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कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने वाले IPS हिमांशु रॉय ने खुदकुशी कर ली

हिमांशु ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर की नली मुंह में रखी और गोली चला दी.

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IPS हिमांशु रॉय
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विशाल
11 मई 2018 (Updated: 11 मई 2018, 02:42 PM IST) कॉमेंट्स
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IPS हिमांशु रॉय नहीं रहे. पुलिस के मुताबिक 11 मई को उन्होंने मुंबई के अपने घर में गोली मारकर खुदकुशी कर ली.

साहित्यिक व्याख्या पर आएंगे, तो बात इन दो वाक्यों में पूरी हो जाती है. पर मसला ये है कि हिमांशु इंसान साहित्यिक नहीं थे. IPS ऑफिसर थे, जिनके बारे में तसल्लीबख्श तरह से जाने बिना ये दो वाक्य अधूरे लगते हैं.


हिमांशु रॉय. वो ऑफिसर, जिसने बाबरी मस्ज़िद विध्वंस के बाद महाराष्ट्र में हुए दंगों को संभाला. वो ऑफिसर, जिसने कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया. वो ऑफिसर, जिसने IPL स्पॉट फिक्सिंग केस की जांच की. वो ऑफिसर, जिसके हाथ में जेडे मर्डर केस था. वो ऑफिसर, जिसकी वजह से मुंबई की पहली साइबर क्राइम सेल सेटअप हो पाई. और वो ऑफिसर, जो कैमरे के सामने कहता था, 'मेरे रहते मुंबई को हाथ लगाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.'

एक पब्लिक इवेंट में हिमांशु
एक पब्लिक इवेंट में हिमांशु

नासिक का सबसे यंग SP

मुंबई की पैदाइश हिमांशु महाराष्ट्र काडर के 1988 बैच के IPS थे. उन्हें पहली पोस्टिंग 1991 में मालेगांव में मिली. ये वो समय था, जब अयोध्या बाबरी मस्ज़िद विध्वंस की आग में जल रही थी और इसकी आंच देश के हर सूबे तक पहुंच रही थी. मालेगांव में भी दो समुदाय आपस में जूझ रहे थे. छुट्टा छोड़ दिए जाते, तो पता नहीं क्या कर डालते. लेकिन हिमांशु रॉय ने बखूबी संभाला. महकमे से खूब तारीफ मिली.

1995 तक हिमांशु नासिक (रूरल) के SP बन चुके थे और इस कुर्सी पर बैठने वाले वो सबसे यंग ऑफिसर थे. सफर आगे बढ़ा. अहमदनगर पहुंचा, जहां हिमांशु SP बने. फिर इकॉनमिक ऑफेंस विंग में DCP और उसके बाद ट्रैफिक DCP बने. 2004 से 2007 के बीच हिमांशु नासिक पुलिस कमिश्नर रहे, जहां उन्होंने खैरलांजी हत्याकांड केस को टैकल किया. 2006 में दो जातियों के संघर्ष में हुए इस हत्याकांड में दो महिलाओं को उनके घर से निकालकर नंगा घुमाया गया और फिर मार डाला गया था. इस केस में 11 आरोपी थे और हिमांशु की वजह से पुलिस को जल्दी सक्सेस मिली.

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IPL स्पॉट फिक्सिंग में विंदू दारा सिंह को इन्हीं ने धरा था

2009 में हिमांशु मुंबई में जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस बनाए गए. 2010 से 2014 मुंबई में जॉइंट कमिश्नर (क्राइम) रहे. इनके इसी कार्यकाल में 2013 में IPL का स्पॉट फिक्सिंग केस सामने आया था. इस केस की जांच हिमांशु ने ही की थी. स्पॉट फिक्सिंग के बुकी से संबंध होने के आरोप में विंदू दारा सिंह को हिमांशु ने ही अरेस्ट किया था. हालांकि, बाद में विंदू को मुंबई कोर्ट से बेल मिल गई थी. लैला खान मर्डर केस की जांच भी हिमांशु ने इसी कार्यकाल में की थी. इगतपुरी इलाके के एक घर में लैला और उसके पांच रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी.

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इनकी शादी का किस्सा बहुत प्यारा है

इतने सारे मामले सुनकर कहीं ये न समझ लीजिएगा कि इस आदमी को काम के सिवा कुछ आता नहीं था. काम भी किया, प्यार भी किया. मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से निकलने के बाद जब 1990 में IPS का एग्ज़ाम दे रहे थे, तो माजेगांव एग्ज़ामिनेशन हॉल में भावना से मुलाकात हुई. भावना वहां IAS का एग्ज़ाम देने आई थीं. वो राइटर अमीश त्रिपाठी की बहन हैं. दोनों की मुलाकात हुई, प्यार हुआ. करीब दो साल बाद दोनों ने शादी कर ली. शादी के बाद हिमांशु का करियर और तेज़ी से आगे बढ़ा, वहीं भावना IAS छोड़कर HIV से जुड़ी सोशल एक्टिविटीज़ से जुड़ गईं.

क्राइम ब्रांच के बाद हिमांशु का महाराष्ट्र की एंटी-टेरेरिज़्म स्क्वॉड (ATS) में ट्रांसफर कर दिया गया. यहां रहते हुए उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीस अंसारी को अरेस्ट किया, जिस पर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के अमेरिकन स्कूल को उड़ाने की प्लानिंग का आरोप था.


हिमांशु और अक्षय
हिमांशु और अक्षय

सरकार के इस फैसले ने हिमांशु को नाराज़ भी किया था

अप्रैल 2015 में महाराष्ट्र सरकार ने अचानक एक फैसला लिया. सूबे के 37 सीनियर IPS अफसरों का ट्रांसफर कर दिया. इस शफलिंग ने पूरी पुलिस फोर्स को चौंका दिया. ऐसे में जो हिमांशु रॉय तब तक महाराष्ट्र ATS के चीफ हुआ करते थे, वो अडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (हाउसिंग) बना दिए गए.

इस शफलिंग में रेलवे ADG रहे संजय बरवे और प्लानिंग ऐंड कॉर्डिनेशन ADG रहे हेमंत नगरले भी इधर से उधर किए गए. ये सभी तबादले चौंकाने वाले थे. उसी दौरान एक और बात सामने आई कि दिसंबर 2014 में रॉय, बरवे और नगरले ने गृह मंत्रालय को लेटर लिखकर सीनियर्स के बुरे बर्ताव की शिकायत की थी. माना गया कि इस लेटर की वजह से ही रॉय को नॉन-एग्ज़िक्यूटिव पोस्टिंग में शंट किया गया.


नीली शर्ट में हिमांशु
नीली शर्ट में हिमांशु

और जब कसाब की फांसी की खबर सुनाई

मुंबई आतंकी हमले में पकड़े गए इकलौते आतंकवादी कसाब को कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी. उस फैसले को मीडिया के सामने बताने वाले हिमांशु ही थे. 6'2' इंच का आदमी, भरा-गठा शरीर और बच्चन अमिताभ जैसी बेस वाली आवाज़. जब पत्रकार बार-बार उनसे हिंदी में बोलने के लिए कह रहे थे, तो उनके एक्सप्रेशन देखने लायक थे. होते भी क्यों न, कसाब से बयान उगलवाकर कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए उसे सज़ा दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका भी तो हिमांशु ने ही अदा की थी.

हिमांशु देश के उन चुनिंदा ऑफिसर्स में से थे, जिन्हें Z+ कैटेगरी की सुरक्षा दी गई थी. ये सुरक्षा उन्हें मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस और इंडियन मुजाहिदीन चीफ यासीन भटकल और दाऊद इब्राहिम की संपत्तियों को ज़ब्त करने की वजह से मिली थी. हिमांशु ने ही दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर के ड्राइवर आरिफ के एनकाउंटर का केस हैंडल किया था.


जिम में वर्जिश करते हिमांशु
जिम में वर्जिश करते हिमांशु

ये सब जान-सुनकर लगता है कि ऐसा क्या हुआ होगा कि हिमांशु रॉय जैसे इंसान ने खुदकुशी कर ली. वो इंसान, जो अपने काम में इतना सक्सेसफुल था, वो जिसने अपने प्यार से शादी की, वो जो अपने मां-बाप की इकलौती औलाद था, उसने किन हालात में ऐसा कदम उठा लिया.

कैंसर की वजह से मेडिकल लीव ले ली थी

अभी के लिए तो इतना ही कयास लगाया जा सकता है कि वो अपनी बीमारी से परेशान थे. ब्लड कैंसर से जूझ रहे थे. स्टेरॉयड लेना पड़ रहा था. 28 अप्रैल 2016 से मेडिकल लीव पर भी चले गए थे. एक पुलिस अधिकारी ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर बताया था कि साहब 6 महीने की छुट्टी पर गए हैं. तब तक हिमांशु की सर्विस को 7 साल बचे हुए थे. उड़ाने वालों ने ये भी उड़ा दिया था कि वो वॉलंट्री रिटायरमेंट ले रहे हैं, लेकिन बाद में राज्य सरकार और खुश हिमांशु ने इस बात का खंडन किया था.


हिमांशु रॉय
हिमांशु रॉय

पुलिस के मुताबिक 11 मई 2018 को दोपहर 1:40 बजे हिमांशु ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर मुंह में डालकर गोली मारकर खुदकुशी कर ली. उन्हें बॉम्बे हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका.




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