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गर्भ निरोधक गोलियां खाने से पुरुषों पर क्या असर पड़ेगा?

डॉक्टर से जानिए कैसे काम करेंगी पुरुषों की Birth Control Pills.

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अब कॉन्डम और नसबंदी के साठ आदमियों के लिए भी आएंगे गर्भ - निरोधक पिल्स (सांकेतिक तस्वीर)
28 मार्च 2022 (Updated: 28 मार्च 2022, 14:49 IST)
Updated: 28 मार्च 2022 14:49 IST
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गर्भ निरोधक गोलियां. भारत में इस वक्त  बर्थ कंट्रोल की जितनी दवाइयां मिलती हैं वो सब महिलाओं के इस्तेमाल के लिए होती हैं. बर्थ कंट्रोल पिल्स दो तरह की होती हैं. एक वो जो रेगुलर मेडिसिन के तौर पर औरतें खाती हैं, ताकि वो प्रेग्नेंट न हों. और दूसरी वो जो अनप्रोटेक्टेड सेक्स के बाद खाई जाती हैं. अब पुरुषों के लिए बने बर्थ कंट्रोल पिल पर भी एक सफल प्रयोग हो चुका है.फिलहाल इस पिल का प्रयोग चूहों पर किया गया है. और ये प्रयोग 99 प्रतिशत तक सफल भी हुआ है.
ये पिल जल्द ही अमेरिकन केमिकल सोसायटी में पेश की जाएगी. मिनेसोता यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे एक स्टूडेंट ने ये पिल तैयार की है. उनका नाम मोहम्मद अब्दुल्ला नोमन है. उन्होंने कहा,
"कई स्टडीज़ में पता चला है कि पुरुष अपने साथी के साथ बर्थ कंट्रोल की जिम्मेदारी बांटने में इंटरेस्टेड होते हैं."
उनका कहना है कि इसी के चलते उन्हें मेल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल बनाने का आइडिया आया. उन्होंने बताया कि ये पिल नॉन-हॉर्मोनल पिल होगी. मेल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स क्या हैं? मेल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स बेसिकली ऐसी दवाएं हैं जो पुरुषों में स्पर्म काउंट को कम करेंगी. उनके सेक्स करने की इच्छा और सेक्शुअल परफॉर्मेंस को प्रभावित किए बिना.
मेल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स क्या होते हैं, कैसे काम करेंगे, ये समझने के लिए हमने यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अंशुमन अग्रवाल से बात की. उन्होंने बताया,
"पुरुषों के शरीर में स्पर्म बनने की जो प्रोसेस होती है, वो कुछ हॉर्मोन्स से गवर्न होती है. ब्रेन से कुछ हॉर्मोन निकलते हैं, वो टेस्टेस को सिग्नल देते हैं तो टेस्टेस स्पर्म बनाता है. कुछ हॉर्मोन टेस्टेस में बनते हैं जो स्पर्म के बनने में मदद करते हैं. इस तरह स्पर्म को बनाने के लिए टेस्टेस ब्रेन के कंट्रोल में काम करते हैं. अब अगर हम किसी दवा की मदद से टेस्टेस को सिग्नल देने वाले हॉर्मोन्स को अटैक करते हैं तो हम स्पर्मैटोजेनेसिस यानी स्पर्म बनने की प्रोसेस को अफेक्ट कर सकते हैं. "
क्या इस ट्रीटमेंट के कोई साइड इफेक्ट्स होते हैं? इसके जवाब में डॉक्टर अंशुमन ने कहा,
"लेकिन अगर हम हॉर्मोन्स को अफेक्ट करते हैं तो उसके कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. जैसे अगर हम टेस्टेस्टेरॉन को इफेक्ट करेंगे तो उनके मैनली फीचर्स प्रभावित होंगे. हड्डियां कमज़ोर होने लगेंगी. इसलिए हॉर्मोन्स के साथ प्ले करने में कोई न कोई साइड इफेक्ट होंगे."
डॉक्टर अंशुमन ने बताया कि इसी वजह से नॉन हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में बहुत सारे प्रोसेसेस होते हैं. एक हॉर्मोन कई प्रोसेसेस से जुड़ा होता है. अगर आप हॉर्मोनल पिल्स इस्तेमाल करके किसी एक हॉर्मोन को टार्गेट करेंगे तो वो हॉर्मोन जिस भी प्रोसेस से जुड़ा है वो सब प्रभावित हो जाएंगे. लेकिन अगर आप नॉन हॉर्मोनल्स पिल्स का इस्तेमाल करके किसी एक प्रोसेस को टारगेट करेंगे तो केवल वो प्रोसेस प्रभावित होगी. उन्होंने बताया कि नॉन-हॉर्मोनल पिल्स के साइड इफेक्ट्स नहीं के बराबर होते हैं.
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महिलाओं के लिए आने वाली गर्भ निरोधक गोलियां 21 या 28 गोलियों की पत्तियों में आती हैं. ये गोलियां पीरियड के पहले दिन से शुरू करनी होती है. इन गोलियों का इस्तेमाल महिलाओं और लड़कियों के पीरियड्स रेगुलर करने के लिए भी किया जाता है. (सांकेतिक तस्वीर) ये दवा Chemical Castration की तरह तो नहीं? इस सवाल के जवाब में डॉक्टर अंशुमन ने कहा कि बर्थ कंट्रोल पिल्स पुरुषों के सेक्स करने की इच्छा या क्षमता को प्रभावित नहीं करते हैं. ये केवल स्पर्म काउंट को कम कर देते हैं. आपको बता दें कि केमिकल कैस्ट्रेशन में पुरुषों का सेक्स ड्राइव ही खत्म हो जाता है. अब ऐसी पिल्स को लेकर एक कंसर्न और उठता है कि क्या ये हमेशा के लिए पुरुषों में स्पर्म बनने की प्रोसेस को रोक देते हैं. जवाब में डॉक्टर अंशुमन ने कहा,
"फ़ीमेल कान्ट्रसेप्टिव पिल्स की तरह ये भी रिवर्सिबल होंगे. इनका असर तब तक ही होगा जब तक इनका सेवन किया जाएगा. पिल्स छोड़ने के कुछ समय बाद ही सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा."
अब तक क्या रहे पुरुषों के लिए Birth Control के तरीकेपुरुषों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला गर्भ निरोध (सांकेतिक तस्वीर)
पुरुषों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला गर्भ निरोध (सांकेतिक तस्वीर)

पुरुषों के लिए अब तक बर्थ कंट्रोल के दो ही तरीके इस्तेमाल होते हैं. पहला है निरोध यानी कॉन्डम. दूसरा है नसबंदी. कॉन्डम टेम्पररी बर्थ कंट्रोल मेथड है, वहीं नसबंदी एक परमानेंट बर्थ कंट्रोल मेथड है.
बर्थ कंट्रोल की जिम्मेदारी महिला और पुरुष दोनों की होती है. लेकिन भारत में ये देखा गया है कि ये जिम्मेदारी अक्सर महिलाओं पर डाल दी जाती है. लाइव मिंट की एक रिपोर्ट
के मुताबिक, साल 2019-20 में केवल 5.6 प्रतिशत पुरुष ही कॉन्डम का इस्तेमाल करते हैं, इसके पीछे वो वजह देते हैं कि कॉन्डम से सैटिस्टफैक्शन नहीं मिलता है. नतीजा ये होता है कि या तो अनचाहा गर्भ ठहर जाता है या फिर महिलाओं को इमरजेंसी पिल्स खानी पड़ती हैं. कॉन्डम के अलावा पुरुषों के लिए गर्भ निरोध का कोई टेम्पररी तरीका नहीं है. ऐसे में अगर मेल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल ट्रायल्स में सफल होती है और मार्केट में आती है तो हो सकता है कि बर्थ कंट्रोल मेथड्स अपनाने में पुरुषों की भागीदारी भी बढ़े.

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