भगत सिंह का जन्म पाकिस्तान में हुआ तो खटकर कलां उनका पैतृक गांव कैसे हो गया?
कहां है भगत सिंह का असली गांव? भगवंत मान के शपथ ग्रहण के बाद उठा सवाल.
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पंजाब विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद आम आदमी पार्टी राज्य में सरकार बनाने की पूरी तैयारी कर चुकी है. AAP नेता भगवंत मान ने बुधवार, 16 मार्च को पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उनका शपथ ग्रहण समारोह राज्यपाल भवन या चंडीगढ़ में ना होकर नवांशहर जिले के खटकर कलां गांव में हुआ. इसमें खास बात यह है कि खटकर कलां शहीद भगत सिंह का पैतृक गांव है. शपथ ग्रहण के दौरान पंजाबी में दिए अपने भाषण में भी मान ने कई बार भगत सिंह की चर्चा की.
क्या बोले नए सीएम?
भगवंत मान ने कहा कि उनके लिए खटकर कलां कोई नया नहीं है. उन्होंने कहा,"भगत सिंह ने जो लड़ाई लड़ी थी, वही लड़ाई आम आदमी पार्टी भी लड़ रही है. भगत सिंह को इस बात की चिंता थी कि आजादी के बाद भारत किस तरह का होगा. हमें उनके सपनों के भारत बनाना है. दिल्ली की तरह ही हम लोग यहां स्कूल और अस्पताल बनाएंगे."
शपथ ग्रहण समारोह में गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित से गुलदस्ता लेते पंजाब के नए सीएम भगवंत मान. (तस्वीर- पीटीआई)
भगत सिंह के गांव पर बहस क्यों?
भगत सिंह को भारत और पाकिस्तान दोनों जगहों पर समान रूप से प्यार और सम्मान मिलता है. आजादी की लड़ाई में सिर्फ 23 साल की उम्र में शहीद होने वाले भगत सिंह हर विचारधारा के युवाओं और लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. हालांकि इस गांव में भगवंत मान के शपथ लेने की घोषणा के बाद यह विवाद शुरू हो गया था कि भगत सिंह का गांव तो पाकिस्तान में है, तो फिर AAP नेता किस गांव की बात कर रहे हैं. लोगों ने खटकर कलां गांव को गूगल पर खोजना शुरू कर दिया. सच क्या है, हम बताते हैं.स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद हुए भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पाकिस्तान (असल में अविभाजित भारत) के लायलपुर के बंगा गांव में हुआ था. हालांकि उनका पैतृक गांव पंजाब का खटकर कलां ही है. भगत सिंह इस गांव में कभी नहीं रहे. उनकी पढ़ाई भी लाहौर के डीएवी हाई स्कूल और नेशनल कॉलेज में हुई. उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और मां का नाम विद्यावती था. पिता किशन सिंह का जन्म इसी खटकर कलां गांव में हुआ था. साल 1900 में भगत सिंह के दादा सरदार अर्जुन सिंह खटकर कलां से लायलपुर के बंगा चले गए थे.
इतिहास विषय के लेखक अशोक कुमार पांडेय ने इस मामले को एक वीडियो के जरिए विस्तार से समझाया है. उनके मुताबिक,
"अर्जुन सिंह के गांव में प्लेग आया था. जिसके बाद अंग्रेजों ने वहां सभी घरों को ढहाने की बात कही थी. लेकिन अर्जुन सिंह ने घर ढहाने के बदले लोगों को बाहर करने का अनुरोध किया. उसी दौरान साल 1900 में अंग्रेज जंगली क्षेत्रों में इंसानों को बसाने की योजना लेकर आए. इसके तहत वहां से जाने वाले लोगों को 25 एकड़ जमीन देने की बात कही गई थी. सरदार अर्जुन सिंह इसी योजना के तहत लायलपुर (अभी पाकिस्तान) चले गए. वहां उन्हें बंगा गांव में 25 एकड़ जमीन दी गई थी. इसके बाद वो वहीं पर रहने लगे."अशोक कुमार पांडेय आगे कहते हैं,
"उनका परिवार लायलपुर जरूर चला गया, लेकिन खटकर कलां को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा. भगत सिंह की शहादत के बाद उनके माता-पिता वापस खटकर कलां आ जाते हैं. विभाजन के वक्त उनकी मां खटकर कलां में ही थीं. विभाजन के बाद उनके परिवार के बाकी सदस्य भी इसी गांव में आ गए थे. इससे साफ है कि यह भगत सिंह का पैतृक गांव है. भगत सिंह को पाकिस्तान में भी उनके जन्मस्थान पर याद किया जाता है."भगत सिंह की मां विद्यावती अपने अंतिम समय तक इसी घर में रही थीं. खटकर कलां गांव में ही भगत सिंह के नाम पर म्यूजियम बना हुआ है, जहां उनसे जुड़ी चीजों को संभाल कर रखा गया है. उनके इस पैतृक घर को स्मारक बना दिया गया है, जिसकी देखरेख पुरातत्व विभाग और नवांशहर प्रशासन करते हैं. नवांशहर को शहीद भगत सिंह नगर जिले के रूप में भी जाना जाता है.