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ठीक से देख नहीं पातीं प्रोफेसर, दिल्ली यूनिवर्सिटी ने '7 लाख रुपये' का जुर्माना क्यों लगा दिया?

Delhi University ने असिस्टेंट प्रोफेसर पर कथित अवैध कब्जे का आरोप लगाते हुए 7 लाख का भारी जुर्माना लगाया है. जिसके तहत विश्वविद्यालय हर महीने उनकी कमाई में से 30% की कटौती कर रहा है.

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Delhi University (Photo-Aajtak)
दिल्ली विश्वविद्यालय. (फोटो-आजतक)
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निहारिका यादव
25 जून 2024 (Published: 04:53 PM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक दृष्टिबाधित असिस्टेंट प्रोफेसर पर कथित अवैध कब्जे का आरोप लगाते हुए उन पर करीब सात लाख रुपये का जुर्माना लगाया है (Delhi University fines professor). उन पर ये जुर्माना अंडरग्रेजुएट गर्ल्स हॉस्टल में ओवरस्टे यानी ‘निर्धारित समय से अधिक समय तक रहने’ के लिए लगाया गया है. असिस्टेंट प्रोफेसर गर्ल्स हॉस्टल में दो साल से अधिक समय से रह रही थीं, क्योंकि कथित तौर पर उन्हें रहने के लिए उपयुक्त घर नहीं मिल रहा था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असिस्टेंट प्रोफेसर शर्मिष्ठा अत्रेजा 2015 से DU आर्ट्स फैकल्टी में दर्शनशास्त्र पढ़ा रहीं हैं. शुरुआत में, वो एक किराए के घर में रह रही थीं, जिसकी व्यवस्था उन्होंने खुद की थी. उन्हें विश्वविद्यालय में दृष्टिबाधित व्यक्ति के लिए सुलभ किसी भी आवास के लिए मना कर दिया गया था. हालांकि, साल 2021 में वो हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए रेजिडेंट ट्यूटर बन गई थीं. जिसके बाद उन्हें हॉस्टल के ग्राउंडफ्लोर का एक कमरा आवंटित किया गया था. लेकिन अगस्त 2022 में जब बतौर रेजिडेंट ट्यूटर उनका कार्यकाल समाप्त हुआ, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें हॉस्टल का कमरा खाली करने के लिए कह दिया.

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इस पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर शर्मिष्ठा अत्रेजा बताती हैं,

“मुझे मॉल रोड पर एक आवास आवंटित किया गया था लेकिन वो सुविधाजनक नहीं था, क्योंकि वो ग्राउंड फ्लोर पर नहीं था. ये मेरे लिए सुलभ नहीं है, मेरी दृष्टिबाधित होने के कारण मुझे विभाग तक जाने के लिए दो मुख्य सड़कों को पार करना पड़ता है. लगातार अनुरोध करने के बावजूद, विश्वविद्यालय ने कई बार मुझे गर्ल्स हॉस्टल में मेरे कमरे से बाहर करने के लिए मजबूर किया.”

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोफेसर ने साल 2023 में इस मामले में हाई कोर्ट का रुख किया. उनका केस डिसेबिलिटी राइट्स फ्रंट (DRF) नामक संस्था देख रही है. इसी संस्था ने प्रोफेसर अत्रेजा का मामला दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) के अध्यक्ष के सामने उठाया है. इस मामले पर हाई कोर्ट ने एक आदेश भी जारी किया. जिसके बाद, DU एस्टेट विभाग ने 15 मार्च, 2024 को प्रोफेसर को मौरिस नगर में एक फ्लैट ऑफर किया. DRF के एक पत्र के मुताबिक, DU एस्टेट विभाग ने उन्हें 18 मार्च को पोजेशन लेटर दिया और उनसे 10 दिन के भीतर शिफ्ट होने के लिए कहा गया.  

इस सब के बीच प्रोफेसर अत्रेजा पर 7 लाख का भारी जुर्माना भी लगा है. जिसके तहत विश्वविद्यालय हर महीने उनकी कमाई में से 30% की कटौती कर रहा है. इस पर अत्रेजा ने विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है. प्रोफेसर के लिए समस्याएं यहीं ख़त्म नहीं हुईं. उनके मुताबिक़ मौरिस नगर में मिले विश्वविद्यालय की तरफ से आवंटित फ्लैट में भी उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

प्रोफेसर अत्रेजा का कहना है, 

“इंजीनियरिंग विभाग को कई बार सूचित करने के बावजूद, विश्वविद्यालय ने मुझे जो घर आवंटित किया है वह जर्जर स्थिति में है. बाथरूम में वॉशबेसिन नहीं है. घर ग्राउंड फ्लोर पर है, लेकिन टूटी हुई स्थिति में है.”

वो आगे बताती हैं,

"मैंने सोचा था कि मैं अपने खर्च पर घर को ठीक करा कर काम चला लूंगी, लेकिन अब विश्वविद्यालय जुर्माने के नाम पर हर महीने मेरी कमाई का 30% काट रहा है."

गर्ल्स हॉस्टल को समय पर न खाली करने के आरोप पर पर प्रोफेसर अत्रेजा का कहना है कि कोई किसी भी आवास में कैसे जा सकता है, खासकर अगर वह मेरे जैसे दृष्टिबाधित व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं है. हालांकि, इस मामले पर DU प्रॉक्टर रजनी अब्बी का कहना है कि उन्होंने प्रोफेसर अत्रेजा की मदद के लिए हर संभव कोशिश की है. उन्होंने कहा, 

"हमने प्रोफेसर अत्रेजा के लिए हर संभव मदद की है. लेकिन विश्वविद्यालय के प्रत्येक कर्मचारी को आवंटित कार्यकाल से अधिक समय तक रहने के लिए एक लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना पड़ता है. इसे माफ करना प्रशासन के अधिकार में नहीं है. अदालत द्वारा ये कहे जाने के बाद कि इस मामले में जो उपयुक्त हो वो किया जाए, हमने एक समिति बनाई जिसमें विश्वविद्यालय के ऑडिट सदस्य भी शामिल थे. प्रोफेसर पर 7 लाख रुपये से कहीं अधिक का बकाया था, लेकिन हमने उनकी स्थिति को ध्यान रख कर जो कुछ भी कर सकते थे वो किया."

बीती 22 जून को प्रोफेसर अत्रेजा ने DUTA अध्यक्ष एके भागी से जुर्माना रद्द करने की अपील की. उन्होंने इस आदेश को ‘अन्यायपूर्ण और मनमाना’ बताया है. DRF ने भी DUTA अध्यक्ष एके भागी को ईमेल कर प्रोफेसर अत्रेजा पर लगे जुर्माने के मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है. DRF ने DUTA कार्यकारी, दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद के सभी निर्वाचित सदस्यों से भी मांग की है कि वे अपने सहकर्मी के साथ हो रहे इस गंभीर अन्याय के खिलाफ उनका तत्काल समर्थन करें.

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