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कर्नाटक हिजाब मामले में कब क्या हुआ, पूरी टाइमलाइन ये रही

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब को इस्लाम का अभिन्न अंग मानने से इनकार कर दिया है.

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब को इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं माना है. फोटो- PTI
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15 मार्च 2022 (Updated: 15 मार्च 2022, 07:06 IST)
Updated: 15 मार्च 2022 07:06 IST
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हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला आ गया है. हाईकोर्ट ने क्लासरूम में हिजाब पहनने की मांग वाली सारी याचिकाएं खारिज कर दी हैं. कोर्ट ने कहा कि हिजाब इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है और इसलिए छात्राएं यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकती हैं.
हिजाब मामला बीते तीन महीने से लगातार चर्चा में है. छात्राओं के हिजाब पहनकर क्लास में बैठने पर बैन और अब हाई कोर्ट के फैसले के बीच इस मामले में काफी-कुछ हो चुका है. चलिए जानते हैं कि इस मामले में कब क्या हुआ.
- दिसंबर, 2021. कर्नाटक के उडूपी जिले का कुंडापुर. यहां के सरकारी इंटरकॉलेज में पढ़ने वाली छह लड़कियों ने हिजाब पहनकर आना शुरू किया. स्कूल प्रबंधन ने छात्राओं को क्लास अटेंड करने से रोका.
- कई दिनों तक लगातार क्लास अटेंड करने से रोके जाने के बाद छात्राओं ने प्रोटेस्ट शुरू किया. छात्राओं की मांग थी कि हिजाब उनकी धार्मिक प्रैक्टिस का हिस्सा है और उन्हें क्लासरूम में हिजाब पहनने से रोका नहीं जा सकता है. छात्राओं का ये भी कहना था कि परीक्षा सिर पर है और उसके बावजूद उन्हें पढ़ने नहीं दिया जा रहा है.
- 3 जनवरी, 2022- चिकमगलुरु के एक सरकारी कॉलेज में कुछ हिंदू छात्र भगवा स्कार्फ बांधकर पहुंचे. उनकी मांग थी कि अगर मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने दिया जाएगा तो उन्हें भी भगवा स्कार्फ बांधने दिया जाए. 6 जनवरी को मंगलुरु के पॉम्पेई कॉलेज में भी इसी तरह के प्रोटेस्ट हुए.
Hijab कर्नाटक के उडुपी जिले के कुंडापुर स्थित सरकारी इंटर कॉलेज में छह लड़कियों ने दिसंबर से हिजाब पहनना शुरू किया था, इसके बाद से ही उन्हें क्लास अटेंड करने नहीं दिया जा रहा था. अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्लास में हिजाब पहनने पर ही रोक लगा दी है. फोटो- PTI

- मिड जनवरी ये मामला सोशल मीडिया तक पहुंचा और तेज़ी से वायरल हुआ. बहस शुरू हुई. धर्म बनाम पढ़ाई, धर्म की आज़ादी बनाम यूनिफॉर्म पर. कर्नाटक सरकार की नीयत पर भी सवाल उठे और छात्राओं पर पॉलिटिकली मोटिवेटेड होने के आरोप भी लगे.
- 31 जनवरी, 2022- कुंडापुर इंटरकॉलेज की लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. मांग की कि हिजाब पहनकर क्लास अटेंड करने के लिए उन्हें अंतरिम राहत दी जाए.
-  2 फरवरी, 2022- कुंडापुर इंटरकॉलेज में कुछ हिंदू छात्र भगवा स्कार्फ पहनकर पहुंचे. इसके बाद इंटरकॉलेज ने धार्मिक कपड़े पहनकर आने वाले छात्रों के लिए गेट बंद कर दिया. छात्राओं के वीडियो वायरल हुए जिनमें वो क्लास अटेंड करने देने की गुहार लगाती दिखीं. कर्नाटक के दूसरे जिलों से भी इस तरह के वीडियो और तस्वीरें सामने आईं.
- 5 फरवरी को कर्नाटक सरकार ने सभी सरकारी संस्थानों के लिए सर्कुलर जारी किया कि जब तक ड्रेस कोड को लेकर सरकार की कमिटी कोई फैसला नहीं लेती तब तक हिजाब को लेकर यथास्थिति बनाए रखें. इस आदेश में कर्नाटक सरकार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि क्लासरूम में हिजाब पर बैन लगाना छात्राओं के धर्म की आज़ादी के खिलाफ नहीं है.
-8-9 फरवरी, 2022- हिजाब के समर्थन और विरोध में जारी प्रदर्शन कर्नाटक के दूसरे जिलों में भी फैला. 8 फरवरी को एक वीडियो सामने आया जिसमें प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्रों ने स्कूल में तिरंगे की जगह भगवा झंडा फहरा दिया. एक और वीडियो वायरल हुआ जिसमें बुर्का पहनी एक लड़की को कई सारे भगवाधारी घेरने की कोशिश करते दिखे.
- 10 फरवरी, 2022- कर्नाटक हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया. हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक छात्राएं क्लासरूम में हिजाब पहनकर नहीं जाएंगी. याचिकाकर्ता कर्नाटक हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे थे, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर वो सुनवाई करेंगे तो कर्नाटक हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई कर ही नहीं पाएगी.
- 16 फरवरी को कर्नाटक सरकार के अल्पसंख्यक, हज और वक्फ विभाग की तरफ से एक सर्कुलर जारी किया गया. इसमें कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे किसी भी माइनॉरिटी इंस्टीट्यूट में छात्र हिजाब, भगवा साफा या कोई और धार्मिक परिधान नहीं पहन सकेंगे. इसके मुताबिक, छात्र इन परिधानों में स्कूल परिसर में आ सकते हैं लेकिन उन्हें क्लास अटेंड करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
- हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई शुरू की. 11 दिन की सुनवाई के बाद 25 फरवरी को बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.
- 15 मार्च को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने हिजाब को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना है और कहा है कि छात्राएं यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकती हैं.

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