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माधुरी दीक्षित का पूरा करियर एक तरफ और 'द फेम गेम' एक तरफ!

नेटफ्लिक्स पर आई 'द फेम गेम' में खास क्या है?

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'द फेम गेम' से Madhuri Dixit ने OTT डेब्यू किया है. सीरीज़ में वो अनामिका आनंद का किरदार निभा रही हैं.
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28 फ़रवरी 2022 (Updated: 28 फ़रवरी 2022, 14:37 IST)
Updated: 28 फ़रवरी 2022 14:37 IST
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मेरा टाइम अलग था. बहुत चप्पल घिसने पड़े. क्योंकि हमारे घर में कोई मर्द नहीं था. तेरे पास तेरा मर्द है. तू पहली औरत है हमारे परिवार में जिसका पति है, घर है, परिवार है, बच्चे हैं.
आई! मेरे पास जो कुछ भी है वो मेरी मेहनत से है. मेरे पति की वजह से नहीं है. और किसी को हक नहीं बनता कि वो सब मुझसे छीन ले.
ये एक डायलॉग है. नेटफ्लिक्स पर आई वेब सीरीज़ 'द फेम गेम' का. ये इस सीरीज़ को समअप तो नहीं करता, लेकिन उस कॉन्ट्रास्ट को हाईलाइट ज़रूर करता है जिस पर ये सीरीज़ बेस्ड है. मेरा बीता वीकेंड रहा माधुरी दीक्षित के नाम. माने 'द फेम गेम' के नाम. इसका कॉन्टेंट प्रीची हुए बिना, जेंडर ईशूज़ के कई पहलुओं को छूता है.
सच कहूं तो मुझे इस सीरीज़ से बहुत उम्मीद नहीं थी, लगा था कि प्रमोशन के लिए इसे माधुरी दीक्षित का वेब डेब्यू बताकर बेचा जा रहा है. लेकिन इसकी कहानी और उसका एग्जीक्यूशन दोनों ही बेहतरीन लगे. इसमें सेक्सिस्म, बॉडी शेमिंग, समलैंगिकता, एडल्टरी, डोमेस्टिक वायलेंस जैसे विषयों को छुआ गया है. इन पर इसमें कोई भाषण नहीं है. बस चीज़ें दिखती हैं और आप उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं कर पाते हैं.
आगे स्पॉइलर्स मिलने की पूरी संभावना है. तो अगर आपने सीरीज़ नहीं देखी है और देखने का प्लान कर रहे हैं तो यहां से लौट सकते हैं.
The Fame Game 'द फेम गेम' आठ पार्ट्स की एक सीरीज़ है जो नेटफ्लिक्स पर आई है. पहले इसे 'फाइंडिंग अनामिका' के टाइटल से रिलीज़ किया जाना था.

मैं कुछ सीन्स के जरिए इस फिल्म के हाई पॉइंट्स पर बात करूंगी.
एक सीन है. इनवेस्टिगेटिंग ऑफिसर शोभा त्रिवेदी (राजश्री देशपांडे) फोन पर अपनी पार्टनर से बात कर रही हैं, अपने बच्चे की तबीयत को लेकर. सीनियर अफसर उनके घर-बच्चे को लेकर कमेंट करते हुए किसी और अफसर को केस का सुपरविज़न देने की बात करते हैं. ये सीन दिखाता है कि किस तरह परिवार और बच्चों का नाम लेकर महिला कर्मचारियों की कम्पिटेंसी पर सवालिया निशान लगाया जाता है. उन्हें कमतर बताने की कोशिश होती है. हालांकि, इसमें महिला ऑफिसर का बढ़िया कम बैक आता है,
सर सक्सेना के दो बच्चे हैं, उसका प्रेशर डबल होगा, है न?
एक और सीन में एक फिल्म फाइनेंसर इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर को उनकी सेक्शुअलिटी को लेकर घेरने की कोशिश करता है. इस पर भी ऑफिसर उन्हें करारा जवाब देती है.
इस सीरीज़ में माधुरी का किरदार यानी अनामिका आनंद अपने घर की सोल ब्रेड विनर है. उसके कमाए रुपयों से घर चलता है, पूरे परिवार की ज़रूरतें पूरी होती हैं. लेकिन उनकी मां (सुहासिनी मुले) और पति (संजय कपूर) उन्हें ऐसा महसूस करवाते हैं जैसे अनामिका जो कुछ भी हैं या जैसी भी लाइफ जी रही हैं, वो उनकी वजह से है. अनामिका की मां कई सीन्स में इस बात पर ज़ोर देती नज़र आती है कि मर्द के बिना औरत कुछ नहीं है, ज़िंदगी में पुरुष का होना ज़रूरी है, जबकि उनका पूरा कुनबा एक औरत के कंधे पर टिका होता है.
Anamika सीरीज़ के एक सीन में राजश्री देशपांडे.

एक सीन में इनवेस्टिगेटिंग ऑफिसर अनामिका की बेटी से पूछती है कि उसे कुछ पता हो तो वो बता दे. इस पर सुहासिनी मुले का किरदार कमेंट करता है,
ऐसा ही होता है जब औरत पैंट-शर्ट पहनकर मर्द बनने निकलती हैं, तमीज़ भूल जाती हैं.
इस पर लेडी अफसर जवाब देती है,
हम अपनी पुलिसगिरी पर उतर जाएं?
ये सीरीज़ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में जेंडर और उम्र को लेकर जो अंतर है उस पर भी बात करती है. एक सीन में संजय कपूर का किरदार कहता है- कुछ नहीं होगा इस इंडस्ट्री का. हीरोज़ कबर पर टांग लटकाए बैठे हैं, पर रोमांस करेंगे अपनी बेटी की उम्र की लड़की से. एक और सीन में अनामिका अपने को-स्टार (मानव कौल) से कहती है,
न्यूकमर्स के साथ तुम्हारा ऐटिट्यूड क्या है मुझे पता नहीं, लेकिन इस सेट पर तुम अकेले स्टार नहीं हो, हम ईक्वल प्रोफेशनल्स हैं. मैं चाहती हूं कि तुम वैसे ही बिहेव करना शुरू करो.
Manav Kaul सीरीज़ में मानव कौल माधुरी के लव इंटरेस्ट बने हैं. उनका किरदार फिल्म एक्टर मनीष खन्ना का है.
समलैंगिक रिश्तों, सेम सेक्स पैरेंटिंग को लेकर लोगों की मानसिकता, बॉडी शेमिंग और नेपोटिज़्म को ये सीरीज़ करीब से छूती है. इसके साथ ही स्टार किड्स जिस प्रेशर में रहते हैं वो भी इसमें दिखता है. कैसे एक लड़का खुद के समलैंगिक होने को स्वीकार नहीं कर पाता, खुद को स्ट्रेट दिखाने के लिए सेक्स वर्कर के पास जाता है, खुद को खत्म करने की कोशिश करता है क्योंकि उसे लगता है कि सबको पता चला तो उसके परिवार की बदनामी होगी और फिर कैसे वो इसे एक्सेप्ट करता है और दुनिया के सामने आता है. ये देखने लायक है कि कैसे एक ट्रैजेडी में एक किरदार ये सफर तय करता है.
डोमेस्टिक वायलेंस इस सीरीज़ का एक ज़रूरी प्लॉट है. फिज़िकल वायलेंस के साथ-साथ इमोशनल और इकोनॉमिक वायलेंस इसमें दिखाया गया है. इसके एक सीन का स्पेशल मेंशन करना चाहूंगी. इसमें अनामिका अपने बेटे से उस सेक्स वर्कर का नाम पूछती है जिसके साथ वो वक्त बिताकर आया होता है. जब वो नाम नहीं बता पाता, तो वो उस पर चिल्लाती है,
"वो एक प्रोफेशनल है, वो जो करती है वो उसका काम है. इन केस तुम उसे किसी और नज़र से देख रहे हो. तुम्हारे लिए ये दो मिनट का फन है, लेकिन उसके लिए ये उसकी ज़िंदगी है. मेहनत से पैसे कमाती है. वो अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है. बेसिक रिस्पेक्ट तो दे सकते हो न तुम? मैं अपने बेटे से इतनी उम्मीद तो कर सकती हूं न कि उसमें इतनी डिसेंसी होगी कि वो उसका नाम पूछेगा."
इसके बाद वो सिर्फ उस सेक्स वर्कर से बात करने और उसका नाम पूछने के लिए उससे मिलने जाता है. इसके अलावा भी इस सीरीज़ में कई छोटे-छोटे संवाद हैं जो इसे जेंडर और जेंडर ईशूज़ के नज़रिए से बेहतरीन सीरीज़ बनाते हैं.
Fame Gamekids द फेम गेम के एक सीन में लक्षवीर सरण और मुस्कान जाफरी. दोनों ने माधुरी के बच्चों का रोल प्ले किया है.

ये सीरीज़ एक रिकॉल वैल्यू के साथ खत्म होती है. कि कैसे पेरेंट्स ये समझते हैं कि उनके बच्चे अपने फैसले खुद ले नहीं सकते, कि उनको दुनिया की समझ नहीं है. सीरीज़ के आखिर में अनामिका अपनी बेटी से कहती है-
बच्ची हो तुम, तुम्हें पता नहीं दुनिया कैसे चलती है.
यही बात अनामिका से उसकी मां ने कही होती है, जब वो उसे जबरदस्ती एक्टर बनाना चाहती है.
इसका हर किरदार रियल लगता है. फिर चाहे वो अपनी सेक्शुअलिटी से जूझ रहा लड़का हो, एक्टर बनने के अपने सपने को बुन रही लड़की हो, करियर और पर्सनल प्रॉब्लम्स के बीच बैलेंस बना रही पुलिस ऑफिसर हो, पत्नी की परछाई में रहने वाला कुंठित पति हो या फिर तमाम जिम्मेदारियों के बीच अपने प्यार और करियर को बचाए रखने की स्ट्रगल करती एक्ट्रेस हो.

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