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क्या ट्रांस वुमन होने की वजह से यशिका सिंह को हॉस्टल नहीं दे रही पंजाब यूनिवर्सिटी?

मेरिट लिस्ट में होने के बाद भी यशिका को नहीं मिला हॉस्टल.

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मेरिट लिस्ट में होने के बावजूद यशिका के पास कोई स्थाई आवास नहीं है. (तस्वीर - इंस्टाग्राम)
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20 मार्च 2022 (Updated: 20 मार्च 2022, 14:14 IST)
Updated: 20 मार्च 2022 14:14 IST
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कॉलेज में दाख़िला हो जाए, तो सबसे पहला सवाल आता है- रहेंगे कहां? मेरिट लिस्ट वालों को कॉलेज हॉस्टल मिल जाता है. बचे हुए भी कहीं कहीं अपना जुगाड़ ढूंढते हैं. कुल मिलाकर कहने का मतलब ये कि हॉस्टल मिलने की एक शर्त है. मेरिट लिस्ट में नाम. लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी में जो मसला चल रहा है, वो इस बात को ग़लत कर देता है. एक स्टूडेंट को उसकी आइडेंटिटी की वजह से हॉस्टल नहीं मिल रहा है.
यशिका सिंह. एक ट्रांस वुमन हैं. पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज़ से मास्टर्स कर रही हैं. वो पिछले 6 महीने से हॉस्टल के लिए संघर्ष कर रही हैं. हॉस्टल के लिए मेरिट लिस्ट में यशिका का नाम है, लेकिन यूनिवर्सिटी की नीतियों में ट्रांस स्टूडेंट्स के रहने की व्यवस्था नहीं है. इसी को लेकर यशिका लगातार प्रोटेस्ट कर रही हैं. सोशल मीडिया पर और छात्र संगठनों ने यशिका को सपोर्ट किया है. आइडेंटिटी की वजह से नहीं मिल रहा हॉस्टल यशिका ने अक्टूबर 2021 में पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज़ में दाख़िला लिया. सितंबर में ही उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन को हॉस्टल के लिए आवेदन दिया था. कोई कार्रवाई नहीं हुई. फिर अक्टूबर 2021 में चंडीगढ़ के डिप्टी कमिशनर और एडिशनल डिप्टी कमिशनर को पत्र लिखा. कोई कार्रवाई नहीं. फिर दिसंबर 2021 में सोशल जस्टिस मिनिस्ट्री को पत्र लिख दिया. कोई... आपको लग रहा होगा फिर 'कोई कार्रवाई नहीं'. नहीं, इस बार विश्वविद्यालय ने मामले का संज्ञान लिया. चंडीगढ़ प्रशासन के सामने इस मुद्दे को उठाने के बाद विश्वविद्यालय ने सामाजिक कल्याण, महिला और बाल विकास के निदेशक को सूचित किया कि विश्वविद्यालय इस मामले पर एक समिति का गठन करेगा. हां, समिति का गठन, लेकिन महीनों बाद भी विश्वविद्यालय की ओर से कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.
इतने दिन यशिका कहां रहीं? कैम्पस से बाहर, अपने ख़र्च पर. 'येस वी एग्ज़िस्ट' नाम के LGBTQIA संगठन के मुताबिक़, जब से यशिका अपनी ट्रांस आइडेंटिटी के साथ सामने आई हैं, उनके माता-पिता वित्तीय सहयोग नहीं करते हैं.
Punjab University ने अभी के लिए यशिका को विश्वविद्यालय के राजीव गांधी कॉलेज भवन गेस्ट-हाउस में रखा है. यशिका का कहना है,
"मैं पिछले साल अक्टूबर से हॉस्टल रूम की मांग कर रही हूं. मेरी कक्षाएं ऑफलाइन मोड में फिर से शुरू हो गई हैं, लेकिन मेरिट लिस्ट में होने के बावजूद मेरे पास कोई स्थाई आवास नहीं है."
यशिका अनुसूचित जाति से हैं, तो सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज़ ने यशिका को SC महिला के लिए आरक्षित अलग छात्रावास सीट आवंटित की थी, क्योंकि वह आरक्षण मानदंडों को पूरा करती हैं.
इस हफ़्ते की शुरुआत में सेंटर ने डीन छात्र कल्याण (डीएसडब्ल्यू) के कार्यालय से अनुरोध किया था कि SC महिला वर्ग की सीट यशिका को आवंटित की जाए, क्योंकि ट्रांस ऐक्ट के अनुरूप यशिका ख़ुद को एक ट्रांस वुमन के रूप में आइडेंटिफ़ाई करती हैं. ट्रांस ऐक्ट का ज़िक्र आया है तो ब्रीफ़ में उसके बारे में भी जान लीजिए.
Punjab University Protests
ट्रांस ऐक्ट ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति या संस्थान किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं कर सकता है
(फोटो - इंस्टाग्राम)

ट्रांस ऐक्ट या ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) बिल को नरेंद्र मोदी सरकार में ही सामाजिक न्याय मंत्री ने जुलाई 2019 को लोकसभा में पेश किया था. बिल में अलग-अलग प्रावधानों को शामिल किया गया. मक़सद ट्रांसजेंडर्स के अधिकार की सुरक्षा और कल्याण.
2 फरवरी 2015 की डेट का एक सर्कुलर है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति या संस्थान किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति के साथ शैक्षणिक प्रतिष्ठानों और सर्विसेज़ में भेदभाव नहीं करेगा. सेंटर ने डीएसडब्ल्यू कार्यालय को यूजीसी के इस सर्कुलर के आलोक में मामले की समीक्षा करने के लिए भी कहा था. केंद्र की संयुक्त शैक्षणिक और प्रशासनिक समिति (JAAC) ने भी सिफारिश की थी कि चूंकि ट्रांसजेंडर स्टूडेंट्स के लिए कोई अलग छात्रावास नहीं है, इसलिए किसी भी खाली यूनिट या अंतरराष्ट्रीय छात्रावास के एक हिस्से को अस्थाई आवंटन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.
कॉलेज की तरफ़ से इस मामले पर कोई स्पष्टता नहीं आई है. डीएसडब्ल्यू जगतार सिंह ने कहा, "मामला सक्रिय रूप से विचाराधीन है और बहुत जल्द निर्णय लिया जाएगा."
15 मार्च से यशिका VC ऑफ़िस के सामने धरने पर बैठी हुई है. पंजाब फेमिनिस्ट यूनियन ऑफ़ स्टूडेंट्स और अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन ने यशिका की मांग का समर्थन किया है. 'येस वी एक्ज़िस्ट' ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा है कि धरने के बाद यशिका पर अलग-अलग तरीकों से दबाव डाला जा रहा है. जिस गेस्ट हाउस में अस्थाई तौर पर यशिका रह रही थीं, उन्हें रात में जगह खाली करने को कहा गया.
प्रशासन के इस रवैये के बाद से यशिका को खूब सपोर्ट मिल रहा है. प्रोटेस्ट में लोगों की संख्या बढ़ रही है. प्रोटेस्ट की मुख्य मांगें हैं -
# जब तक एक परमानेंट एकोमोडेशन का प्रावधान नहीं होता, टेंपररी ठिकाने से यशिका को किसी सूरत में न हटाया जाए
# जितनी जल्द हो सके यशिका को हॉस्टल मिले और यशिका उतनी ही फ़ीस देंगी जितनी गर्ल्स हॉस्टल में लगती है
# एक क्वियर कमिटी का गठन हो, जिसमें 50% प्रतिनिधित्व क्वियर समुदाय का हो
अब ये सब क्यों हो रहा है? क्योंकि बतौर समाज और स्टेट, हमने ट्रांसजेंडर्स के लिए एक अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में सोचा ही नहीं. ट्रांस राइट्स और ह्यूमन राइट्स ये केवल एक नारा नहीं है, सच है. इसे जितनी जल्दी और संजीदगी से समझा जाए, उतना अच्छा है.

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