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बार-बार पेशाब आने से रातों की नींद उड़ गई है तो आपको ये बड़ी दिक्कत हो सकती है

डॉक्टर से जानिए, पेशाब नहीं रोक पाने की वजहें.

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ओवरएक्टिव ब्लैडर में इक्छा के विपरीत ब्लैडर सिकुड़ता है और पेशाब लीक हो जाता है.
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26 फ़रवरी 2021 (Updated: 26 फ़रवरी 2021, 07:19 IST)
Updated: 26 फ़रवरी 2021 07:19 IST
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.

डिलिवरी के बाद शरीर में काफी बदलाव आते हैं. उन्हीं में से एक बदलाव हमारी 29 साल की एक रीडर फेस कर रही हैं. गोपालगंज की रहने वाली इस रीडर ने हमें ईमेल के जरिए बताया है कि बच्चे के जन्म के बाद उनका अपने यूरीन पर कंट्रोल नहीं रह गया है. यानी जब उन्होंने पेशाब आता है तो वो एकदम रोक नहीं पातीं. ज़रा सा भी पानी पी लें तो उन्हें बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है. यहां तक कि रात में भी कई बार उन्हें टॉयलेट के लिए उठना पड़ता है. डॉक्टर को दिखाने के बाद पता चला उन्हें ओवरएक्टिव ब्लैडर की शिकायत है. वैसे ये परेशानी सिर्फ डिलिवरी के बाद या सिर्फ औरतों को नहीं होती. पुरुषों को भी होती है. क्या होता है ओवरएक्टिव ब्लैडर? ये हमें बताया डॉक्टर अनुराग ने.
डॉक्टर अनुराग कुमार, एंड्रोलॉजिस्ट, मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली डॉक्टर अनुराग कुमार, एंड्रोलॉजिस्ट, मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली


कुछ लोगों का पेशाब पर कंट्रोल नहीं होता, उन्हें थोड़ा पेशाब आने पर वॉशरूम की तरफ भागना पड़ता है. रोकने की कोशिश में पेशाब लीक भी हो जाता है. इस कंडीशन को ओवरएक्टिव ब्लैडर कहते हैं. इस परेशानी से जूझ रहे लोगों की सामान्य लाइफ काफी डिस्टर्ब हो जाती है. Overactive Bladder के कारण क्या हैं? हमारे शरीर में किडनी द्वारा पेशाब बनता है. ये पेशाब ब्लैडर में स्टोर होता है. जब ब्लैडर भर जाता है तो ब्रेन को सिग्नल जाता है कि ब्लैडर भरा हुआ है. अगर परिस्थियां अनुकूल होती हैं तो ब्रेन ब्लैडर को खाली करने के लिए उसे सिकुड़ने में मदद करता है. तब पेशाब बाहर आता है.
ओवरएक्टिव ब्लैडर में इच्छा के विपरीत ब्लैडर सिकुड़ता है. जिसके कारण मरीज़ को पेशाब के लिए भागना पड़ता है और पेशाब लीक हो जाता है. ओवरएक्टिव ब्लैडर उन बीमारियों के कारण होता है जो ब्लैडर की मांसपेशियों या नसों पर असर करती हैं.
Why I'm Embracing Peeing Outside | Learning ओवरएक्टिव ब्लैडर पुरुषों के मुक़ाबले औरतों में ज़्यादा देखने को मिलता है


-बच्चे होने के बाद, बढ़ती हुई उम्र के कारण, मेनोपॉज़ के कारण पेल्विक फ़्लोर (पेल्विक फ्लोर शरीर का वो हिस्सा है, जिसमें ब्लैडर, यूटरस, वजाइना और रेक्टम होते हैं) की मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं
-कई बार औरतें टॉयलेट न मिलने के कारण पेशाब रोक लेती हैं, जिसकी वजह से ब्लैडर ज़्यादा भर जाता है और उनकी मांसपेशियां ज़्यादा फैल जाती हैं. ये भी ओवरएक्टिव ब्लैडर का एक कारण हो सकता है.
-कब्ज़
-पुरुषों में बढ़ते हुए प्रोस्टेट का साइज़, जिससे पेशाब रुक रहा हो
-डायबिटीज़
-न्यूरोलॉजिकल बीमारियां जैसे स्ट्रोक, पार्किंसन, मल्टीपल स्क्लेरोसिस. इनसे भी ओवरएक्टिव ब्लैडर हो सकता है
-इसके अलावा कॉफ़ी, चाय, कोल्डड्रिंक, शराब, सिगरेट भी ओवरएक्टिव ब्लैडर के लक्षण बढ़ा देते हैं ओवरएक्टिव ब्लैडर के लक्षण क्या हैं? मुख्य तौर पर तीन लक्षण होते हैं
-पेशाब करने की इच्छा को न रोक पाना
-जल्दी-जल्दी पेशाब आना
-पेशाब निकल जाना
Common Causes of Waking to Urinate at Night रात में पेशाब आने के कारण बार-बार नींद टूटना


कारण और लक्षण आपने जान लिए. अब बात करते हैं बचाव और इलाज की. क्या गलती नहीं करनी है पानी पीना कम न करें. पानी की कमी के कारण पेशाब और गाढ़ा हो जाता है. इससे ब्लैडर ज़्यादा इरिटेट होता है. यूरिन में इन्फेक्शन होने का चांस बढ़ जाता है. ओवरएक्टिव ब्लैडर का इलाज क्या है? -जीवनचर्या में बदलाव
-शाम के वक़्त पानी कम पिएं
-रात में पानी न पिएं
-चाय, कॉफ़ी, शराब, सिगरेट के सेवन से परहेज़ करें
-एक्सरसाइज़ करें
-कब्ज़ से बचें
-वज़न को कम करें
-इसके अलावा कीगल एक्सरसाइज करें. इससे पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं. इसमें गुदाद्वार को ऊपर की तरफ़ खींचना होता है. इसको खींचकर 10 तक गिनती गिनें. उसके बाद रिलैक्स करें. ऐसा 10 बार करें. इस पूरे प्रोसेस को दिन में कम से कम चार बार करें. ये पेशाब को रोकने में बहुत फ़ायदेमंद होता है.
-जब कभी पेशाब जाने की बहुत ज़रुरत महसूस हो तो एक जगह बैठ जाएं, रिलैक्स करें. लंबी-लंबी सांस लें. अपना दिमाग कहीं और लगाएं. पेशाब को पहले 5 मिनट तक रोकने की कोशिश करें, फिर धीरे-धीरे उसे 10 मिनट तक ले जाएं. हर दो-तीन घंटे में अपने आप पेशाब जाएं
-ओवरएक्टिव ब्लैडर को ठीक करने के लिए एंटीकॉलिनर्जिक (Anticholinergic) दवाइयां दी जाती हैं
-ये काफ़ी असरदार होती हैं. ब्लैडर के सेंसेशन को कम करती हैं
Peeing A Lot At Night? 7 Conditions That Cause Frequent Urination न्यूरोलॉजिकल बीमारियां जैसे स्ट्रोक, पार्किंसन, मल्टीपल स्क्लेरोसिस. इनसे भी ओवरएक्टिव ब्लैडर हो सकता है


-जिनमें दवाइयों से असर नहीं होता, उनमें बोटॉक्स नाम का इंजेक्शन लगाया जाता है. ये दूरबीन द्वारा ब्लैडर की मांसपेशियों में लगाया जाता है. इससे करीब 90 प्रतिशत लोगों को फ़ायदा मिलता है. लेकिन ये इंजेक्शन 6 से 12 महीने में दोबारा लगवाना पड़ता है
-न्यूरोमॉड्यूलेशन नाम की एक नई टेक्नीक है जिसमें रीढ़ की हड्डी के पास एक छोटी सी मशीन लगा देते हैं. इससे ब्लैडर की नर्व्स को एक्टिव किया जाता है, जिससे इस कंडीशन को ठीक करने में मदद मिलती है.
-जब सारी चीज़ें फ़ेल हो जाती हैं तो एकमात्र उपाय बचता है सर्जरी का. हालांकि, इसकी ज़रूरत बहुत ही कम लोगों को पड़ती है. इसमें ब्लैडर के साइज़ को बढ़ा दिया जाता है.
अगर आपको भी ओवरएक्टिव ब्लैडर के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें. इसे इग्नोर न करें. ये न सिर्फ़ आपके ब्लैडर के लिए नुक्सानदेह है, बल्कि इसका असर आपकी किडनियों पर भी पड़ता है. तो ध्यान रखिए.


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