दिल्ली के भोगल में जब मुनासिर प्रीति को चाकू भोंक रहा था, शाम के साढ़े छह बजे थे. पीठ पर जब पहला वार हुआ तो वो भागी. कुछ लोग उसे बचाने भी आए. मगर मुनासिर के हाथ में चाकू था और वो बदहवास था. जबतक भीड़ उसपर काबू पाती, वो प्रीति को छह बार चाकू मार चुका था. दोनों को अस्पताल तो ले जाया गया. मगर प्रीति नहीं बची.