The Lallantop
Advertisement

बजट का विरोध करते-करते राजस्थान के BJP चीफ ने घटिया बात कर दी

डॉक्टर सतीश पूनिया ने बजट की तुलना दुल्हन से की.

Advertisement
Img The Lallantop
राजस्थान BJP चीफ सतीश पूनिया (राइट) ने राज्य के बजट की तुलना दुल्हन से करते हुए आपत्तिजनक बात कही. (बाईं फोटो- पिक्साबे, दाईं फोटो- विकिमीडिया कॉमन्स)
font-size
Small
Medium
Large
23 फ़रवरी 2022 (Updated: 23 फ़रवरी 2022, 14:38 IST)
Updated: 23 फ़रवरी 2022 14:38 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
अशोक गहलोत. राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं. 23 फरवरी को उन्होंने राज्य का सालाना बजट पेश किया. जैसा कि हमेशा होता है. सरकार के पक्षकार बजट का सपोर्ट करते हैं और विपक्ष में बैठे लोग उसका विरोध करते हैं. वैसा ही राजस्थान में भी हुआ. लेकिन राजस्थान बीजेपी चीफ डॉक्टर सतीश पूनिया ने विरोध में बेहद आपत्तिजनक बात बोल दी. बजट को लेकर गहलोत सरकार को घेरने की कोशिश में डॉक्टर पूनिया ने कहा,
"राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जो बजट पेश किया है वो एक काली दुल्हन की तरह है जिसे गोरी दिखाने के लिए पार्लर में उसका मेकअप किया गया हो."
(राजस्थान बजट: OPS बहाल करने के अलावा अशोक गहलोत ने और क्या बड़ी घोषणाएं की हैं?) बजट में क्या कमियां हैं या बजट एकदम बेकार है ये बोलने के लिए डॉक्टर पूनिया किसी और उपमा का इस्तेमाल कर सकते थे. वो बता सकते थे कि फलानी स्कीम की दिक्कतें क्या हैं, वो क्यों फेलियर साबित हो सकता है. वो पिछले बजट के उन वादों की लिस्ट निकाल सकते थे जो पूरे नहीं हुए. वो बता सकते थे कि राज्य की ज़रूरतें क्या हैं, सरकार को क्या ऐलान करने चाहिए थे. वो बता सकते थे कि बजट से उनकी उम्मीदें क्या थीं. लेकिन उन्होंने सेक्सिस्ट और रेसिस्ट होना चुना. रंग को लेकर सदियों से लड़कियों को असुरक्षित महसूस कराया जाता रहा है. दुल्हनों पर हमेशा से एक खास तरह से दिखने का अतिरिक्त प्रेशर डाला जाता रहा है. हम ऐसी कितनी लड़कियों को जानते हैं जो शादी से पहले खाना कम कर देती हैं ताकि वज़न थोड़ा कम हो जाए. कितनी लड़कियों को उनके रंग को लेकर प्रताड़ित किया जाता है. तुम तो इतनी गोरी हो मॉडलिंग में ट्राई करो, ये रोल तो गोरी लड़की ही करेगी, सोने जैसा रंग, गोरी है कलाइयां, गोरिया चुरा न मेरा जिया... खूबसूरती के तमाम उदाहरण, तमाम उपमाएं गोरी लड़कियों पर आकर अटक जाते हैं. बार-बार, अलग-अलग तरीकों से इस बात पर ज़ोर देने की कोशिश की जाती है कि गोरा होना ही आकर्षक होने का चरम है. सांवले लोगों को बार-बार उनके रंग को लेकर टोककर और गोरे होने की टिप्स बताकर उनके कॉन्फिडेंस पर चोट की जाती है. उन्हें कमतर महसूस कराया जाता है, जबकि सांवला होना भी उतना ही नैचुरल और कॉमन है जितना किसी का गोरा होना. यहां हमारे नेता भूल जाते हैं कि जेंडर और नस्ल के मुद्दों पर संवेदनशील होने, इन मुद्दों के प्रति लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी भी उनकी है. उल्टे वो गैर-बराबरी को बढ़ावा देने वाली भाषा का इस्तेमाल करते हैं.

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement