हरियाणा में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस क्या वाकई 20 गुना हो गई है?
सालाना बॉन्ड का क्या फंडा है, जो स्टूडेंट्स से भरवाया जाएगा?
ऑर्डर में क्या लिखा हुआ है?
हरियाणा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से MBBS करने वाले स्टूडेंट्स को अभी सालाना 53 हजार रुपए फीस देनी होती थी. हॉस्टल फीस अलग होती थी. अब हरियाणा सरकार ने नोटिस दिया है कि मेडिकल कॉलेजों की एनुअल फीस 53 हजार से बढ़ाकर 80 हजार और एक लाख तक की जाएगी. स्टूडेंट्स को सालाना करीब 10 लाख रुपये का बॉन्ड भरना होगा. ये बॉन्ड हर साल जमा कराना होगा. चार साल का कोर्स पूरा होने के बाद तकरीबन 40 लाख का ये बॉन्ड नौकरी लगने पर चुकाना होगा. अगर छात्र की हरियाणा में सरकारी नौकरी लगती है, तो सरकार 7 साल की किस्तों में पैसा चुकाएगी. अगर नौकरी नहीं लगती या प्राइवेट नौकरी लगती है या फिर निजी प्रैक्टिस करते हैं, तो पैसे छात्र को खुद भरने होंगे.
किस साल में कितनी फीस देनी होगी, इस लिस्ट में देखिए:
सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिस में फीस का नया स्ट्रक्चर ये है.
नियम क्या-क्या हैं?
1.ये बदलाव इसी साल के सेशन से लागू होंगे, यानी 2020-2021 सेशन से.
2.हर साल फीस में दस फीसद की बढ़ोतरी होगी.
3.जो भी छात्र एडमिशन ले रहे हैं, उनके पास दो ऑप्शन होंगे.
4.या तो बॉन्ड भरने के लिए सरकारी बैंकों से लोन लें, या फिर पूरे पैसे अपनी जेब से भरें.
5.जो लोन दिया जाएगा, वो एजुकेशन लोन की तरह ट्रीट किया जाएगा.
6.लोन चुकाने की अवधि होगी सात साल, जो पढ़ाई खत्म करने के एक साल बाद शुरू होगी.
7.कहा गया है कि राज्य सरकार क्रेडिट गारंटी स्कीम शुरू कर सकती है. उन छात्रों के लिए, जो लोन लेकर सरकारी कॉलजों में पढ़ाई करना चाहते हैं.
8.अगर छात्र सरकारी अस्पताल या संस्थान में अपनी सेवाएं देते हैं, तो सरकार उनके जमा किए हुए बॉन्ड का पैसा चुकता करेगी.
सरकार ने ऐलान तो कर दिया है, लेकिन कुछ सवाल बाकी हैं. जैसे- यदि स्टूडेंट ने अपनी तरफ से पैसे भरे हैं तो रीपेमेंट का क्या होगा, बॉन्ड के पैसे कैसे वापस आएंगे. कहा जा रहा है कि ऐसे ही मसलों को लेकर तब स्थिति साफ होगी, जब डीटेल में नियमावली आएगी.विरोध करने वाले क्या कह रहे हैं?
हरियाणा सरकार के नए नियमों को लेकर छात्रों और संगठनों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि बॉन्ड की रकम को भी जोड़ लिया जाए तो MBBS की फीस में करीब 20 गुना बढ़ोतरी हो गई है. यह मामला सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड हो रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने इसे लेकर बीजेपी की मनोहर लाल खट्टर सरकार को घेरा. आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को फायदा पहुंचाने के लिए साजिश कर रही है. उन्होंने एक वीडियो ट्वीट डाला, और लिखा-
खट्टर-दुष्यंत सरकार के नए ‘तुगलकी फरमान’ ने हरियाणा के गरीब विद्यार्थियों का डॉक्टर बनने का सपना तोड़ दिया है!
खट्टर सरकार ने अब सरकारी मेडिकल कॉलेज में MBBS की पढ़ाई को अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्गों और गरीबों की पहुंच से बाहर कर दिया है।
आइए, इस बारे सिलसिलेवार तथ्य जानते हैं👇🏼 pic.twitter.com/49GJthpysC
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 8, 2020
सोशल मीडिया पर भी सरकार के इस निर्णय की आलोचना हो रही है. लोग इसे मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए कड़ी सजा करार दे रहे हैं, एकजुट होकर विरोध करने की बात कह रहे हैं.
सभी मुख्य सरकारी विभागों के निजीकरण के बाद अब ये (सरकार) सरकारी अस्पतालों को पूरी तरह से बर्बाद कर रहे हैं. जमकर पढ़ाई करने के लिए छात्रों को सजा दी जा रही है.
इंडियन मेडिकल एसोसियेशन के स्टूडेंट्स नेटवर्क ने भी ट्वीट करके लिखा,#ShameonHaryanagovt
— Navneet Singh (@NavMDU) November 8, 2020
After Privatisation of all major govt departments...now they are completely demolishing the govt hospitals. Students are being penalized for studying very hard.... pic.twitter.com/2w7EvJByGJ
हम हरियाणा के मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ खड़े हैं. IMA और IMA स्टूडेंट्स नेटवर्क की राज्य शाखाएं इस पर काम कर रही हैं. हम भारत के सभी मेडिकल स्टूडेंट्स से गुजारिश करते हैं कि वो हरियाणा के मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ खड़े हों.
सरकार ने बताया, क्यों बदले नियम?@IMA_MSNIndia
— IMA - Medical Students' Network® (HQs) (@IMA_MSNIndia) November 8, 2020
stands with Medical Students of Haryana in this issue. State Branch of IMA and IMA MSN are working on this issue. Meanwhile we appeal Medical Students across India to stand with them!@IMAIndiaOrg
#ShameonHaryanagovt
pic.twitter.com/BXAgpvv842
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मेडिकल फीस में बढ़ोतरी को जायज बताया. उन्होंने कहा कि कॉलेजों की फीस ‘थोड़ी सी’ बढ़ाई गई है. जहां तक बॉन्ड भरवाने की बात है, उसे लेकर हरियाणा में 'आज तक' के पत्रकार कमलप्रीत सभरवाल के मुताबिक़ मुख्यमंत्री ने कहा,
एक बॉन्ड हम भरवा रहे हैं, ये उनके लिए है जो MBBS करने के बाद सरकारी नौकरी नहीं करेंगे. बाहर चले जाएंगे, वो उसे पे करेंगे. जो सरकारी नौकरी में रहेंगे, उनके बॉन्ड को पे करने की जिम्मेदारी सरकार की है. कॉलेजों में 15 लाख, 17 लाख फीस है. हमने तो दस लाख का ही बॉन्ड भरवाया है, वो भी इसलिए ताकि लोग सरकारी नौकरी करें. अन्यथा बहुत सारे डॉक्टर पढ़ाई यहां करते हैं, उन पर करोड़ों का खर्च आता है, उसके बाद वो प्राइवेट सर्विस करते हैं. उनको बंधन में रखने के लिए ये सब किया है.उनके बयान का वीडियो आप यहां देख सकते हैं:
सरकार की ओर से जो ऑर्डर निकाला गया है, उसके मुताबिक़ चार साल की फीस करीब 3.71 लाख रुपए होगी. बॉन्ड के लिए 36 लाख 28 हजार रुपए चुकाने होंगे.