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'अब कोई नहीं बुलाता, इसलिए मर रहा हूं', पंचायत के फ़ैसले के बाद बंदे ने की आत्महत्या

तलाक हो गया तो पंचायत ने शादी करवाने वाले को दे दी सजा!

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तलाक हो गया तो पंचायत ने शादी करवाने वाले बाबूराम मेघवाल को दे दी सजा! (पहले फोटो में बाबूराम, दूसरे में मॉर्चरी के बाहर वैठे परिजन)
19 जनवरी 2022 (Updated: 19 जनवरी 2022, 06:51 IST)
Updated: 19 जनवरी 2022 06:51 IST
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यूनानी दार्शनिक अरस्तु ने कहा था कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज के बिना नहीं रह सकता. राजस्थान के बाड़मेर में कुछ ऐसा ही देखना को मिला है. एक व्यक्ति ने जातीय पंचों द्वारा सामाजिक बहिष्कार किए जाने से परेशान होकर आत्महत्या कर ली. बाबूराम मेघवाल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि समाज में अब कोई उन्हें बुलाता नहीं, कोई उनके पास नहीं बैठता, इसलिए वे काफी परेशान हैं और जान दे रहे हैं. क्या था मामला? यह घटना सोमवार 17 जनवरी की है, यहां के गिड़ा इलाके में रहने वाले बाबूराम मेघवाल ने देर रात आत्महत्या कर ली. मिली जानकारी के अनुसार बाबूराम ने कुछ साल पहले एक शादी करवाई थी, इस शादी के कुछ साल बाद ही तलाक हो गया. इसके चलते जातीय पंच बाबूराम से नाराज हो गए और पंचायत बुलाकर उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया. इसके बाद से समाज का कोई भी व्यक्ति बाबूराम से संपर्क नहीं रख रहा था. आजतक से जुड़े दिनेश बोहरा की रिपोर्ट के मुताबिक बाड़मेर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरपत सिंह ने बताया,
"गिड़ा थाने के खोखसर गांव निवासी बाबूलाल मेघवाल ने सोमवार की रात को टांके में कूदकर आत्महत्या कर ली. सूचना मिलने पर गिड़ा पुलिस मौके पर पहुंची और शव को टांके से बाहर निकालकर मॉर्चरी में रखवाया है. परिवार ने कुछ पंचों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है, पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. प्रथम दृष्टया परिवार ने यह आरोप लगाया है कि पंच प्रताड़ित करते थे, इसीलिए आत्महत्या की. पुलिस इस मामले में हर एंगल से जांच कर रही है."
सुसाइड नोट में क्या लिखा है? हिन्दुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक जांच के दौरान मृतक के पास से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. सुसाइड नोट में मृतक द्वारा जातीय पंचो पर उसे समाज से बहिष्कृत करने, जुर्माना लगाने और परेशान करने का आरोप लगाया गया है. साथ ही इसमें यह भी लिखा है कि इससे आहत होकर ही वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं. सुसाइड नोट में लिखा है, 'मुझे गांव में अब कोई नहीं बुलाता है, इसलिए मैं मर रहा हूं.' परिवार का क्या कहना है? बाबूराम के परिवार ने पंचो पर कानूनी कार्रवाई न होने तक शव को लेने से इनकार कर दिया है. मृतक के भाई ने आजतक से कहा,
"कुछ पंच पिछले कई सालों से लगातार हमारे परिवार को प्रताड़ित कर रहे थे. कई बार हमने पंचों से माफी भी मांगी, लेकिन उसके बावजूद भी हमारे परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा था, एक दिन पहले ही एक सामाजिक कार्यक्रम में मेरे भाई को प्रताड़ित किया गया. जिससे आहत होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली...यह आत्महत्या नहीं मर्डर है, जब तक सुसाइड नोट में लिखे पंचों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, तब तक हम शव नहीं उठाएंगे!"

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