'हमारी बेबसी देखो उन्हें...', हिजाब मामले में HC के फैसले पर क्या बोलीं मुनव्वर राणा की बेटी?
कॉलेज में एक ही ड्रेस कोड पर क्या है सुमैया राणा की राय?
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शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा ने हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से असहमति जताई है. उन्होंने कहा है कि कोर्ट को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए. आजतक से बात करते हुए सुमैया राणा ने कहा कि उन्हें ये सुनकर बहुत अजीब लगा कि कोर्ट ने हिजाब को इस्लाम का हिस्सा नहीं माना. मुनव्वर राणा की बेटी ने पिता की शायरी से कुछ पंक्तियां भी पढ़ीं,
"हमारी बेबसी देखो उन्हें हमदर्द कहते हैं, जो उर्दू बोलने वालों को दहशतगर्द कहते हैं... मदीने तक हमने मुल्क की दुआ मांगी, किसी से पूछ लो इसको वतन का दर्द कहते हैं."सुमैया राणा ने आगे कहा कि कुरान की आयत 33 में अल्लाह की तरफ से कहा गया है कि बेटियां जब भी घर से निकलें, तो खुदको ढंककर निकलें. उन्होंने कहा कि इस्लाम में किसी पर जोर जबरदस्ती नहीं हैं, किसी तरह का तालिबानी एक्शन नहीं लिया जाता है. सुमैया ने ये भी कहा कि अगर कॉलेज में एक ही यूनिफॉर्म है तो हमें दूसरा विकल्प खोजना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि एक धर्म विशेष को टारगेट किया जा रहा है. फैसले से असहमति हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर अलग-अलग नेताओं की प्रतिक्रिया आ रही है. जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने हाई कोर्ट के फैसले को निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ महिलाओं के सशक्तिकरण की बात की जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ उनकी साधारण पसंद के अधिकार को भी नकारा जा रहा है. फैसले से असहमति AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी जताई है. उन्होंने कहा कि फैसले से असहमत होना उनका हक है और उन्हें उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. इससे पहले 15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. कोर्ट ने ये भी कहा कि स्टूडेंट्स स्कूल या कॉलेज की तयशुदा यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते. कोर्ट में उडुपी की लड़कियों ने याचिका दायर कर स्कूलों में हिजाब पहनने की इजाजत की मांग की थी. इनके अलावा कुछ और याचिकाएं भी दायर की गई थीं. कोर्ट ने इन पिटिशन्स को खारिज कर दिया है.