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वॉशरूम में टिक-टॉक बनाते थे बच्चे, स्कूल ने सारे शीशे ही हटवा दिए!

स्कूल प्रशासन, बाथरूम से शीशे हटाने के साथ और भी उपाय आज़मा रहा है. अब क्लास से बाहर जाने के लिए छात्रों को कार्ड की ज़रूरत होगी. ये एक तरह का स्मार्ट पास है. इस कार्ड से आसानी से पता चलेगा कि कौन कब क्लास छोड़कर बाहर जा रहा है.

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america students bunk class go to bathroom again and again for making tiktok and instagram videos teachers removes bathroom mirrors
स्कूल प्रशासन ने बाथरूम से सारे शीशे हटा दिए. (सांकेतिक तस्वीर-आज तक)
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सचेंद्र प्रताप सिंह
22 जनवरी 2024 (Published: 07:19 PM IST) कॉमेंट्स
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छात्रों के लिए क्लास बंक करना कोई नई बात नहीं. अधिकतर स्टूडेंट ये करते हैं. हम लोग भी किए हैं. अलग-अलग वजहों से. कभी कहीं जाना हो, घर में पार्टी हो या फिर कुछ और. लेकिन अमेरिका में एक स्कूल में कुछ और ही मामला देखा गया. अधिकतर छात्र क्लास बंक करने लगे. वे बार-बार बाथरूम जा रहे थे. पहले तो टीचर्स को लगा कि शायद पेट में कोई दिक्कत होगी, लेकिन जब कई छात्र दिन में सात या आठ बार क्लास बंक करके बाथरूम ही जाने लगे. तो टीचर्स ने वजह जानने की कोशिश की. वजह जानकर स्कूल के बाथरूम से सभी शीशे निकलवाने पड़े.

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना में एक मिडिल स्कूल का है. स्कूल का नाम एलामांस-बर्लिंगटन है. जहां पढ़ने वाले छात्र बार-बार क्लास बंक कर जाते थे और घंटों तक नहीं लौटते थे. जब क‍ई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा, तब स्कूल प्रशासन ने जांच की. पता चला कि बाथरूम में टिकटॉक विडियो बनाने के लिए स्टूडेंट्स क्लास बंक कर रहे थे. इसके बाद बाथरूम के सारे शीशे हटा दिए गए. असर ये हुआ कि अब छात्र क्लास बंक नहीं करते. सभी छात्र समय से कक्षाओं में उपस्थित रहने लगे.

बाथरूम जाने वाले छात्रों की संख्या में कमी

स्कूल के प्रवक्ता 'लेस एटकिन्स' ने कहा, 

“शीशे हटाने के बाद से हमने देखा कि केवल वीडियो बनाने के लिए बाथरूम जाने वाले छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है. अब बाथरूम में ज्यादा छात्र नहीं जाते, उतनी देर तक रुकते भी नहीं. स्‍कूल ने स्‍मार्ट पास भी सभी छात्रों को दिए हैं, ताकि जब वे चेक इन करें तो गैजेट की जांच की जा सके. यह सिस्टम स्कूल के मौजूदा सॉफ्टवेयर का हिस्सा है, इसलिए इसपर कोई आपत्‍त‍ि भी किसी को नहीं है. और डिजिटल हॉल पास में कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं लगता है.”

पेरेंट्स भी खुश हैं

स्कूल प्रशासन ने कहा, हमें पेरेंट्स का भी समर्थन मिल रहा है. एक स्टूडेंट की मां ने लेटर लिखकर बताया कि, हम अपने बच्चे को कभी स्मार्ट फोन नहीं देते. आखिर इसकी जरूरत ही क्यों है. और पेरेंट्स ने बताया बच्चे को स्कूल में इमरजेंसी में फोन की जरूरत होती है. आमतौर पर ऐसी स्‍थ‍ित‍ि आती नहीं. इसलिए फोन देना ही नहीं चाहिए. मिडिल स्‍कूल के बच्‍चों को फोन की जरूरत क्या है.

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