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चश्मे के प्लस-माइनस नंबर में आपको भी कन्फ्यूज़न है तो ये पढ़ लीजिए

साथ ही माइनस नंबर वाली दिक्कत के बारे में भी जान लीजिए.

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मायोपिया से आंखों की रोशनी जा भी सकती है
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30 नवंबर 2020 (Updated: 29 नवंबर 2020, 02:44 IST)
Updated: 29 नवंबर 2020 02:44 IST
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.
सेहत पर हमें मेल आया लतेश का. लल्लनटॉप के व्यूअर हैं. कैनाडा में सेटल्ड हैं. उनका एक बेटा है. सात साल का. उसे मायोपिया की दिक्कत है. जब लतेश ने डॉक्टर से बात की तो पता चला एशियाई देशों से आने वाले बच्चों में ये दिक्कत बहुत ज़्यादा है. अब लतेश चाहते हैं हम डॉक्टर्स से बात करके मायोपिया के ऊपर उन्हें सही जानकारी दें. तो देखिए सबसे पहले तो ये जान लेते हैं कि मायोपिया आख़िर होता क्या है और क्यों होता है?
क्या होता है मायोपिया?
ये जानने के लिए हमने बात की डॉक्टर कौशल शाह से.
डॉक्टर कौशल शाह, ऑय स्पेशलिस्ट, ऑय हील कंप्लीट विज़न केयर, मुंबई
डॉक्टर कौशल शाह, ऑय स्पेशलिस्ट, ऑय हील कंप्लीट विज़न केयर, मुंबई


-जब इंसान को दूर की चीज़ें कम या धुंधली दिखाई देती हैं, तो उस कंडीशन को मायोपिया कहते हैं. इस केस में नज़दीक की चीज़ें सही और साफ दिखाई देती हैं.
कारण
- मायोपिया होने का एक मुख्य कारण है. जिन लोगों में आईबॉल की लंबाई ज़्यादा होती है, उन्हें मायोपिया होता है
लक्षण
-दूर की चीज़ें साफ़ दिखाई नहीं देतीं
-नज़दीक जाकर उन चीज़ों को देखना पड़ता है
-कई बच्चे टीवी एकदम करीब जाकर देखते हैं. इन बच्चों में मायोपिया होने के चांसेज़ ज़्यादा होते हैं
-बार-बार सिर दर्द होना
-तिरछी आंखें. यानी आंखों को बहुत ज़्यादा छोटी करके देखने की कोशिश
कारण हमें पता चल गए. अब जानते हैं कि क्या मायोपिया के कारण आंखों की रोशनी जा सकती है? और इसका इलाज क्या है?
Nearsightedness: What Is Myopia? - American Academy of Ophthalmology जब हाई मायोपिया होता है तो जिस भाग से हम देखते हैं वो पतला होते जाता है


मायोपिया से आंखों की रोशनी जा भी सकती है. कभी-कभी मायोपिया के पेशेंट्स में रेटिना (आंखों के अंदर एक परत) में छेद पाए जाते हैं. इसमें परदे का खिसकना मुमकिन होता है, अगर पर्दा खिसका और उसका इलाज टाइम पर नहीं किया गया तो रोशनी जा भी सकती है. इसके साथ ही जब हाई मायोपिया होता है तो जिस भाग से हम देखते हैं वो पतला होता जाता है, इस पतलेपन के कारण आंखों के सेंटर वाले एरिया (मैक्यूला) में दोष पाया जाता है और आंखों की रोशनी जा सकती है.
इलाज
-सबसे आम और आसान इलाज है चश्मा, मायोपिया में  चश्मे माइनस नंबर में मिलते हैं.
-दूसरा तरीका है कांटैक्ट लेंसेस. ज़्यादातर युवा लोग कांटैक्ट लेंसेस इस्तेमाल करते हैं, ये कांटेक्ट लेंसेस माइनस पॉवर के होते हैं. कलर्ड और नॉन-कलर्ड मिलते हैं.
-तीसरा इलाज परमानेंट है. वो है लेसिक. लेसिक सर्जरी से मायोपिया को ठीक किया जा सकता है
-चौथा इलाज भी परमानेंट है. वो है ICL. Intracameral Lens. आंखों के अंदर लेंस लगाए जाते हैं जिससे मायोपिया ठीक हो सकता है
-पांचवा इलाज है PRK. यानी Photorefractive keratectomy. ये एक लेज़र सर्जरी है
एक्स्ट्रा कटः
हमारे आसपास बहुत से लोग ऐसे हैं जो चश्मे के प्लस और माइनस नंबर में कन्फ्यूज़ हो जाते हैं या उनका फर्क नहीं समझते हैं. दरअसल, जब आपको दूर की चीज़ें नहीं दिखतीं तो उस कंडीशन को मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) कहते हैं और उस कंडीशन में माइनस नंबर वाला चश्मा लगता है. वहीं, जब आपको पास की चीज़ें ठीक से नहीं दिखतीं तो उस कंडीशन को हाईपरमेट्रोपिया (दूर दृष्टि दोष) कहते हैं. इस कंडीशन में प्लस नंबर वाला चश्मा लगता है.
उम्मीद है लतेश और जो भी लोग मायोपिया से जूझ रहे हैं, ये जानकारी उनके काम आएगी.


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