़े चार करोड़ लाल और सफ़ेद रक्त कोशिकाएं होती हैं
-इनमें से केवल 1 लाख कोशिकाएं देनी हैं
-ये कोई सर्जरी नहीं है
-हाथ से ही लेना, हाथ से ही देना है
-जब तक स्टेम सेल डोनेशन करते हैं, तब तक डोनर को कोई प्रॉब्लम नहीं होती
-1 लाख सेल डोनर के शरीर में दोबारा बन जाते हैं कौन बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर सकता है? -एलो ट्रांसप्लांट में डोनर भाई-बहन हो सकता है
First ever successful bone marrow transplant carried out in UAE - News | Khaleej Times बहुत लोगों को लगता है बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक सर्जरी है पर ऐसा नहीं है


-मां-बाप हो सकते हैं
-या रजिस्ट्री हो सकती है
-अगर डोनर भाई-बहन होता है तो उसे सिबलिंग ट्रांसप्लांट कहते हैं
-जो डोनर रजिस्ट्री से आता है वो मैच अनरिलेटेड डोनर ट्रांसप्लांट होता है
-कुछ हाफ़ मैच भी होते हैं
-जो परिवार में किए जा सकते हैं ख़र्चा -2000 से 2021 के बीच में देश ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट की फील्ड में काफ़ी तरक्की की है
-पहले बोन मैरो ट्रांसप्लांट 2 या 3 सेंटर में होता था
-आज 80 सेंटर में होता है
-पहले ये ख़र्च करोड़ों में आता था अब ये हज़ारों और लाखों में होता है
-अगर सही समय पर बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाए तो ये ब्लड कैंसर को 70-80 प्रतिशत ठीक कर सकता है बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बाद सावधानियां -बोन मैरो ट्रांसप्लांट करवाने के 3 महीने बाद तक सावधानियां बरतनी पड़ती हैं
-किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट के बाद ज़िंदगीभर दवाइयां खानी पड़ती हैं
-बोन मैरो ट्रांसप्लांट में ज़िंदगीभर दवाइयां नहीं खानी पड़तीं
The Risks and Side Effects of Donating Bone Marrow 2000 से 2021 के बीच में देश ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट की फील्ड में काफ़ी तरक्की की है


-ब्लड कैंसर के पेशेंट को ट्रांसप्लांट के बाद 3-4 महीने तक दवाइयां खानी पड़ती हैं
-साफ़-सफाई से रहना पड़ता है
-कोविड से बचने के लिए जो सावधानियां रखते हैं, वहीं बरतनी होती हैं
-हाथ धोते रहना है
-कच्चे फल नहीं खाने हैं
-साफ़ जगह पर रहना है
-मास्क पहनकर रहना है
-भीड़-भाड़ में नहीं जाना है
-थैलेसीमिया है, एप्लास्टिक एनेमिया है, सिकलसेल है तो दवाइयां 1 साल तक खानी पड़ती हैं
-1 साल तक रोक होती हैं
-ठीक होने के बाद आप नॉर्मल तरीके से जी सकते हैं
बोन मैरो ट्रांसप्लांट के केसेस इंडिया में लगातार बढ़ रहे हैं. ये अब करना ज़्यादा आसान है. क्योंकि कैंसर के इलाज और कई दूसरी बीमारियों से निपटने के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती हैं, ऐसे में ज़रूरी है कि ये आम आदमी अफ़्फोर्ड कर सके. उम्मीद है सरकार इस पर लगातार काम करती रहेगी, ताकि जिसको इसकी ज़रुरत पड़े, वो जान बचाने के लिए ये इलाज ले सके.

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