The Lallantop
Advertisement

यूक्रेन की जांबाज़ औरतें जो रूस के खिलाफ युद्ध में अपने देश की ताकत बढ़ा रही हैं

जानिए यूक्रेन की सेना में औरतों की क्या स्थिति है?

Advertisement
Img The Lallantop
मार्च 2021 के डेटा के मुताबिक, यूक्रेन की आर्मी में 22 प्रतिशत महिलाएं हैं.
font-size
Small
Medium
Large
5 मार्च 2022 (Updated: 5 मार्च 2022, 10:54 IST)
Updated: 5 मार्च 2022 10:54 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

औरतों का एक विशेष चरित्र होता है, हम थोड़ी अनप्रेडिक्टेबल होती हैं. ये नहीं कहा जा सकता है कि औरतें बेस्ट स्नाइपर्स होती हैं. लेकिन हमारे मूव्स को समझ पाना पुरुषों की तुलना में मुश्किल होता है. और यही सबसे खतरनाक दुश्मन की निशानी है. मैं उन्हें डराना चाहती हूं.

जर्नीमैन पिक्चर्स की 2019 की एक डॉक्यूमेंट्री में ये बात कही थी यूक्रेनियन आर्मी की स्नाइपर यूलिया ने. उस वक्त यूलिया यूक्रेन के डोनबास इलाके में तैनात थीं. डोनबास यूक्रेन के पूर्वी हिस्से का एक इलाका है. साल 2014 में क्रीमिया को यूक्रेन से अलग करने के बाद रूस ने डोनबास के दोनेश्क और लुहान्स्क इलाकों में विद्रोह करवा दिया था. रूस समर्थक विद्रोहियों ने इन इलाकों को आज़ाद घोषित कर दिया था, तब से ही यहां विद्रोहियों और यूक्रेन आर्मी के बीच सिविल वॉर जारी है. इस सिविल वॉर में 14 हज़ार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है. यूक्रेन के कई शहरों में हवाई हमले हो रहे हैं. बमबारी में कई लोगों की जान जा चुकी है. रूसी सेना के टैंक और सैन्य वाहन यूक्रेन के शहरों में हैं और हमले कर रहे हैं. यूक्रेन की सेना, रिज़र्व फोर्स और आम नागरिक एकजुट होकर रूस का सामना कर रहे हैं. यूक्रेन की तरफ से लड़ने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं की है. आम महिलाएं और यूक्रेनियन आर्मी की महिलाएं. दोनों ही. यूक्रेन की सेना में क्या है महिलाओं की स्थिति CS मॉनिटर की एक रिपोर्ट बताती है कि यूक्रेन की आर्मी ने साल 2016 में कॉम्बैट भूमिकाओं में महिलाओं को लेना शुरू किया. उससे पहले महिलाएं नर्स, सेक्रेटरी, सिलाईकर्मी और कुक के तौर पर सेना में शामिल हो पाती थीं. या फिर बतौर वॉलंटियर काम करती थीं. साल 2014 में शुरू हुए सिविल वॉर के बाद महिलाएं बतौर वॉलंटियर स्नाइपर और दूसरी भूमिकाओं में काम करने लगी थीं. Coffee or Die मैग्ज़ीन की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में यूक्रेन के कानून में बदलाव हुआ और सेना में महिलाओं को बराबर अधिकार दिए गए. कॉम्बैट और कमांडिंग भूमिकाओं में महिलाओं की भर्ती शुरू हुई. यूक्रेन में 20 से 40 आयुवर्ग की महिलाएं सामान्य सैनिकों के तौर पर सेना में भर्ती हो सकती हैं. वहीं, 20 से 50 आयुवर्ग की महिलाएं ऑफिसर के तौर पर सेना में सेवा दे सकती हैं.
Coffee or Die की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में यूक्रेन की आर्मी में 31,000 महिलाएं थीं. ये कुल फोर्स का 15.6 प्रतिशत था. 2021 के मार्च आते-आते सेना में महिलाओं की संख्या 22.5 प्रतिशत हो गई. मार्च, 2021 में यूक्रेन की सेना में 900 से ज्यादा महिलाएं कमांड पोज़िशंस पर थीं. इनमें 109 प्लाटून कमांडर और 12 कंपनी कमांडर शामिल थीं. यूक्रेन की सरकार ने तब 13,000 महिलाओं की लड़ाकू सैनिकों के तौर पर पहचान की थी.
Army Ukraine Army Ukraine

वहीं, CS मॉनिटर की एक रिपोर्ट बताती है कि साल 2019 से यूक्रेन के आर्मी कॉलेजेस में भी महिलाओं को एंट्री मिलनी शुरू हो गई है, जहां से ट्रेनिंग लेकर महिलाएं बड़ी रैंकों में प्रमोट हो सकती हैं.
यूक्रेन आर्मी में 2017 में शामिल हुईं जूनियर सार्जेंट नादिया बेबीश ने CS मॉनिटर से मिलिट्री जॉइन करने के अपने मकसद और साथी सैनिकों के व्यवहार को लेकर कहा,
'यहां पर स्थिति काफी कम्फर्टेबल है. पुरुष साथी मुझे सामान्य टीम मेट की तरह ही ट्रीट करते हैं, कोई अंतर नहीं है. हम यहां अपने देश, अपने परिवारों की रक्षा के लिए आए हैं. सेना जॉइन करने की महिलाओं की वजह भी पुरुषों जैसी ही होती है. हम यूक्रेन को आज़ाद बनाए रखना चाहते हैं.'
साल 2014 से 2016 के दौरान पूर्वी यूक्रेन में वॉलंटियर के तौर पर काम कर चुकीं ऑलीना बिलोज़र्स्का ने अपने पति से शूटिंग सीखी. उनके पति भी आर्मी में रहे. उन्होंने सीएस मॉनिटर को बताया कि शुरुआत में उन्हें फ्रंट लाइन पर देखकर साथी लड़ाके चौंक जाते थे. उन्हें लगता था कि वो शायद डॉक्टर हैं.
Gun Training रूस से युद्ध के बीच यूक्रेन में बड़ी संख्या में आम नागरिकों ने बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली है. फोटो- AP

वो मानती हैं कि यूक्रेन की सेना में औरतों को लेकर जो बदलाव आया है उसकी बड़ी वजह युद्ध में वालंटियर्स का शामिल होना है. वो कहती हैं कि वॉलंटियर फाइटर्स किसी मजबूरी में नहीं, अपनी इच्छा से फ्रंट पर जाते हैं और ऐसे में कमांडर्स के लिए ज़रूरी हो जाता है कि वो स्किल के आधार पर उन्हें मौके दें, न कि जेंडर के आधार पर. वो कहती हैं,
“वॉलंटियर बटालियन में हर लड़ाका फ्री होता है. हर कमांडर को पता होता है कि अगर उसके पास कोई महिला फाइटर है जो लड़ना चाहती है और वो अगर लड़ने नहीं देगा तो वो एक मोटिवेटेड फाइटर को खो देगा. जबकि, फाइटर किसी और यूनिट में जाकर फ्रंट पर जाने की मांग करेगी. अगर एक लड़की फ्रंट पर लड़ना चाहती है, तो वो लड़ेगी.”
युद्ध की स्थिति को देखते हुए दिसंबर, 2021 में यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने एक रेगुलेशन लागू किया था, जिसके मुताबिक, अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाली 18 से 60 आयुवर्ग की उन महिलाओं को यूक्रेन की आर्म्ड फोर्स में रजिस्टर करने को कहा गया था, जो मिलिट्री सर्विस के लिए फिट हैं. एक एक रिजर्व फोर्स बनाने की कोशिश थी, जिसे युद्ध में मोबलाइज़ किया जा सके. अब चूंकि युद्ध छिड़ गया है तो बड़ी संख्या में महिलाएं बंदूक उठा रही हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की पत्नी ओलीना जेलेंस्की ने इंस्टाग्राम पर ऐसी महिलाओं की तस्वीरें पोस्ट की हैं जो वालंटियर और लड़ाकों की भूमिका में युद्ध में अपना योगदान दे रही हैं. तस्वीरों के साथ उन्होंने लिखा,
" युद्ध से पहले (ये कहना कितना डरावना और अभी भी असामान्य है) मैंने एक बार लिखा था कि यूक्रेन में पुरुषों की तुलना में दो मिलियन अधिक महिलाएं हैं. बस आंकड़े. लेकिन अब यह बिल्कुल नया अर्थ ले रहा है. क्योंकि इसका मतलब है कि हमारे डिफेंस में विशेष रूप से औरतों का चेहरा नज़र आ रहा है... मेरे अविश्वसनीय हमवतन, मेरा आपको नमन... वो लोग जो आर्म्ड फोर्सेस की रैंक्स में शामिल होकर लड़ रहे हैं, वो लोग जो डिफेंस में शामिल हुए, वो लोग जो घायलों का इलाज कर रहे हैं, लोगों को बचा रहे हैं, उन्हें खाना खिला रहे हैं. ज़रूरी सामान उपलब्ध कराने वाले वॉलंटियर्स. फार्मेसी, दुकानों, परिवहन, यूटिलिटी सेवाओं से जुड़े लोग जो बिना रुके अपना काम कर रहे हैं ताकि सामान्य लोगों का जीवन चलता रहे... वो लोग जो हर दिन बच्चों को शेल्टर्स में रख रहे हैं और कार्टून और खेलों से उनका मनोरंजन कर रहे हैं, ताकि उनका मन युद्ध से बचा रहे. वो लोग जो बम शेल्टर्स में जन्म दे रहे हैं...आज वसंत का पहला दिन है. याद है, युद्ध से पहले (फिर से, वो डरावना वाक्यांश) हमने कैसे एक दूसरे को इस दिन की बधाई दी थी?.. बमबारी के धुएं के उस पार सूरज दिखने लगा है. सबकुछ वसंत होगा. सबकुछ जीत होगा, सबकुछ यूक्रेन होगा..."
यूक्रेन से लगातार ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जिनमें महिलाएं बंदूक थामे या वालंटियर करती नज़र आ रही हैं. युद्ध के इस दौर में महिलाएं जिन भी इलाकों में हैं, वहां जिस भी कैपेसिटी में युद्ध में योगदान दे पा रही हैं, दे रही हैं.

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement