The Lallantop
Advertisement

चंडीगढ़ पर पंजाब का दावा पेश करते हुए भगवंत मान ने केंद्र को क्या-क्या सुनाया?

इस संबंध में विधानसभा में लाए गए प्रस्ताव को सभी दलों का समर्थन मिला है, बीजेपी को छोड़ के.

Advertisement
Img The Lallantop
बाएं से दाएं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान. (फोटो: PTI)
font-size
Small
Medium
Large
1 अप्रैल 2022 (Updated: 1 अप्रैल 2022, 14:46 IST)
Updated: 1 अप्रैल 2022 14:46 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारियों के लिए पंजाब सर्विस रूल्स की जगह सेंट्रल सर्विस रूल्स के लागू करने की बात कही थी. उन्होंने इसके कई फायदे गिनाए थे. लेकिन बीजेपी को छोड़ पंजाब के सभी सियासी दलों ने इसका विरोध किया था. और अब चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को लेकर राज्य की नवनिर्वाचित भगवंत मान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. उसने इस संबंध में पंजाब विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया है जिसे लगभग सभी प्रमुख दलों ने अपना समर्थन दिया है.

केंद्र को क्या-क्या सुना गए भगवंत?

शुक्रवार 1 अप्रैल को पंजाब विधानसभा को संबोधित करते हुए भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ का प्रशासनिक संतुलन बिगाड़ने का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने कहा,
"मैंने पंजाब के लोगों को गारंटी दी थी कि मैं राज्य के अधिकारों के लिए लड़ूंगा. पंजाब पुनर्गठन एक्ट, 1966 के जरिए पंजाब को हरियाणा में पुनर्गठित किया गया था. केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और पंजाब के कुछ हिस्से तब के केंद्रशासित प्रदेश हिमाचल को दे दिए गए थे. तब से लेकर अब तक भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड जैसी साझी संपत्तियों के प्रशासनिक ढांचे में एक संतुलन बना हुआ था. अब केंद्र सरकार इस संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है."
अपने संबोधन के दौरान भगवंत मान ने कहा कि चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी के तौर पर बनाया गया था. उन्होंने कहा कि अभी तक जितने भी राज्यों को विभाजित किया गया, उनमें राजधानी मूल राज्य के पास ही रही. ऐसे में पंजाब पूरी तरह से चंडीगढ़ के ऊपर अपना दावा पेश कर रहा है. BJP की आपत्ति क्या है? पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. वहीं बीजेपी के विधायकों ने विरोध. वे प्रस्ताव पेश होने के दौरान सदन से गायब रहे. बीजेपी की तरफ से कहा गया कि ये प्रस्ताव पंजाब के लोगों को भ्रमित करने के लिए लाया गया है. बीजेपी की तरफ से ये भी कहा गया कि चंडीगढ़ के कर्मचारियों के लिए पहले भी केंद्रीय सर्विस नियम लागू होते रहे हैं. पार्टी ने बताया कि एक मार्च 1986 से 31 मार्च 1991 तक चंडीगढ़ के कर्मचारियों ने केंद्रीय सर्विस नियमों के तहत काम किया था. विरोधी दल का कहना है कि बाद में पंजाब सरकार का पे स्केल बढ़ा तो चंडीगढ़ के कर्मचारियों ने अपने लिए उसकी मांग की. बीजेपी के मुताबिक अब फिर से चंडीगढ़ के कर्मचारी चाहते हैं कि उनके ऊपर केंद्रीय सर्विस नियम लागू हों. अगर पंजाब सरकार चाहती है कि उन कर्मचारियों पर पंजाब सरकार के सर्विस नियम लागू हों तो उसे छठवां वेतन आयोग लागू करना चाहिए.

thumbnail

Advertisement