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किरण मजूमदार की कंपनी पर इंजेक्शन की मंजूरी के लिए घूस देने का आरोप, कई अधिकारी हिरासत में

किरण मजूमदार शॉ और उनकी कंपनी बायोकॉन लिमिटेड ने CBI के दावों को खारिज किया है

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Kiran Mazumdar Shaw
बायोकॉन लिमिटेड की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
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साकेत आनंद
21 जून 2022 (Updated: 21 जून 2022, 01:08 PM IST) कॉमेंट्स
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किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar Shaw) की कंपनी बायोकॉन बायोलॉजिक्स (Biocon Biologics) पर रिश्वत देने का गंभीर आरोप लगा है. कंपनी पर अपने एक इंसुलिन इंजेक्शन की मंजूरी के लिए घूस देने का आरोप है. सीबीआई ने इस मामले में सोमवार, २० जून को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) के ज्वाइंट ड्रग कंट्रोलर एस ईश्वर रेड्डी को हिरासत में लिया. आरोप है कि रेड्डी ने इंसुलिन एसपार्ट इंजेक्शन के फेज-3 ट्रायल को टालने के लिए 4 लाख रुपये रिश्वत के तौर पर लिए थे. इस मामले में एक प्राइवेट कंपनी सिनर्जी नेटवर्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर दिनेश दुआ को भी हिरासत में लिया गया है.

‘9 लाख रुपये घूस की मांग’

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई ने घूस दिए जाने की जानकारी मिलने के बाद दोनों के खिलाफ आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार का एक केस दर्ज किया. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई इस इनपुट के आधार पर एक महीने से काम कर रही थी. छापेमारी के दौरान दिनेश दुआ बायोकॉन बायोलॉजिक्स की तरफ से ईश्वर रेड्डी को 4 लाख रुपये देते पकड़े गए. बताया जाता है कि रेड्डी ने इस इंजेक्शन के पक्ष में रिपोर्ट देने के लिए 9 लाख रुपए की मांग की थी.

सीबीआई ने इस मामले में तीन और लोगों का नाम दर्ज किया है. उनमें बायोकॉन बायोलॉजिक्स के असोशिएट वाइस प्रेसिडेंट एल प्रवीण कुमार, बायोइनोवेट रिसर्च सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर गुलजीत सेठी, CDSCO के असिस्टेंट ड्रग इंस्पेक्टर अनिमेश कुमार के नाम शामिल हैं. सीबीआई ने बताया है कि बायोकॉन बायोलॉजिक्स के रेगुलेटरी का काम गुलजीत सेठी देखते हैं और बिजनेस डीलिंग का काम सिनर्जी नेटवर्क के पास है.

किरण मजूमदार ने आरोपों को खारिज किया

CDSCO केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत एक रेगुलेटरी संस्था है. यह किसी दवा के आयात को रेगुलेट करने, नई दवा और क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी देने के कामों को देखती है.

सीबीआई प्रवक्ता ने कार्रवाई के बाद बताया, 

"आरोपी ने बायोकॉन बायोलॉजिक्स से जुड़ी तीन फाइलों को आगे बढ़वाने और इंसुलिन एसपार्ट की फाइल सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी के पास भेजने की सिफारिश की. इसके लिए वह CDSCO के ज्वाइंट डायरेक्टर को 9 लाख रुपये देने को राजी हो गया था. सीबीआई ने जानकारी मिलने पर जाल बिछाया और ईश्वर रेड्डी को दिनेश दुआ से 4 लाख रुपये लेते पकड़ लिया."

किरण मजूमदार शॉ और उनकी कंपनी ने सीबीआई के दावों को खारिज कर दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक किरण मजूदार ने कहा, 

"हम रिश्वर के आरोपों से इनकार करते हैं. हमारे सभी प्रोडक्ट सही हैं. साइंस और क्लीनिकल डेटा से लैस हैं. हमारे एसपार्ट को यूरोप और कई देशों में मंजूरी मिल चुकी है. भारत में रेगुलेटरी प्रक्रिया ऑनलाइन है और सभी दस्तावेज पब्लिक डोमेन में हैं."

कौन हैं किरण मजूमदार शॉ?

किरण मजूमदार शॉ बायोकॉन लिमिटेड की चेयरपर्सन हैं. बायोकॉन बायोलॉजिक्स इसी की सब्सिडियरी कंपनी है. 2019 में फोर्ब्स मैगजीन ने मजूमदार को दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था. वो देश और दुनिया के अलग-अलग मुद्दों पर भी अपनी राय रखती हैं. इस साल मार्च में उन्होंने कर्नाटक में बढ़ते सांप्रदायिक माहौल को लेकर बीजेपी सरकार से चिंता जाहिर की थी.

जब कर्नाटक में गैर-हिंदू व्यापारियों को दुकान लगाने से बैन किया गया तो मजूमदार ने ट्विटर पर लिखा था, 

"कर्नाटक आर्थिक विकास के लिए हमेशा सबको साथ लेकर चला है और हमें धर्म के आधार पर ऐसे भेदभाव को जगह नहीं देनी चाहिए. अगर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन (ITBT) साम्प्रदायिक हो गया तो ये हमारी ग्लोबल लीडरशिप को बर्बाद कर देगा. बसवराव बोम्मई जी, कृपया इस बढ़ते धार्मिक भेदभाव को रोकें"

किरण मजूमदार शॉ ने 1978 में बायोकॉन लिमिटेड की शुरुआत की थीं. कंपनी की दवाईयां दुनिया के 120 से ज्यादा देशों में बिकती हैं. 2004 में किरण ने बायोकॉन फाउंडेशन नाम से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) विंग शुरू की. फाउंडेशन का दावा है कि वह ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचों पर केंद्रित काम करता है. इसके अलावा मजूमदार शॉ ने मेडिकल सेंटर शुरू किया. ये मेडिकल सेंटर एक ऐसे कैंसर केयर मॉडल की खोज में लगा हुआ है जो आम लोगों की पहुंच में हो.

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