अमर सिंह नेता हैं, समाजवादी पार्टी में कभी बड़ा भौकाल रहा. अमिताभ बच्चन के क्लोजमक्लोज रहे. आज़म से तो टॉम एंड जेरी वाला रिलेशन है. फिर ऐसा टाइम आया था कि टीं बोल गए. अभी समाजवादी पार्टी में वापसी हुई है. उससे पहले करीब छह साल तक अमर सिंह पॉलिटिक्स से दूर रहे. इत्ते में एक अर्धकुंभ हो जाता है, मार्वल वाले एक्समेन की तीन पिच्चर रिलीज कर देते हैं. अमर सिंह इस दौरान बीमार भी थे. ख़ुद की पार्टी भी बनाई लेकिन 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी भी टीं ही बोल गई.
अब जब आए हैं तो दहकुच्च मचाए हैं, सपा के घर में कपारफोड़ कार्यक्रम चल रहा है. मुलायम सिंह के घर के किचन गार्डेन में इस आदमी ने धनिया बो रखी है. अब इलेक्शन भी है तो लग रहा ये आदमी और फुटेज खाएगा.
लेकिन, लेकिन, लेकिन. ठहरिए. इस्पीड अच्छी है लेकिन थोड़ा इधर हटो-बचो वाला भी हिसाब रखिए. विकीपीडिया पर अमर सिंह ने अपना पेज देखा है? अंग्रेजी वाला नहीं हिंदी वाला. हिंदी के विकीपीडिया पेज में उनके लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. इत्ता स्कैन्ड्लाइज्ड मत होइए. उन्हें 'दलाल' लिखा गया है.
उसी पेज में जो लिंक्स लगी हैं वो भी महान ही हैं. वोट के लिए नोट स्कैंडल का जिक्र है साथ ही वो खबर है, जिसमें लिखा है 'कलमाड़ी, राजा और मधु कोड़ा के बीच तिहाड़ में हैं अमर सिंह' मतलब इस पूरे पेज में उनके बारे में कुछ अच्छा नहीं लिखा है.
विकीपीडिया पर पेज कोई भी एडिट कर सकता है. अमर सिंह को ये बात नहीं पता है क्या? खुद ही कर लें. आखिरी बार 8 सितंबर 2014 को उनका पेज एडिट हुआ था. और तो और जिसने भी ये लिखा है, बहुत गलत लिखा है, माने गलत सही लिखो कोई दिक्कत नहीं. लेकिन इतना टाइपो न करो. 16-17 से कम क्या ही टाइपो होंगे.
अब अमर जी से उम्मीद है कि वो इस तरफ भी नज़र फिराएंगे.यूपी और सपा तो ठीक ही है, पहले अपना विकीपीडिया पेज दुरुस्त कर लेंगे. काहे कि डिजिटल का जोर है, और देश सुने हैं बदल रहा है.