The Lallantop
Advertisement

'शादी का वादा करके सेक्स' को बलात्कार माना जाए या नहीं?

अदालतें अलग-अलग मामलों में अलग-अलग फैसला क्यों सुनाती हैं?

Advertisement
Img The Lallantop
सुप्रीम कोर्ट ने शादी का झांसा देकर सेक्स के एक मामले में लड़के को आरोपी माना है, साथ ही छह महीने के अंदर शादी नहीं करने पर जेल भेजने का आदेश दिया है.
font-size
Small
Medium
Large
12 फ़रवरी 2021 (Updated: 12 फ़रवरी 2021, 18:31 IST)
Updated: 12 फ़रवरी 2021 18:31 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
एक लड़का और एक लड़की. दोनों अपने देश से दूर एक दूसरे देश में मिलते हैं. दोस्ती होती है, फिर प्यार होता है. लड़का शादी का वादा करता है और लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाता है. लड़की भी ये सोचकर कि आखिर में शादी तो इसी लड़के से होनी है, इस रिलेशन के लिए हां कह देती है. लेकिन कुछ समय बाद लड़का शादी के लिए मना कर देता है. फलाना-ढिमकाना टाइप का बहाना या कारण बताकर. फिर लड़की खटखटाती है कानून का दरवाज़ा. लड़के के ऊपर शादी का वादा करके रेप करने का आरोप लगाती है. यहां से शुरू होती है कानूनी लड़ाई. अब सवाल ये है कि ऐसे मामलों में, जहां लड़का और लड़की, दोनों अपनी मर्ज़ी से सेक्शुअल रिलेशन बनाते हैं, क्या वाकई ये 'रेप' कहलाएगा या नहीं? मामला क्या है पहले ये जान लीजिए सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को रेप के एक आरोपी की गिरफ्तारी पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी, क्यों? क्योंकि आरोपी ने उस लड़की से शादी करने के लिए हां कह दिया था, जिसने उसके खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज करवाई थी. इस पूरे मामले की शुरुआत होती है ऑस्ट्रेलिया से, ये देश भारत से करीब आठ हज़ार किलोमीटर दूर है. 'बार एंड बेंच' की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में एक लड़की ऑस्ट्रेलिया गई, पढ़ाई के लिए. यहां उसकी मुलाकात एक लड़के से हुई. लड़के ने लड़की के सामने शादी का प्रपोज़ल रखा. तब लड़की ने उसे बताया कि वो दलित समुदाय से आती है और ये भी कहा कि लड़के के परिवार वाले इस शादी के लिए राज़ी नहीं होंगे. क्योंकि लड़का जाट सिख समुदाय से आता है. यानी कास्ट की दिक्कत आएगी. लेकिन लड़के ने कहा कि वो अपने घरवालों को शादी के लिए मना लेगा.
Marriage (प्रतीकात्मक तस्वीर. )

फिर लड़की ने भी इस प्रपोज़ल को हां कह दिया. अब इसी लड़की ने लड़के के ऊपर रेप के आरोप लगाए हैं. लड़की ने जो FIR दर्ज कराई है, उसके मुताबिक शादी के लिए हामी भरने के बाद लड़के ने उसके साथ सेक्शुअल रिलेशन बनाया. लड़की ने अपनी शिकायत में ये आरोप लगाया कि पहले तो उसने इस रिलेशन के लिए मना किया था, लेकिन लड़का कोशिश करता रहा, फिर एक दिन उसने लड़की के खाने में कुछ नशीला पदार्थ मिला दिया, उसके बाद सेक्शुअल रिलेशन बनाए. लड़की ने ये भी आरोप लगाए कि इसी दौरान लड़के ने बिना उसकी जानकारी के कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें भी खींच ली थीं. एक-दो साल बाद लड़का भारत वापस आ गया. लड़की उससे मिलने भारत आई, दोनों अमृतसर के होटल में रुके, वहां भी दोनों के बीच सेक्शुअल रिलेशन बने, इसी वादे का सहारा लेकर कि लड़का लड़की से शादी करेगा. फिर कुछ समय बाद लड़के ने शादी के लिए मना कर दिया. ये कहकर कि उसके पिता तैयार नहीं हो रहे हैं, क्योंकि दोनों की जाति अलग है. इसके बाद लड़की ने लड़के के खिलाफ पंजाब पुलिस की NRI विंग में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने शुरुआती जांच करके FIR दर्ज की, जिसमें लड़के के खिलाफ रेप और चीटिंग के आरोप लगे.
अपने खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद लड़का पहुंचा पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट. कहा कि जो सेक्शुअल रिलेशन बने थे, वो दोनों की मर्ज़ी से बने थे. लड़के ने मांग की कि उसे गिरफ्तार न किया जाए. कोर्ट ने उसे राहत देने से मना कर दिया. लड़की ने ये भी आरोप लगाए कि लड़का उसे धमकी दे रहा है, इस बात की धमकी कि अगर उसने FIR वापस नहीं ली तो वो उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें वायरल कर देगा. हाई कोर्ट ने अग्रिम ज़मानत की याचिका खारिज करते हुए कहा था,
"याचिकाकर्ता के ऊपर शादी का वादा करके रेप करने के गंभीर आरोप लगे हैं, फिर ये भी आरोप लगा है कि उसने लड़की की तस्वीरें वायरल करने की धमकी दी थी, आरोप गंभीर है इसलिए याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ होना ज़रूरी है."
जब हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली तो लड़का पहुंचा सुप्रीम कोर्ट. चीफ जस्टिस SA बोबड़े की बेंच ने मामले की सुनवाई की और 10 फरवरी को रेप आरोपी की गिरफ्तारी पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी. ऐसा फैसला इसलिए सुनाया क्योंकि दोनों पक्षों के बीच सहमति हो चुकी थी, रेप आरोपी ने लड़की से शादी के लिए हां बोल दिया था. कोर्ट ने इस मामले में 10 फरवरी को कहा,
"दोनों पार्टियों ने समझौता कर लिया है, समझौता ये कहता है कि आरोपी लड़का लड़की से शादी करेगा इसलिए हम फिलहाल याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा रहे हैं."
इसके साथ ही कोर्ट ने विक्टिम लड़की को भी इस मामले में रिस्पॉन्डेंट नंबर-2 बनाकर पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पहले कहा था कि लड़के को गिरफ्तारी से तभी सुरक्षा मिल सकती है, जब वो लड़की से शादी करे. इस पर लड़के के वकील ने कहा था कि लड़की चूंकि ऑस्ट्रेलिया में है, और अभी वो नहीं आ सकती, क्योंकि अभी आने पर उसकी परमानेंट रेसिडेंस के स्टेटस पर खतरा होगा. इस पर कोर्ट ने कहा कि छह महीने के अंदर शादी हो जाए और अगर ऐसा नहीं होगा तो आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाएगा. साथ ही CJI ने ये भी कहा कि अगर ये पता चलता है कि लड़का केवल अपने खिलाफ दर्ज हुए केस से बचने के लिए शादी करने को तैयार हुआ है, तो भी जेल भेज दिया जाएगा.
शादी का वादा करके सेक्शुअल रिलेशन बनाना और फिर शादी से मुकर जाना. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. ऊपर जो केस बताया उसमें कोर्ट ने लड़के को आरोपी माना है, लेकिन ऐसे भी कई केस आए हैं, जहां कोर्ट ने इसे रेप की कैटेगिरी में कंसिडर नहीं किया है. ये सवाल काफी डिबेटेबल है. अलग-अलग मामलों में, अलग-अलग समय पर, अलग-अलग कोर्ट ने, अलग-अलग फैसले सुनाए हैं.

Sale(233) दिल्ली हाईकोर्ट
एक नज़र डालते हैं इस तरह के मामलों पर दिसंबर 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इसी तरह के एक मामले को रेप नहीं माना था. मामला अगस्त 2015 का था. दिल्ली की एक महिला ने एक आदमी के खिलाफ रेप और चीटिंग का केस दर्ज कराया था. कहा था कि शादी का वादा करके आदमी ने उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाएं और आखिर में छोड़कर चला गया, फिर किसी दूसरी महिला से शादी कर ली. इस मामले में 15 दिसंबर 2020 के दिन दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था,
"शादी का वादा करके सेक्शुअल रिलेशन में आने के लिए महिला को प्रलोभन देना, और महिला का उस प्रलोभन का शिकार हो जाना, तब समझ आ सकता है, जब पीड़िता के साथ ऐसा थोड़े समय के लिए हुआ हो. लेकिन लंबे और अनिश्चित समय के लिए सेक्शुअल रिलेशन में रखने के मकसद से शादी का प्रस्ताव प्रलोभन के तौर पर नहीं लिया जा सकता."
वहीं मई 2020 की बात है. ओडिशा हाई कोर्ट ने भी इस तरह का एक जजमेंट सुनाया था. मामला 19 साल की एक लड़की और 27 साल के एक लड़के से जुड़ा था. लड़की ने आरोप लगाया था कि लड़के ने उससे शादी का वादा करके उसके साथ सेक्शुअल रिलेशन बनाए थे. वो प्रेगनेंट भी हो गई थी, जिसे लड़के ने टर्मिनेट करवा दिया था, यानी बच्चा गिरवा दिया था. नवंबर 2019 में लड़के की गिरफ्तारी हो गई थी, उसने लोअर कोर्ट में ज़मानत याचिका डाली थी, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया था. उसके बाद आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील डाली. जस्टिस एस.के. पाणिग्रही ने मामले में मई 2020 में सुनवाई के दौरान कहा था कि शादी का गलत वादा करके सेक्शुअल रिलेशन बनाने को रेप समझना गलत होगा, क्योंकि IPC के सेक्शन 375 में रेप को जिस तरह के परिभाषित किया गया है, ये मामला इसमें फिट नहीं बैठता. अपने जजमेंट में जस्टिस ने कहा था,
"IPC के सेक्शन 375 में रेप के लिए सात तरह के डिस्क्रिप्शन दिए गए हैं. पहला- जब सेक्शुअल रिलेशन लड़की की मर्ज़ी के खिलाफ हों, दूसरा- उसकी सहमति लिए बिना हो, तीसरा- डरा-धमकाकर सहमति लेकर बनाए गए हों, चौथा- जब विक्टिम इस गलतफहमी में कि सामने वाला आदमी उसका पति है, अपनी सहमति दे देती है, पांचवां- महिला से उस वक्त कंसेंट लेना जब वो दिमागी तौर पर सही न हो या फिर किसी नशीले पदार्थ की ज़द में हो, छठा- 18 से कम उम्र की लड़की से कंसेंट लेना, सातवां- जब महिला अपना कंसेंट कम्युनिकेट करने की अवस्था में न हो."
आगे जज ने कहा था कि रेप के कानूनों का इस्तेमाल इंटिमेट रिलेशनशिप को रेगुलेट करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, खासतौर पर तब जब महिला अपनी मर्ज़ी से इस रिलेशन में गई हो. जस्टिस पाणिग्रही ने इस मामले में समाज की एक खास सोच को भी टारगेट किया था. कैसे? बताते हैं. जस्टिस पाणिग्रही ने कहा था,
"ये देखना भी बहुत डिस्टर्बिंग होता है कि शिकायत करने वाली ज्यादातर औऱतें सामाजिक तौर पर पिछड़े और गरीब तबके वाले बैकग्राउंड से आती हैं, ग्रामीण इलाकों से आती हैं, जिन्हें आदमी शादी का वादा करके सेक्स के लिए प्रलोभित करते हैं और फिर जब वो प्रेगनेंट होती हैं तो उन्हें छोड़ देते हैं. कई बार रेप के कानून इनकी दुर्दशा कैप्चर करने में नाकाम हो जाते हैं. इस फैक्ट को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि जब बात सेक्स और सेक्शुअलिटी की आती है, तो हमारी सोसायटी का बड़ा भाग आज भी रूढ़ीवादी सोच वाला ही है. वर्जिनिटी को एक बेशकीमती एलिमेंट समझा जाता है."
अब तक आप समझ गए होंगे कि ये मुद्दा, माने शादी का वादा करके सेक्शुअल रिलेशन बनाना और फिर वादा तोड़ देना, रेप समझा जाए या नहीं, काफी विवादास्पद मुद्दा है. कुछ मामलों में इसे रेप माना जाता है, कुछ में नहीं. कानून के एक्सपर्ट्स का कहना है कि हर केस में फैसला केस की हिस्ट्री देखकर और नेचर देखकर लिया जाता है. सुनवाई करते वक्त कोर्ट ये ज़रूर देखता है कि लड़का और लड़की के बीच का रिलेशन कितना पुराना था. उसी के आधार पर फैसला दिया जाता है. इस सवाल के जवाब को ठीक से जानने के लिए हमने बात की दिल्ली हाईकोर्ट के वकील प्रांजल शेखर से. उन्होंने कहा,
दो चीजें हैं. इंटेंट और कंसेंट. अगर कंसेंट नहीं है तो रेप है. लेकिन अगर कंसेंट है तो सुनवाई के दौरान ये देखा जाता है कि लड़के का इंटेशन शादी करने का था कि नहीं. पूछताछ, सवाल जवाब के आधार पर अगर कोर्ट को लगता है कि इंटेंट नहीं था तो लड़के को आरोपी बनाया जा सकता है. और अगर ये लगता है कि इंटेंट था लेकिन लड़का-लड़की के बीच रिलेशनशिप खराब हो गया, इस वजह से उसने शादी से इनकार किया. तो ऐसे में हो सकता है कि कोर्ट उसे बरी कर दे.
ये सवाल ऐसा है, जिसका जवाब सटीक तौर पर एक लाइन में नहीं दिया जा सकता. हर मामले का नेचर देखकर उस पर फैसला सुनाया जाता है. अखबारों में अक्सर ऐसे मामलों के लिए एक शब्द इस्तेमाल होता है, 'शादी का झांसा'. यहां वादा की जगह झांसा शब्द का इस्तेमाल होता है. झांसा यानी गलत तरीके से किसी को फंसाना. इस शब्द का इस्तेमाल क्यों होता? इसके पीछे का कारण हमारी पुरानी रूढ़ीवादिता है. जो अक्सर लड़कियों के सेक्शुअल स्टेटस के इर्द-गिर्द घूमती है. वो सोसायटी, जिसे हम और आप जैसे लोग ही मिलकर बनाते हैं, उसके ज्यादातर लोग आज भी यही सोचते हैं कि अगर लड़की किसी लड़के के साथ सेक्शुअल रिलेशन में बिना शादी के रह ले, तो वो तो 'यूज़्ड' हो जाएगी, यानी उसका तो इस्तेमाल हो चुका है, उसकी तो वर्जिनिटी चली गई है. उसकी अब शादी कैसे होगी. यही सोच कहीं न कहीं ज्यादातर लड़कियों के दिमाग में भी बनी हुई है. यही वजह है कि अक्सर लड़कियां चाहती हैं कि जिनके साथ वो सेक्शुअल रिलेशन बनाएं, शादी भी उन्हीं के साथ हो. और वो शादी के वादे को एक गारंटी के तौर पर देखने लगती हैं. और अगर लड़का उसे धोखा दे या जेन्यूइन रीज़न्स से उससे ब्रेकअप कर ले तो सवाल खड़ा हो जाता है कि आगे क्या? मुद्दा बहुत फैला हुआ है, उम्मीद करते हैं कि हमारा न्यायतंत्र ऐसे मामलों में सारे पहलुओं को देखकर ही फैसला लेगा. और ये भी उम्मीद करते हैं कि तथाकथित 'वर्जिनिटी' को लेकर जो सोच बनी हुई है लोगों के दिमाग में, वो भी समय के साथ खत्म हो जाएगी.

thumbnail

Advertisement