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यूपी चुनाव के लिए राजा भैया ने 'हम फर्स्ट हम फर्स्ट' वाला ऐलान कर दिया है

राजा भैया की जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने 11 उम्मीदवारों की घोषणा की.

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राजा भइया. (फोटो क्रेडिट- फेसबुक)
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5 जनवरी 2022 (Updated: 5 जनवरी 2022, 13:21 IST)
Updated: 5 जनवरी 2022 13:21 IST
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यूपी के राजनीतिक इतिहास में कुछ नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गए हैं. इनमें नेता भी हैं और बाहुबली भी. उन पर गैंगस्टर एक्ट लगा और उन्होंने सरकार में मंत्रालय भी संभाले. उन पर पचासों केस भी दर्ज हुए, लेकिन अपनी सीट से वो कभी हारे नहीं. ऐसा ही एक नाम है रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया.
यूपी में चुनाव को लेकर सबकी निगाहें अभी इलेक्शन कमीशन पर टिकी हैं. लेकिन राजा भैया ने 'हम फर्स्ट हम फर्स्ट' वाली स्टाइल में अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के 11 उम्मीदावारों की लिस्ट जारी कर दी. राजा भैया खुद प्रतापगढ़ की अपनी पुरानी सीट कुंडा से लड़ेंगे. इसके अलावा यूपी के अलग अलग इलाकों में बाबागंज, सोराव,फाफामऊ, उरई, गौरा, कैसरगंज, माधौगढ़, बिल्सी, रॉबर्ट्सगंज, जलेसरगंज के उम्मीदवारों की घोषणा की गई है. हालांकि इस घोषणा के दौरान राजा भैया खुद मौजूद नहीं रहे.
Raja Bhaiya
जनसत्ता पार्टी लोकतांंत्रिक के 11 उम्मीदवारों की लिस्ट.

सेवा संकल्प पत्र
राजा भैया की पार्टी ने अपना घोषणा पत्र भी जारी किया. इसको 'सेवा संकल्प पत्र' का नाम दिया गया है. इसमें किसान की पूरी उपज खरीदने, सिंचाई के समय नहरों में पानी एवं बिजली की व्यवस्था करने, किसान बीमा दुर्घटना योजना की राशि 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने, प्रदेश के मान्यता प्राप्त पत्रकारों को 10 लाख का फ्री स्वास्थ्य बीमा देने और सेना व अर्धसैनिक बलों के शहीद जवानों के परिजनों को 1 करोड़ रुपये बतौर मुआवजा देने का वादा किया गया है.
कौन हैं राजा भैया?
राजा भैया यूपी के प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से विधायक हैं. अपने इलाके में बाहुबली माने जाते हैं. साल 2013 में DSP जिला-उल-हक हत्याकांड में इनका नाम आया था जिसके बाद उन्हें अखिलेश यादव सरकार में मिले मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं था. राजा भैया पर कुल 48 केस दर्ज हुए हैं. लेकिन आरोप कभी साबित नहीं हुए.
साल 2002 में मायावती ने इन पर शिकंजा कसा था. राजा भैया पर POTA लगा दिया था. POTA यानी प्रिवेन्शन ऑफ टेरेरिज्म एक्ट. लेकिन इस मामले सबसे बड़ी खबर कुछ और निकली. पुलिस के मुताबिक राजा भैया की कोठी के पीछे तालाब में सैकड़ों नरकंकाल मिले थे. प्रतापगढ़ में ऐसा कहा जाता है कि राजा भैया के तालाब में खूंखार मगरमच्छ रहते थे और अगर किसी ने राजा भैया से गुस्ताखी की तो उस शख्स को उसी तालाब में फेंक दिया जाता था.
कब बनाई पार्टी? राजा भैया ने 2018 में अपनी पार्टी बनाई थी. नाम- जनसत्ता दल लोकतांत्रिक. कभी मुलायम के करीबी माने जाने वाले राजा भैया की अखिलेश से उतनी अच्छी नहीं बनी. इसलिए उन्होंने खुद अपनी पार्टी बना ली. 90 के दशक के आखिरी सालों में राजा भैया की बीजेपी से भी खूब बनती थी. अपर कास्ट पॉलिटिक्स के लिए मशहूर राजा भैया ने पार्टी बनाने के दौरान SC-ST अमेंडमेंट एक्ट की खुलेआम आलोचना की थी.
क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट यूपी की राजनीति पर सालों से नज़र बनाए इंडिया टुडे के आशिष मिश्रा बताते हैं कि - छोटे दल अक्सर ऐसे ही शुरुआत में अपने उम्मीदवार घोषित कर देते हैं. ये दल किसी भी सीट पर उस जाति के उम्मीदवार को उतारते हैं जिस जाति की वहां बहुलता होती है. ऐसे में बड़ी पार्टियों के साथ बार्गेनिंग करने में इनको फायदा मिलता है.

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