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कर्नाटक: अब कुमकुम लगाने पर छात्रा को कॉलेज में नहीं घुसने देने का आरोप

बजरंगदल ने विरोध प्रदर्शन किया है, शिक्षा मंत्री बोले- कुमकुम शृंगार की चीज है.

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कर्नाटक में हिजाब विवाद इस साल की शुरुआत में शुरू हुआ था. (फोटो: इंडिया टुडे)
कर्नाटक में हिजाब विवाद इस साल की शुरुआत में शुरू हुआ था. (फोटो: इंडिया टुडे)
18 फ़रवरी 2022 (Updated: 18 फ़रवरी 2022, 16:11 IST)
Updated: 18 फ़रवरी 2022 16:11 IST
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कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर शुरू हुआ विवाद अब नए लेवल पर पहुंचता दिख रहा है. राज्य के विजयपुरा जिले की एक कॉलेज की छात्रा ने आरोप लगाया है कि महिलाओं को कुमकुम लगाने पर कॉलेज कैंपस में एंट्री नहीं करने दी जा रही है. छात्रा का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन ने कहा है कि अगर लड़कियों को कॉलेज के अंदर घुसना है तो उन्हें अपने माथे से कुमकुम मिटाना होगा.

हिजाब विवाद का साइडइफेक्ट?

मामला विजयपुरा जिले के सरकारी पीयू कॉलेज का बताया गया है. इंडिया टुडे/आजतक की खबर के मुताबिक कॉलेज का कहना है कि उसने कर्नाटक हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के आधार पर ये कदम उठाया है. हालांकि इस पर हंगामा शुरू हो चुका है. जैसे ही ये खबर फैली, बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने कॉलेज के बाहर इसका विरोध करना शुरू कर दिया. संगठन का कहना है कि ये आदेश देने वालों को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए. मामले पर अन्य हिंदू संगठन भी सक्रिय हो गए हैं. आजतक की खबर के मुताबिक श्रीराम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने कॉलेज प्रशासन पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि कुमकुम धार्मिक प्रतीक नहीं है, बल्कि ये देश की संस्कृति है. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के सर्कुलर के मुताबिक इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है. प्रमोद ने मांग की है कि कुमकुम हटवाने वाले टीचर को बर्खास्त किया जाए. साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि हिजाब के समर्थन में चलाए गए इस अभियान के पीछे एक अंतरराष्ट्रीय साजिश है. वहीं इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि कुमकुम 'शृंगार' के लिए होता है, इसका यूनिफॉर्म संबंधी सर्कुलर से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा,
'हमने किसी छात्र को कुमकुम या फूल लगाने के लिए नहीं कहा है. ये शृंगार के लिए होता है, इसका यूनिफॉर्म से कोई ताल्लुक नहीं है.'
इस बीच कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार और कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि ये संघ परिवार द्वारा फैलाया गया एक अनावश्यक विवाद है. सिद्धारमैया ने कहा,
'हिजाब पहनने की शुरुआत हाल के दिनों में तो नहीं हुई है. ये सालों से चला आ रहा है. कुछ छात्र पहनते हैं और कुछ नहीं. ये उनका निजी मामला है. हिजाब पहनने में कोई दिक्कत नहीं है और फिलहाल कर्नाटक हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है.'
कर्नाटक के पूर्व सीएम ने स्कूल और कॉलेजों के आस-पास पुलिस तैनात करने को लेकर भी नाराजगी जताई. सिद्धारमैया ने कहा,
'पुलिस को स्कूल और कॉलेज के आसपास तैनात करने का क्या मतलब है? वे छात्रों को क्यों डरा रहे हैं कि उनके खिलाफ केस दायर कर गिरफ्तार कर लिया जाए? ये लोकतंत्र है या तानाशाही? सरकार न्यायालय गए बिना ही इस मामले का समाधान कर सकती थी. छात्र यूनिफॉर्म के विरोध में कभी नहीं थे. वे हिजाब के साथ यूनिफॉर्म भी पहन रहे हैं.'
विजयपुरा की इस घटना से पहले कर्नाटक के शिक्षा संस्थानों से केवल हिजाब पहनने पर एंट्री बैन करने की खबरें आई थीं. कोडागु, चित्रादुर्गा, बेंगलुरु समेत अन्य हिस्सों से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि हिजाब पहन कर आई लड़कियों को कैंपस में नहीं घुसने दिया जा रहा है. कर्नाटक हाई कोर्ट इस पूरे मामले की सुनवाई कर रहा है. वहां बीते कई दिनों से कॉलेज में हिजाब पहनने या नहीं पहनने के पक्ष और विरोध कई दलीलें दी जा रही हैं. इस सबके बीच हाल में हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत कर्नाटक सरकार ने शिक्षा संस्थानों में हिजाब या भगवा कपड़ा पहनने पर बैन लगा दिया था. बाद में ये बैन अल्पसंख्यक संस्थानों पर भी लागू कर दिया गया.

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