महाराष्ट्र: मुठभेड़ में 50 लाख के इनामी मिलिंद तेलतुम्बडे सहित 26 नक्सली मारे गए
मुठभेड़ में 3 जवान भी घायल.
मिलिंद तेलतुंबडे
महाराष्ट्र के गृहमंत्री मंत्री दिलीप वलसे पाटिल (Dilip Walse Patil) ने नक्सल लीडर मिलिंद तेलतुम्बडे के एनकाउंटर में मारे जाने की पुष्ट कर दी है. उन्होंने बताया कि अब तक 26 शव बरामद किए जा चुके हैं. तीन पुलिसकर्मियों को हल्की चोटें आईं हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मारे गए 26 नक्सलियों में 20 पुरुष और 6 महिलाएं हैं.
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के ग्यारापट्टी के जंगलों में शनिवार, 13 नवंबर को महाराष्ट्र पुलिस की सी-60 यूनिट के साथ मुठभेड़ में 26 नक्सली मारे गए. मुठभेड़ में 3 जवान भी घायल हुए हैं. उन्हें नागपुर के ऑरेंज सिटी अस्पताल में एडमिट करवाया गया है.
कई घंटों तक ये एनकाउंटर चला. इस दौरान नक्सलियों के कई शिविर भी ध्वस्त किए गए. ये ऑपरेशन सफल रहा, क्योंकि पुलिस को समय रहते एक जरूरी लीड मिल गई. पुलिस को इनपुट मिला था कि ग्यारापट्टी के जंगलों में कई नक्सली छिपे हुए हैं. ऐसे में उनकी तलाशी में C-60 पुलिस निकल पड़ी थी. लेकिन किसी तरह नक्सलियों को पुलिस के ऑपरेशन की भनक लग गई और उसी वक्त से एनकाउंटर शुरू हो गया.
#UPDATE
— ANI (@ANI) November 13, 2021
| The four police jawans injured in today's anti-Naxal operation in Gadchiroli were airlifted and admitted to Critical Care Complex of Orange City Hospital and Research Insitute in Nagpur, the hospital says
कहा जा रहा है कि सबसे पहले नक्सलियों ने ही पुलिस पर गोलीबारी की थी. जवाबी कार्रवाई में 26 नक्सली मौत के घाट उतार दिए गए.गढ़चिरौली के एसपी अंकित गोयल ने बताया,
गढ़चिरौली जिले के ग्यारापट्टी के जंगलों में आज महाराष्ट्र पुलिस की सी-60 यूनिट के साथ मुठभेड़ में 26 नक्सलियों का सफाया कर दिया गया है. मुठभेड़ में 3 जवान घायल हुए हैं.
इसी क्षेत्र से कुछ दिन पहले 2 लाख के इनामी नक्सली मंगारु मांडवी को भी गिरफ्तार किया गया था. उस पर हत्या और पुलिस पर कई हमले करने का आरोप था. उसकी गिफ्ततारी पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी थी.
C-60 क्या है?
BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरिल्ला रणनीति का मुकाबला करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस ने एक विशेष दल की स्थापना की, जिसमें स्थानीय जनजाति को शामिल किया गया. 1992 में बने इस विशेष दल में 60 स्थानीय जनजाति समूह के लोगों को शामिल किया गया. धीरे-धीरे दल की ताकत बढ़ती गई और नक्सलियों के ख़िलाफ़ इनके ऑपरेशन भी बढ़ने लगे. दल में शामिल जनजाति समूह के लोगों को स्थानीय जानकारी, भाषा और संस्कृति की जानकारी के चलते ये गुरिल्ला लड़ाकों से लोहा लेने में सफल रहे.