हिंदू ना होने की वजह से केरल के मंदिर में डांसर्स को परफॉर्म करने से रोका गया!
फैसले के विरोध में हिंदू डांसर्स ने परफॉर्म करने से मना कर दिया.
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केरल का त्रिशूर ज़िला. यहां सालाना तौर पर 'कूडलमानिक्यम नृत्य उत्सव' होता है. 30 मार्च को ख़बर आई कि एक महिला को मंदिर में परफ़ॉर्म करने से मना कर दिया गया है. कारण ये बताया गया कि वो एक 'ग़ैर हिंदू' है. इससे पहले 27 मार्च को भी एक नृत्यांगना को इसी कारण से मना कर दिया गया था. नृत्यांगना मुस्लिम हैं.
अब इसके बाद प्रसिद्ध डांसर्स देविका सजीवन और अंजू अरविंद ने दोनों डांसर्स के साथ हुए व्यवहार के चलते इस इवेंट से अपना नाम वापस ले लिया है.
क्यों मना किया गया? दरअसल, 27 मार्च को शास्त्रीय नृत्यांगना मानसिया वीपी और सौम्या सुकुमारन ने कहा कि 'ग़ैर-हिंदू' होने की वजह से उन्हें कूडलमानिक्यम नृत्य कार्यक्रम में परफ़ॉर्म करने की अनुमति नहीं मिली. कथित तौर पर मंदिर के अधिकारियों ने दोनों कलाकारों को कहा था कि मंदिर में प्रदर्शन करने के लिए उन्हें प्रमाण पत्र देना होगा कि हिंदू धर्म अपना लिया है.Telangana | Anju Aravind, a Bharatanatyam dancer from Kerala scheduled to perform at Koodalmanikyam Temple in Kerala has pulled out of the event in solidarity with Mansiya who was denied the opportunity to perform there on religious grounds. Anju studies at Hyderabad University. pic.twitter.com/Q4Fn7XyYfl
— ANI (@ANI) April 1, 2022
लगभग 800 कलाकारों को मंदिर में 10 दिन चलने वाले उत्सव में प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है.
सौम्या सुकुमारन ने कहा कि हिंदू जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में असमर्थ होने की वजह से उन्हें उत्सव में परफ़ॉर्म करने की अनुमति नहीं दी गई थी. सुकुमारन ईसाई हैं.
इधर कूडलमणिक्यम मंदिर बोर्ड के अध्यक्ष प्रदीप मेनन ने मीडिया को बताया कि देवस्वम बोर्ड अधिनियम के अनुसार, 'गैर-हिंदू' मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. साथ में ये भी कहा कि ये नियम केरल के 90% मंदिरों पर लागू होते हैं.Kerala | An artist, Sawmya Sukumaran, from Thiruvananthapuram claims to have been banned from performing in Koodalmanikyam Temple dance festival on religious grounds
"I said I'm a Christian when they (authorities) asked... they replied 'non-Hindus' can't perform there," she said pic.twitter.com/2dPxHztd1J
— ANI (@ANI) March 30, 2022
इस पूरे मसले पर मानसिया वीपी ने एक लम्बा फेसबुक पोस्ट लिखा. पोस्ट में बताया कि वो इस घटना से परेशान नहीं हुईं, क्योंकि यह उनके साथ पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले राज्य के गुरुवायूर मंदिर ने भी उनकी परफ़ॉर्मेंस होस्ट करने से इनकार कर दिया था. मानसिया ने अपनी पोस्ट में साफ़ तौर से कहा कि वो एक नास्तिक हैं, किसी धर्म या ईश्वर में नहीं मानतीं. उन्होंने सवाल किया,
"मेरा कोई धर्म नहीं है, मैं कहां जाऊं?"पोस्ट में लिखा कि कूडलमानिक्यम मंदिर कार्यक्रम से अपने बहिष्कार को वे एक रिमाइंडर के रूप में दर्ज कर रही हैं कि 'धर्मनिरपेक्ष केरल' में कुछ भी नहीं बदला है. मानसिया ने कहा,
"कला और कलाकार अब भी धर्म और जाति से जुड़े हुए हैं."
भरतनाट्यम नृत्यांगना अंजू अरविंद (बाएं) और देविका सजीवन (दाएं), दोनों नर्तकियों ने घोषणा की है कि वे 24 अप्रैल को होने वाले कार्यक्रम से अपना नाम हटा लेंगी
'कला धर्म से ऊपर है' विवाद बढ़ा. सोशल मीडिया पर गया और लोगों की प्रतिक्रिया आई. लोगों ने कहा कि मंदिर के अधिकारियों का रवैया बहुत डिस्क्रिमिनेट्री है. कलाकारों ने भी सौम्या और मानसिया के साथ सॉलिडैरिटी दिखाई है. भरतनाट्यम नृतक देविका सजीवन और अंजू अरविंद ने मानसिया और सौम्या को सपोर्ट किया है. इस घटना के बाद देविका और अंजू ने कार्यक्रम से अपना नाम वापस ले लिया है.
देविका ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वो उन सभी कलाकारों के साथ हैं, जिन्हें परफ़ॉर्म करने के लिए ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण इवेंट्स का सामना करना पड़ता है.
अंजू अरविंद ने तो अपनी आलोचना में कुछ ऐसी बातों का खुलासा किया, जो चौंकाने वाली हैं. बताया कि समिति ने मानसिया को अंतिम चरण में प्रवेश करने की अनुमति दी थी और बाद में उसे एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया जिस पर लिखा था कि वो हिंदू हैं. मंदिर के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि कई कलाकारों को शुरुआती चरणों में चुनने के बावजूद अलग-अलग कारणों का हवाला देते हुए उन्हें अंतिम समय में हटा दिया गया था.
अंजू ने तो ये तक कह दिया कि एक कलाकार के तौर पर वे मानती हैं कि कला धर्म से ऊपर है और किसी भी कार्यक्रम में वो ये प्रचार नहीं कर सकतीं कि वो एक 'हिंदू' हैं.
इस पर मंदिर की तरफ़ से भी प्रतिक्रिया आई है. कूडलमनिक्यम देवस्वम के अध्यक्ष प्रदीप मेनन ने कहा कि ये निर्णय मंदिर की परंपरा के अनुरूप हुआ है. चूंकि कार्यक्रम मंदिर परिसर के अंदर हो रहा है, इसलिए मंदिर की परंपरा का पालन करते हुए निर्णय लिया गया. मौजूदा मंदिर परंपरा के अनुसार, गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है. यहां तक कि कार्यक्रम के विज्ञापन में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल हिंदू ही मंदिर में परफॉर्म करने के लिए आवेदन करें.