Economic Survey 2022: सरकार ने कहा- सही ट्रैक पर अर्थव्यवस्था, पैसे की किल्लत नहीं
GDP की विकास दर कितनी रहेगी, सरकार ने बताया.
Advertisement
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वे पेश कर दिया है. सोमवार 31 जनवरी को संसद के बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये आर्थिक सर्वे देश के सामने रखा. सर्वे के आधार पर केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP की विकास दर 9.2 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया है. ये RBI के अनुमानित 9.5 पर्सेंट ग्रोथ रेट से थोड़ा कम है. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने कहा कि इसमें GDP 8 से 8.5 पर्सेंट रह सकती है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर है और तमाम चुनौतियों से निपटने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने के लिए 1.4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने होंगे. आर्थिक सर्वे पेश करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि देश के निर्यात, विदेशी मुद्रा और टैक्स रेवेन्यू में इजाफा हुआ है. इसका मतलब है कि अगर अर्थव्यवस्था को पुश करने के लिए सरकार को अपनी तरफ से वित्तीय सहायता देनी पड़ी तो वो ऐसा करने में सक्षम है.
निर्मला सीतारमण ने देश को बताया कि राजकोषीय घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट नियंत्रण में है और खर्च के लिए पर्याप्त पैसा उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि देश में वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई साइड दुरुस्त है और डिमांड बढ़ाने की जरूरत है. सर्वे के मुताबिक आने वाले समय में देश में निजी निवेश बढ़ेगा और फाइनेंशियल सिस्टम दुरुस्त होगा. सरकार ने कहा है कि कैपिटल एक्सपेंडिटल यानी विकास पर ज्यादा खर्च किया जाना चाहिए.
सर्वे के आधार पर निर्मला सीतारमण ने महंगाई को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने संकेत दिया कि इस मामले में कच्चे तेल के दाम खेल बिगाड़ सकते हैं. उन्होंने रोजगार बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है और इंडस्ट्री को इन्सेन्टिव्स देने की बात भी कही है.
विकास दर बढ़ने की तमाम संभावनाएं जताते हुए निर्मला सीतारमण ने ये आशंका भी जताई कि कोविड-19 महामारी का संकट इन अनुमानों को पलट सकता है. लेकिन कृषि क्षेत्र इस संकट से काफी हद तक अछूता ही रहा है. वित्त मंत्री ने बताया कि महामारी का कृषि क्षेत्र पर सबसे कम असर पड़ा और मौजूदा वित्त वर्ष में ऐग्रीकल्चरल ग्रोथ रेट 3.9 पर्सेंट रह सकता है. वहीं इस अवधि में कुल खपत 7 पर्सेंट बढ़ने का अनुमान है. सरकार ने उन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (यानी MSME) को बढ़ावा देने की भी बात कही है, जिन पर कोविड महामारी का काफी बुरा असर पड़ा है.