नाबालिग बच्चों के लिए मोदी सरकार के इस कानून में प्रियंका चतुर्वेदी ने क्या कमी बता दी?
प्रियंका चतुर्वेदी ने स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
Advertisement
जूविनाइल जस्टिस ऐक्ट. किशोर न्याय (देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015. सरकार ने 2021 में इस ऐक्ट में संशोधन किए. नए संशोधनों के अनुसार न्यायिक मजिस्ट्रेट की विशेष अनुमति के बिना नाबालिग के ख़िलाफ़ गंभीर अपराधों में कोई FIR दर्ज नहीं की जाएगी.
शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को एक पत्र लिखकर इस हालिया संशोधन के ख़िलाफ़ आपत्ति जताई है.
जेजे एक्ट क्या है?
JJ ऐक्ट या जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट 2015 में शुरू हुआ था. इसने किशोर अपराध क़ानून और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की जगह ली थी. मुख्य प्रावधान ये था कि 16 से 18 साल के बीच वाले नाबालिगों को वयस्कों की तरह ट्रीट किया जाए. क़ानून के अनुसार, अपराध का स्वाभाव देखकर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड निर्धारित करता कि आरोपी पर कार्यवाही माइनर की तरह बढ़े या अडल्ट की तरह.
2021 के संसद सत्र में केंद्रीय कैबिनेट ने इस क़ानून में संशोधन किए और सीरियस क्राइम्स की कैटेगरी को शामिल किया. यह स्पष्ट किया गया कि अगर किसी माइनर पर अडल्ट के रूप में मुक़दमा चलाया जाता है तो उसे 7 साल या उससे अधिक की सज़ा हो सकती है. इस संशोधन से पहले तक न्यूनतम सज़ा का कोई उल्लेख नहीं था. इस संशोधन के पक्ष में सरकार ने तर्क दिया था कि बच्चों की रक्षा और उन्हें वयस्क न्याय प्रणाली से अलग रखने के लिए यह किया गया है.
अडॉप्शन को भी लेकर कुछ बदलाव थे और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और जुडिशल मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारियां बढ़ गई थीं.
प्रियंका चतुर्वेदी क्यों विरोध कर रहीं?
राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को चिट्ठी लिखी. प्रियंका के अनुसार इस फैसले से बच्चों पर ग़लत प्रभाव पड़ेगा क्योंकि नए संशोधन के बाद बच्चों को भीख मांगने, श्रम करवाने और तस्करी करने पर FIR दर्ज नहीं होगी.
"एक तरफ़ सरकार 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' की बात करती है और दूसरी तरफ़ एक ऐसा संशोधन लाती है जो यह सुनिश्चित करेगा कि जुडिशल मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना बच्चों के ख़िलाफ़ गंभीर अपराधों में कोई FIR दर्ज नहीं की जाएगी. किस संशोधन बच्चों पर बहुत बुरा प्रभाव डालेगा क्योंकि यह उन अपराधियों को बचाता है जो बच्चों को भीख मांगने श्रम करने और ड्रग्स की तस्करी करने के लिए मजबूर करते हैं और उनका शोषण करते हैं."
आगे प्रियंका लिखती हैं,The government in its amendment in the Juvenile Justice Act has ensured no FIRs are registered in serious offences against children except with special permission of the judicial magistrate. I have requested @MinistryWCD to relook and amend. @AnuragKunduAK pic.twitter.com/6YsYOWwBF9
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) February 19, 2022
"बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध को कम करना ज़रूरी है, लेकिन केवल FIR दर्ज करके अपराधों के आंकड़े को कम करना उल्टा साबित होगा. यह संविधान और बच्चों के लिए घोर अन्याय है."प्रियंका चतुर्वेदी ने इस नए संशोधन को सुधारने का आग्रह किया है और ऐसे अपराधों को संज्ञेय स्थिति में वापस लाने के लिए कहा है.